Abhishek Banerjee:ममता बनर्जी के भतीजे के गढ़ से चुनाव प्रचार शुरू करेंगे ओवैसी, ISF से तालमेल पर सस्पेंस
कोलकाता: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पहले की घोषणा के मुताबिक पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी शुरू कर दी है। एआईएमआईएम के चीफ खुद 25 फरवरी से वहां पर पार्टी के लिए चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रहे हैं। अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस‑ए‑इत्तेहादुल मुस्लिमीन की विचारधारा के मुताबिक ही उन्होंने इसके लिए राजधानी कोलकाता के मुस्लिम-बहुल मेटियाबुर्ज इलाके को ही चुना है। इससे भी बड़ी गौर करने वाली बात ये है कि यह क्षेत्र डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है, जहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी टीएमसी के सांसद हैं। इसलिए ओवैसी के इस कदम का कई तरह से सियासी मतलब निकाला जा रहा है। खासकर इसलिए भी कि कांग्रेस और लेफ्ट ने फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख की पार्टी से गठबंधन का ऐलान किया है।
अभिषेक बनर्जी के गढ़ से चुनाव प्रचार शुरू करने के मायने ?
एआईएमआईएम प्रमुख आने वाले 25 तारीख से बंगाल चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत कर देंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया है कि वो गुरुवार को दोपहर बाद मेटियाबुर्ज के पिंक स्कॉयर पहुंचेंगे और वहां पर एक जनसभा को संबोधित करेंगे। यह विधानसभा क्षेत्र दक्षिण 24 परगना जिले में है, जो कि डायमंड हार्बर संसदीय सीट का हिस्सा है। तृणमूल में नंबर दो माने जाने वाले और मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी के चुनाव क्षेत्र से ओवैसी का चुनाव प्रचार करना, बंगाल की राजनीति के लिए बहुत बड़ा संकेत माना जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने से उत्साहित हैदराबाद के नेता ने बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उनपर बीजेपी-विरोधी पार्टियां चुनावों में उसकी मदद करने का आरोप लगाती रही हैं।
अब्बास सिद्दीकी के साथ ओवैसी के तालमेल पर सस्पेंस!
बंगाल चुनाव में उतरने के ऐलान के कुछ दिनों बाद अपनी पहली बंगाल यात्रा के दौरान उन्होंने हुगली जिले की चर्चित फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात करके सनसनी मचा दी थी। लेकिन, बाद में इस मुस्लिम नेता ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के नाम से अलग पार्टी बना ली थी। इसके बाद कांग्रेस और लेफ्ट ने ऐलान किया था कि सिद्दीकी की पार्टी उनके गठबंधन का हिस्सा होगी। लेकिन, जानकारी के मुताबिक उन्होंने यह शर्त भी लगाया था कि वह ओवैसी की पार्टी के साथ औपचारिक तौर पर किसी तरह का तालमेल नहीं करेंगे। लेकिन, इसको लेकर फुरफुरा शरीफ के मौलाना और एमआईएम का स्टैंड अभी साफ नहीं हो पाया है।
किसका खेल बिगाड़ेंगे ओवैसी?
यही नहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की ओर से यह भी साफ नहीं किया गया है कि वह बंगाल में कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और कांग्रेस-लेफ्ट के उम्मीदवारों के खिलाफ उनकी पार्टी की भूमिका क्या होगी? लेकिन, इतना तो तय है कि हैदराबाद-आधारित पार्टी के बंगाल चुनाव में डटे रहने के ऐलान ने यहां कि चुनावी फिजा को और पेंचीदा बना दिया है। क्योंकि, इसमें भाजपा को छोड़कर सारी 'सेक्युलर' पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक पर अपना-अपना दावा जता रही हैं। वैसे तथ्य ये भी है कि ओवैसी हिंदी-भाषी मुसलमानों के नेता माने जाते हैं और बंगाल में बांग्ला बोलने वाले मुसलमानों का प्रभाव ज्यादा है। लेकिन, मुस्लिम युवाओं में उनकी बढ़ती लोकप्रियता से इस चुनाव में दिलचस्प मोड़ आने की संभावना नजर आ रही है। 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग अब किसी भी तारीखों की घोषणा कर सकता है, जो कि अप्रैल और मई में करवाए जाने की उम्मीद है।
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