Nobel Prize 2019: पुरस्कार लेने पत्नी संग भारतीय परिधान में पहुंचे अभिजीत बनर्जी, देखिए वीडियो
स्वीडन। भारतीय अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी बंधगला जैकेट और धोती में 2019 का नोबेल पुरस्कार लेने पहुंचे। उन्हें अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार उन्हें 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए दिया गया है। उनके अलावा इस क्षेत्र में दो अन्य अर्थशास्त्री फ्रांस की एस्थर डुफ्लो (अभिजीत बनर्जी की पत्नी) और अमेरिका के माइकल क्रेमर को पुरस्कार से नवाजा गया है।
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अभिजीत के साथ उनकी पत्नी भी थीं, जिन्होंने साड़ी पहनी हुई थी। वर्तमान में अभिजीत मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रफेसर हैं। इसके साथ ही वह अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के को-फाउंडर भी हैं।
Watch Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer receive their medals and diplomas at the #NobelPrize award ceremony today. Congratulations!
They were awarded the 2019 Prize in Economic Sciences “for their experimental approach to alleviating global poverty.” pic.twitter.com/c3ltP7EXcF
— The Nobel Prize (@NobelPrize) December 10, 2019
इस पुरस्कार में 9 मिलियन स्वीडन क्रोना (6.5 करोड़ रुपये) राशि मिलती है। जो तीनों विजेताओं को मिलेगी। मुंबई में जन्मे बनर्जी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले अमर्त्य सेन के बाद दूसरे भारतीय हैं। अभिजीत की पत्नी भी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स के प्रफेसर हैं।
अभिजीत बनर्जी की मां का नाम निर्मला बनर्जी सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और पिता दीपक कलकत्ता के प्रसिडेंट कॉले में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष थे। प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता से 1981 में बनर्जी ने अर्थशास्त्र में स्नातक और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से 1983 में एमए किया है।
इसके बाद उन्होंने हारवर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। इसके बाद बाद वो अमेरिका में ही काम करने लगे। उन्होंने पहले हारवर्ड और फिर प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पढ़ाया है। उनकी पहली शादी अरुंधति तुली बनर्जी से हुई, जिनसे उनका तलाक हो गया। 2015 में उन्होंने एस्थर डुफलो से शादी की, जो खुद भी अर्थशास्त्री हैं।
'हमने गरीबी खत्म करने के समाधान देने की कोशिश की'
बनर्जी का कहना है, मैं, पत्नी एस्थर डुफ्लो और अन्य साथी पिछले 20 साल से इस विषय पर काम कर रहे हैं। हमने गरीबी खत्म करने के समाधान देने की कोशिश की। कोलकाता में बिताए दिनों में इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिली।
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