'आप' के नेता खेलते जुबानी कुश्ती, इमेज मिली धूल में
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) आम आदमी पार्टी (आप) में पहले प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव को पैदल करने के बाद आप की महाराष्ट्र इकाई की नेता अंजली दमानिया के अचानक से पार्टी को छोड़ने से आप में संकट गहरा गया है। अब आप में जमकर कुश्ती हो रही हैं।
आरोपों का दौर
अब नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। वरिष्ठ नेता मयंक गांधी ने गुरुवार को सार्वजनिक तौर पर योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। मयंक गाँधी ने अपने ब्लॉग में कहा है, ''मैं स्तब्ध रह गया जब पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यादव और भूषण को राजनीतिक मामलों की समिति से हटा दिया।''
कहां जाएगी आप
अब सवाल यह है कि आप यहां से कहां जाएगी। किस-किस को कत्ल करेंगे केजरीवाल... जानकार कह रहे हैं कि उनमें हिम्मत नहीं है कि वे मयंक गांधी को बाहर निकाल सकें।
विजन रखा
मयंक गांधी ने आम आदमी पार्टी बनने और चलाए जाने के असली विजन को बेहद ईमानदारी से सबके सामने रख दिया है। इसलिए केजरीवाल को समझना होगा कि 67 सीटें जीत जाना उनकी वजह से मुमकिन हुआ।
दुआएं मिलीं
राजनीतिक विशलेषक कहते हैं कि कांग्रेस और भाजपा की घटिया व परंपरागत राजनीति से उबे करोड़ों लोगों का तन मन धन लगा, दुआएं मिलीं, आशीर्वाद और प्यार मिला, अलग-अलग किस्म की क्रांतिकारी धाराएं एकजुट हुईं तब जाकर सब मिलाकर आम आदमी पार्टी नामक परिघटना तैयार होती है।
इसलिए केजरीवाल को समझना होगा कि उनकी वजह से ही नहीं आप को कारण 67सीटें मिलीं। ये सब कुछ एक बड़ी परिघटना का हिस्सा है जिसके तुम भी एक गतिमान पार्ट हो और जिसके योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण भी एक्टिव तत्व हैं। जिस दिन आम आदमी पार्टी के भीतर आंतरिक बहसों का गला घोंटे जाने लगा और आलाकमान कल्चर डेवलप हो गया, तो समझ लेना आम आदमी पार्टी की आत्मा मर गई।
आम आदमी पार्टी की खासियत ही इसकी इनटरनल डेमोक्रेसी है और विविध किस्म के मन-मस्तिष्क हैं। तभी तो संघी से लेकर कम्युनिस्ट तक ने आम आदमी पार्टी को अंदर खाने सपोर्ट किया और दिल्ली में बीजेपी की बैंड बजा दी। ये सब लोग 'आप' के उतने ही बड़े शेयरहोल्डर हैं जितना कोई केजरीवाल या कोई संजय सिंह या कोई आशुतोष। जानकारों का कहना है कि आप में ताजा कलह उसके लिए बहुत भारी पड़ने वाली है। पार्टी की इमेज को मिट्टी में मिल ही रही है।