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मीसा ने माना भाइयों में है झगड़ा, लालू की अनुपस्थिति क्या राजद को करेगी बीमार?

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Misa Bharti ने किया Tejashwi Yadav - Tej Pratap Yadav के बीच मनमुटाव का खुलासा । वनइंडिया हिंदी

नई दिल्‍ली। लालू प्रसाद यादव इन दिनों बीमार हैं। उनकी सेहत लगातार बिगड़ रही है। वह इस स्थिति में नहीं कि अस्‍पताल के कमरे में चार लोगों को बिठाकर कोई सलाह दे सकें या राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए 2019 लोकसभा चुनाव की रणनीति बना सकें। चारा घोटाले में दोषी करार लालू यादव इन दिनों राजनीतिक तौर से लगभग निष्क्रिय हो चले हैं। पार्टी की कमान छोटे बेटे तेजस्‍वी यादव कंधों पर है। उधर, राजनीतिक परिवार में शादी के बाद से तेज प्रताप की महत्‍वाकांक्षाएं जोर पकड़ रही हैं। रह-रह कर तेज प्रताप के बयान आते हैं और विवाद खड़ा होने पर कभी अकाउंट हैक होने की बात कही जाती है तो कभी पार्टी के ही नेताओं पर भाई-भाई को लड़ाने का आरोप मढ़ा जाता है। लालू यादव के बेटों- तेज प्रताप और तेजस्‍वी के बीच झगड़े की अनऑफिशियल खबरों पर सोमवार को बहन मीसा यादव ने आधिकारिक मुहर लगाई तो बिहार की राजनीति में हंगामा कट गया।

मीसा भारती के बयान से खड़ा हुआ सवाल, क्‍या तेजस्‍वी लगा सकेंगे आरजेडी की नैया पार

मीसा भारती के बयान से खड़ा हुआ सवाल, क्‍या तेजस्‍वी लगा सकेंगे आरजेडी की नैया पार

मीसा ने एक प्रकार से माना कि दोनों के बीच झगड़ा है। मीसा भारती ने कहा, 'थोड़ा बहुत मनमुटाव कहां नहीं होता है...राष्ट्रीय जनता दल तो बहुत बड़ा परिवार है।' हालांकि, मामला तूल पकड़ते देख मीसा बाद में पलट गईं और सफाई जारी कर कहा कि बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है। मीसा चाहे जो कहें, लेकिन एक बात तो तय है कि जबसे लालू यादव को सजा हुई है, उनकी गैरमौजूदगी पार्टी को खल रही है। तेज प्रताप की नाराजगी की भी बड़ी वजह यही है। ऐसे में चिंता यह है कि क्‍या लालू यादव की अनुपस्थिति में तेजस्‍वी पार्टी को 2019 लोकसभा चुनाव में उस राह पर ले जा सकेंगे, जिसकी उनसे उम्‍मीद की जा रही हैं?

कुछ यूं बढ़ती चली गई तेज प्रताप और तेजस्‍वी के बीच खाई

कुछ यूं बढ़ती चली गई तेज प्रताप और तेजस्‍वी के बीच खाई

2015 विधानसभा चुनाव में लालू यादव ने नीतीश कुमार को साथ महागठबंधन बनाया, जिसमें आरजेडी को सबसे ज्‍यादा फायदा मिला। 80 सीटों के साथ आरजेडी महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनी। लालू के छोटे बेटे तेजस्‍वी को बड़े भाई तेजस्‍वी से बड़ा पद सरकार में दिया गया और वह डिप्‍टी सीएम बने। इस वक्‍त तक तेज प्रताप छोटे भाई की सफलता की कामना कर रहे थे, लेकिन बिहार के प्रमुख राजनीतिक परिवार की बेटी ऐश्‍वर्या से शादी और पिता लालू यादव के निष्क्रिय होने के चलते तेज प्रताप और तेजस्‍वी के बीच खाई बढ़ती चलती गई। पूर्व सीएम दारोगा राय की पोती और पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या से शादी के बाद तेज प्रताप को राजनीति में अपनी हैसियत की चिंता सताने लगी। ससुराल पक्ष की इच्‍छा है कि तेज प्रताप राजनीति में मुकाम हासिल करें, लेकिन स्‍वभाव से बेलाग-मस्‍तमौला तेज प्रताप के लिए यह काम आसान नहीं है। तेज प्रताप का यही स्‍वभाव अब तेजस्‍वी के मिशन 2019 की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। पार्टी के ज्‍यादातर नेता तेज प्रताप को 'सनकी' मानते हैं। अब तेजस्‍वी पार्टी को एकजुट कर आगे बढ़ेंगे तो कैसे? भाई को छोड़ेंगे तो जगहंसाई होगी, भाई की बात मानेंगे तो पार्टी नुकसान में जाएगी।

