अभय चौटाला ने स्पीकर को लिखी चिट्ठी, कहा- 26 जनवरी तक नहीं वापस हुए कृषि कानून, तो इस्तीफा समझें
नई दिल्ली। Abhay Singh Chautala resign कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफे का दौर जारी है। अब हरियाणा के इंडियन नेशनल लोकदल (Indian National Lokdal) के नेता अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala) ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अभय चौटाला ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को एक भेजी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर कृषि कानून वापस नहीं लिया जाता तो इसे उनका त्यागपत्र समझा जाए।
26 जनवरी तक कृषि कानून वापस नहीं तो इस्तीफा- अभय चौटाला
अभय चौटाला ने अपनी चिट्ठी में 26 जनवरी तक का वक्त दिया है। उन्होंने कहा कि यदि 26 जनवरी तक केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा नहीं कि तो हरियाणा विधानसभा इसे उनका इस्तीफा समझें। यही नहीं, अभय चौटाला ने इस चिट्ठी के बाद यह भी दावा किया कि एक बार उनका इस्तीफा मंजूर हुआ तो हरियाणा विधानसभा से इस्तीफे की लाइन लग जाएगी।
Indian National Lokdal leader Abhay Singh Chautala writes to Haryana Assembly Speaker, says, "If by 26th January the Centre does not take back the farm laws, then, this letter should be considered as my resignation from the state assembly". pic.twitter.com/w7nNQqQEJJ
— ANI (@ANI) January 11, 2021
चौधरी देवीलाल की विरासत का रखवाला
अभय चौटाला ने अपने इस्तीफे के फैसले को चौधरी देवीलाल की विरासत का रखवाला बताया है। उनका कहना है कि ग्रामीणों ने उनसे कहा है कि यह फैसला सही मायने में चौधरी देवीलाल की विरासत आगे बढ़ानेवाला है, क्योंकि चौधरी देवीलाल भी जनता और किसानों के साथ हमेशा रहे हैं। और जब भी इनके विरोध में कोई फैसला लिया गया है तो हमेशा अपना इस्तीफा दिया था।
कानून वापस नहीं तो विधानसभा में मौजूदगी का कोई महत्व नहीं
उनका कहना है कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार कानून वापस लेने के रूख में नजर नहीं आ रही है। ऐसे में विधानसभा में मेरी मौजूदगी का मुझे कोई महत्व नहीं नजर आता। चौटाला ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने से ऐसी भयंकर ठंड और बारिश में भी किसान अपनी मांगों को डटे हुए हैं। जब पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना हो तो जीएसटी में तो संशोधन कर दिया जाता है, लेकिन किसानों की मांग पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।