जी20 देशों में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है भारत: रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारत जी20 देशों में जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। लेकिन सदी के अंत तक इसके प्रभाव को कम करने के लिए उत्सर्जन-कटौती लक्ष्यों को प्राप्त करने के मामले में अच्छी स्थिति में है। ये बात हाल ही में आई सालाना रिपोर्ट में कही गई है। जो समूह द्वारा जलवायु के लिए किए गए कार्यों का मूल्यांकन करती है।
क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी (सीटी) द्वारा किए गए अध्ययन- 'ब्राउन टु ग्रीन' के मुताबिक पूरे जी20 देशों में बीते 20 वर्षों में औसतन हर साल 142 बिलियन अमेरीकी डॉलर का आर्थिक नुकसान और 16 हजार मौत देखी गई है। सीटी एक वैश्विक संघ है, जो जी20 देशों की जलवायु से संबंधित जानकारी देता है। भारत- रूस, फ्रांस, इटली और जर्मनी के साथ 3,661 की औसत जलवायु से संबंधित वार्षिक मौतों के मामले में शीर्ष 5 में शामिल है।
पहले कहा जा रहा था कि सदी के अंत तक तापमान में 1.5 से 3 डिग्री तक की वृद्धि हो सकती है। लेकिन सभी देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों से ये आंकड़ा सीमित रह सकता है। अब माना जा रहा है कि सूखे क्षेत्र की औसत लंबाई 68% तक कम हो जाएगी और एक वर्ष में 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले दिनों की संख्या 50 से घटकर 30 पर आ जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, चीन, यूरोपीय संघ, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब और तुर्की अपने एनडीसी लक्ष्य को पूरा कर लेंगे, लेकिन जी20 देशों में से कोई भी वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित नहीं कर पाएगा। हालांकि, भारत की स्थिति इस मामले में अन्य देशों से बेहतर रहेगी। इस अध्ययन के अनुसार, भारत वर्तमान में नवीकरणीय ऊर्जा में सबसे अधिक निवेश कर रहा था, जबकि इससे पहले ब्राजील और जर्मनी एकमात्र दीर्घकालिक नवीकरणीय ऊर्जा स्ट्रेटेजी वाले जी20 देश थे।
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