तेज प्रताप को संभाले रखना तेजस्‍वी की सबसे बड़ी चुनौती

तेज प्रताप को संभाले रखना तेजस्‍वी की सबसे बड़ी चुनौती

लालू यादव की गैरमौजूदगी में तेजस्‍वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है पार्टी को एकजुट रखने की। इसके बाद चुनावी रणनीति, सही उम्‍मीदवारों का चयन, सरकार विरोधी मुद्दे कैसे उठाए जाएं, ये सब बातें आती हैं। बिहार में पिछले दिनों शेल्‍टर होम में लड़कियों पर अत्‍याचार के मुद्दे को तेजस्‍वी ने जिस तरह से दिल्‍ली में उठाया वह उनकी राजनीतिक सूझबूझ का बेहतरीन नमूना था। तेजस्‍वी ने राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक सभी एक मंच पर खड़ा कर दिया, लेकिन इसके बाद से वह शांत हैं।

तेजस्‍वी से ज्‍यादा सक्रिय दिख रहे हैं तेज प्रताप

तेजस्‍वी से ज्‍यादा सक्रिय दिख रहे हैं तेज प्रताप

5 अगस्‍त को हुए इस कार्यक्रम के बाद से तेजस्‍वी घर के झगड़े में ही उलझे हैं। दूसरी ओर तेज प्रताप ने इस बीच कई कार्यक्रमों में हिस्‍सा लिया और विपक्ष को सीधे चुनौती दी। मानो वह आरजेडी का सबसे बड़ा चेहरा बनना चाहते हैं। तेज प्रताप ने कई बार पार्टी में उनकी बात न सुने जाने, कई नेताओं को हटाने की बातें सरेआम कहीं, जिन पर तेजस्‍वी ने कोई एक्‍शन नहीं लिया।

आरजेडी में खेमेबाजी से हो सकता है बड़ा नुकसान

तेज प्रताप और तेजस्‍वी के बीच झगड़े की बात अब जगजाहिर है। पार्टी में अंदरखाने सबको पता है कि क्‍या हो रहा है। ऐसे में तेज प्रताप और तेजस्‍वी समर्थक काफी सक्रिय हैं। हालांकि, तेजस्‍वी मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन तेज प्रताप की बात नहीं सुनी गई तो वह चुनाव से पहले बना-बनाया खेल बिगाड़ भी सकते हैं। उन्‍हें ज्‍यादा देर चुप रखना तेजस्‍वी के बस की बात नहीं। अब सवाल यह है कि पार्टी किसकी रणनीति पर चले? क्‍या दोनों मिलकर एक रणनीति पर काम कर सकते हैं? या तेज प्रताप को अलग जिम्‍मेदारी देकर तेजस्‍वी मामले से निपट सकते हैं? इन सब बातों पर आरजेडी का भविष्‍य टिका है। हालांकि, खेल अभी जारी है, खेल दबाव बनाने का है। खेल पार्टी में हैसियत का है, देखना होगा तेज प्रताप छोटे भाई तेजस्‍वी पर कितना दबाव बना पाते हैं।

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English summary
absence of Lalu Prasad yadav, Tejashwi and Tej Pratap yadav rivalry flaring up
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