वायु प्रदूषण पर आई रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, भारतीयों की उम्र में हो रही 4 साल की कमी
नई दिल्ली। वायु प्रदूषण ना केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इससे दुनियाभर में लोगों के जीवन के औसतन तीन साल कम हो रहे हैं, जबकि करीब 80 लाख 80 हजार लोगों की समय से पहले मृत्यु हो रही है। ये जानकारी मंगलवार को वैज्ञानिकों ने दी है। ये जानकारी जर्नल कार्डियोवास्कुलर रिसर्च में बताई गई है। जर्मनी में स्थित मैक्स प्लैंग इंस्टीट्यूट के मुख्य लेखक जोस लिलीवेल्ड ने कहा, 'धूम्रपान की तुलना में वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा जोखिम है।'
इससे तभी निपटा जा सकता है कि जब जीवाश्म ईंधन के स्थान पर स्वच्छ अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल हो। शोध में पता चला है कि अकाल मृत्यु के अन्य कारणों की तुलना में, वायु प्रदूषण मलेरिया की तुलना में हर साल 19 गुना अधिक लोगों को मारता है। ये आंकड़ा HIV/AIDS से होने वाली मौत से 9 गुना और शराब से होने वाली मौत से तीन गुना अधिक है। इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ लेखक थॉमस मुंजेल ने कहा, 'हमारे शोध में पता चला है कि वायु प्रदूषण एक महामारी है।'
उन्होंने कहा, 'वायु प्रदूषण और धूम्रपान दोनों का ही निवारण किया जा सकता है, लेकिन बीते एक दशक से वायु प्रदूषण पर धूम्रपान से कम ध्यान दिया जा रहा है। खासतौर पर हृदय रोग विशेषज्ञ ऐसा कर रहे हैं।' वायु प्रदूषण से सबसे अधिक एशियाई देश प्रभावित हैं। चीन में इससे जिंदगी के औसतन 4.1 साल कम होते हैं। वहीं भारत में 3.9 साल और पाकिस्तान में 3.8 साल कम हो रहे हैं। इन देशों के कई शहरों में हालात काफी खराब हैं।
शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के मुताबिक, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में (20 करोड़ आबादी) प्रदूषण के छोटे कण जिंदगी के 8.5 साल कम कर रहे हैं। वहीं चीन के हूबे प्रांत (7.4 करोड़ आबादी) में ये आंकड़ा 6 साल है। अफ्रीका में भी हालात ऐसे ही हैं। यहां लोगों के जीवन के औसतन 3.1 साल कम हो रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण ना केवल फेंफड़ों से संबंधित रोग हो रहे हैं, बल्कि इसका प्रभाव हृदय और अन्य तरह के रोगों पर भी पड़ रहा है।
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