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क्या राजनीतिक दल जानवरों के अधिकारों की रक्षा को मुद्दा बनाएंगी?

पुणे में भोसारी उत्सव में होने वाले बैलगाड़ी की रेस के खिलाफ गंगवाल ने जनहित याचिका दायर की जिस पर उन्हें सफलता मिली, जिसके बाद उन्होंने तंबाकू के इस्तेमाल के खिलाफ मुहिम शुरु की।

By Anujkumar Maurya
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चेन्नई। डॉ कल्याण गंगवाल ने पहली बार 2001 में पुणे में होने वाली बैलगाड़ी रेस पर रोक लगाने में सफलता हासिल की थी। पुणे में भोसारी उत्सव में होने वाले बैलगाड़ी की रेस के खिलाफ गंगवाल ने जनहित याचिका दायर की जिस पर उन्हें सफलता मिली, जिसके बाद उन्होंने तंबाकू के इस्तेमाल के खिलाफ मुहिम शुरु की, जिसके बाद उन्हें आजतक इसके लिए धमकी मिलती है। खेड़, शिवपुर और मंचर के किसान आज भी बैलगाड़ी रेस बंद होने के बाद गंगवाल को धमकी देते हैं।

jallikattu क्या राजनीतिक दल जानवरों के अधिकारों की रक्षा को मुद्दा बनाएंगी?
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गंगवाल का कहना है कि हमारी लड़ाई आज भी जारी है और हमें कई संस्थाओं का इसमे साथ मिल रहा है, जोकि हमारे साथ इस आवाज को बुलंद करने में हमारी मदद कर रहे हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट में 2014 में अपनी याचिका में यह कहा था कि सांड के भी अत्याचार के खिलाफ अपने अधिकार होते हैं, ऐसे में बैलगाड़ी रेस और जलिकट्टू दोनों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम राजनीतिक दलों से यह अपील करते हैं कि वह अपने घोषणा पत्र में जानवरों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की भी बात को रखें।

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English summary
Activist who is against Jallikattu appeals parties to include animal right in manifesto
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