JNU हिंसा पर अभिनेत्री सनी लियोन ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'मेरा मानना है कि...'
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुई हिंसा को लेकर अभी तक कई सेलेब्स अपनी राय रख चुके हैं। अब इस मामले में अभिनेत्री सनी लियोन ने भी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने गुरुवार को जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा की। साथ ही कहा कि देश में बिना किसी हिंसा के परेशानियों का हल ढूंढना चाहिए।
'मैं हिंसा में विश्वास नहीं रखती'
सनी लियोन ने मामले पर कहा, 'मुझे लगता है कि वो बड़ा मुद्दा जिसपर मैं बोलना चाहती हूं, वो है हिंसा। मैं हिंसा में विश्वास नहीं रखती। मैं मानती हूं कि कोई तो जवाब होगा बिना किसी हिंसा के।' सनी ने ये बात समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कही। उनसे सवाल पूछा गया था कि जेएनयू में जो कुछ भी हुआ उसपर वो क्या सोचती हैं।
'हिंसा के खिलाफ बोलूंगी'
38 वर्षीय अभिनेत्री सनी ने कहा 'मैं उन मसलों पर नहीं बोलूंगी जिसपर लोग लड़ रहे हैं। मगर हिंसा के खिलाफ बोलूंगी, क्योंकि हिंसा केवल उस एक व्यक्ति को प्रभावित नहीं करती जिस पर हमला किया जाता है, बल्कि उसका परिवार भी चोटिल होता है। यह युवा लोगों का विचार भी है जो अब इस दुनिया में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। मैं हर किसी से विनती करती हूं कि कृपया हिंसा को रोकें और बिना किसी को चोट पहुंचाए समाधान का पता लगाएं।'
जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा
बता दें रविवार को जेएनयू में कुछ नकाबपोश लोगों ने अचानक विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और छात्रों पर हमला कर दिया। इस घटना में करीब 34 छात्र घायल हो गए थे। नकाबपोश लोगों ने इन्हें डंडो और रोड से पीटा था। घटना में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष भी घायल हो गई थीं। इस घटना को लेकर जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है।
दीपिका ने क्या कहा था?
इससे पहले दीपिका ने कहा था, 'मुझे इस बात पर गर्व है कि हम खुद की बात रखने से डरते नहीं हैं और हम इसके बारे में सोच रहे हैं, अपने भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। जिस तरह किसी भी मुद्दे के खिलाफ हम सड़कों पर उतरते हैं उस पर मुझे गर्व है। अगर हम समाज में बदलाव देखना चाहते हैं या अपनी बात मनवाना चाहते हैं तो हमें ये करना चाहिए।'
'मुझे दुख होता है'
दीपिका ने जेएनयू जाकर आइशी घोष से मुलाकात भी की और कहा, 'मैं ये कहना चाहती हूं कि मैंने ये तब कहा था जब दो साल पहले पदमावत रिलीज हुई थी। आज मैं जो देख रही हूं, उससे मुझे दुख होता है। मैं आशा करती हूं कि ये सामान्य चीज ना बन जाए। ताकि हर कोई कुछ भी कह पाए। मैं डरी हुई हूं और दुखी हूं। ये हमारे देश की आधारशिला नहीं है।'