अभिषेक मनु सिंघवी बोले- CAA के खिलाफ प्रदर्शन में 'भारत माता से आजादी' नारे की कोई जगह नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई तरह की नारेबाजी और पोस्टर सामने आए हैं, जिसको लेकर सियासत गरमाती रही है। बीजेपी लगातार इसको लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधती रही है। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी इन नारों पर सवाल उठाए हैं।
ये अलगाववादी नारे, इनकी कोई जगह नहीं- सिंघवी
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर लिखा, 'भारत माता से आजादी' और 'कश्मीर से आजादी' एक तरह के अलगाववादी नारे हैं, जिनका नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रोटेस्ट में कोई जगह नहीं है। वे हमारे देश की अखंडता पर सवाल उठाते हैं और भेदभावपूर्ण सीएए के खिलाफ मजबूत आंदोलन को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।' बता दें कि साल 2016 में जेएनयू में कथित तौर पर 'आजादी' के नारे लगाने को लेकर बहस छिड़ गई थी और कई दिनों तक इसपर देश की सियासत गरमाई रही थी। तब बीजेपी ने जेएनयूएसयू के पूर्व कन्हैया कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे।
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'आजादी' के नारों पर सीएम योगी ने दी थी चेतावनी
वहीं, हाल ही में जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भी कथित तौर पर 'आजादी' के नारे को लेकर विवाद हुआ था। बीते दिनों अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान इसी तरह की नारेबाजी का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पीएम मोदी और सीएम योगी के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक नारे लगाए गए थे। इसके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में आजादी के नारे लगाने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
सीएए का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
बता दें कि सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं करीब 40 दिनों से धरने पर बैठी हैं और इनकी मांग है कि नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिया जाए। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा चुका है जहां इस एक्ट के खिलाफ 140 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। पांचवें हफ्ते में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।