मुख्तार अंसारी के बहाने ब्राह्मण गोलबंदी की काट ढूढ़ रहे सीएम योगी आदित्यनाथ !
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के डालीबाग इलाके में अवैध रूप से बनी बाहुबली मुख्तार अंसारी की अवैध संपत्तियों पर जब बुल्डोजर चढ़ा तो हड़कंप मच गया। आश्चर्य इस बात का था कि जिस बाहुबली की संपत्तियों पर लोग नजर डालने से कतराते थे उसे एलडीए का बुल्डोजर ढहाने की कार्रवाई कर रहा था। इसे लेकर मौके पर जो हल्का विरोध हुआ उसे पुलिस ने सख्ती से दबा दिया।
बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी पर इस कार्रवाई से योगी सरकार ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि प्रदेश में माफियाओं और बाहुबलियों को कानून के शिकंजे में आना ही होगा। कोई कितना भी ताकतवर हो सरकार कानून उससे ज्यादा ताकतवर है। हालांकि प्रदेश में राजनीतिक संरक्षण में काम करने वालों या फिर सियासी पार्टियों में जगह बनाए हुए बाहुबलियों की लंबी लिस्ट है। वहीं एक पक्ष दावा ये भी कर रहा है कि इस बहाने योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में हो रही जातीय गोलबंदी को तोड़ने की कोशिश की है।
संदेश: विकास दुबे ही नहीं मुख्तार का घर भी गिरेगा
बीते दिनों कानपुर के विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद प्रदेश की योगी सरकार पर ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। विकास दुबे के घर को गिराने पर कई हलकों से आपत्ति आई थी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घर गिराने की कार्रवाई का जमकर विरोध हुआ था। अब मुख्तार पर कार्रवाई के बहाने योगी सरकार ने ये संदेश देने की कोशिश की है कि केवल विकास दुबे ही नहीं मुख्तार जैसों का घर भी गिरता है। वहीं इससे ठीक एक दिन पहले बुधवार को प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद की संपत्तियों की कुर्की की गई। अतीक अहमद के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई जारी है।
सीएम योगी ने बनाए रखी कार्रवाई पर नजर
सरकार ने इससे इन आरोपों का जवाब देने की कोशिश है कि केवल आपराधिक छवि वाले ब्राह्मणों पर कार्रवाई कर रही है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि कोई दूसरा होगा तो उसके साथ भी ऐसा ही होगा। खास बात ये रही कि इस कार्रवाई के दौरान सीएम योगी खुद नजर बनाए रहे। उनके ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से इसे लेकर ट्वीट किया जाता रहा। ट्वीट में कहा गया कि 'माफिया मुख्तार अंसारी के काले साम्राज्य का अंत आ गया है।' एक दूसरे ट्वीट में लिखा गया कि 'अपराधियों की अवैध सम्पत्तियों के उपभोग से हुई किराए की वसूली तथा इनके डिमोलिशन का खर्च भी अपराधियों से ही वसूला जाएगा।'
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ब्राह्मणों की मुखरता कर रही परेशान
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार और 4PM अखबार के संपादक संजय शर्मा ने वन इंडिया हिंदी से बातचीत में इस कार्रवाई के पीछे प्रदेश में ब्राह्मण समाज की नाराजगी को प्रमुख वजह बताया है। संजय शर्मा ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में पिछले दो महीने से ब्राह्मण मुखर हो रहे हैं। ब्राह्मणों की मुखरता सरकार को परेशान कर रही है। लगातार पार्टी के अंदर भी इस तरह की बात उठ रही है। कल राधामोहन अग्रवाल ने भी कह दिया कि ये ठाकुरों की सरकार है। सरकार चाहती है कि ये ब्राह्मण बनाम ठाकुर एंगल रहेगा तो नुकसान हो जाएगा। इसके बजाय मुस्लिम एंगल आ जाए। कभी मुसलमान कभी तबलीगी जमात के नाम पर सरकार ये एंगल लाना चाहती है।'
कई बार लग चुके ब्राह्मण उत्पीड़न के आरोप
हाल ही में प्रयागराज से सटे क्षेत्र भदोही के बाहुबली माने जाने वाले विधायक विजय मिश्र ने सरकार पर अपने उत्पीड़न का आरोप लगाया था। विजय मिश्र पर उनकी ही एक करीबी संबंधी ने जमीन कब्जाने का आरोप लगाया था जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी। इन कार्रवाइयों से योगी सरकार को ये संदेश देना चाहती है कि चुनाव जीतकर माफियागीरी करने वाले विशेषाधिकार की आड़ में अब अपने काले धंधे से बच नहीं पाएंगे।
मुख्तार से पहले आज़म खां के अवैध निर्माणों पर प्रहार, प्रयागराज में अतीक अहमद पर कार्रवाई से सरकार यही संदेश स्पष्ट करना चाह रही है। सरकार बसपा के पूर्व सांसद दाउद अहमद के अवैध निर्माण पर भी बुल्डोजर चलवा चुकी है। हालांकि सोशल मीडिया पर सरकार की इस कार्रवाई के बहाने ब्राह्मण समाज में उठ रहे विरोध के स्वर को शांत करने की कोशिश की चर्चा शुरू हो गई है।
कार्रवाई को अपराधियों के खिलाफ बताने वाले भी कम नहीं
लेकिन सिर्फ कार्रवाई को दबाव में ही बताने वाले नहीं हैं। काफी लोग इस कार्रवाई को कानून की कार्रवाई बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने इसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई बताया है। लखनऊ में ही लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह ने वन इंडिया से बातचीत में बताया कि सरकार की कार्रवाई में कोई एंगल ढूढ़ना सही नहीं होगा। ये कार्रवाई अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई है। चाहे फिर इसमें कोई अंसारी हो या दूबे या सिंह हो।'
अनिल सिंह बताते हैं कि इसके पहले ही योगी सरकार ने मुख्तार के करीबी त्रिदेव गुप के मालिक उमेश सिंह उनके छोटे भाई राजन सिंह, गैंगस्टर रमेश सिंह उर्फ काका के विरुद्ध भी कार्रवाई कर चुकी है। ऐसे में इसे किसी जाति वर्ग को साधने की राजनीति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। कार्रवाई अपराधियों के खिलाफ साफ संदेश है कि उन्हें कानून के शिकंजे में आना ही होगा भले वे कोई हों।