दिल्ली चुनाव: AAP ने जितने 'अपराधियों' को टिकट दिए, उतने से ही जुटेगा बहुमत का आंकड़ा
नई दिल्ली- दिल्ली चुनाव में इस बार बड़े-बड़े अपराधी चुनावी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं। लेकिन, इसमें भी सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने अपने सभी विरोधी पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है। ये खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और दिल्ली इलेक्शन वॉच की एक ताजा रिपोर्ट से हुआ है। गौरतलब है कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए विधानसभा में 36 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है और आम आदमी पार्टी के 36 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर अपराधों में केस दर्ज हैं। हालांकि, आपराधिक प्रवृत्ति के उम्मीदवारों से कोई भी दल नहीं बचा है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी इसमें सबसे अव्वल है और यह जानकारी एडीआर के खुलासे से सामने आई है।
एएपी के 36 उम्मीदवारों पर गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज हैं
एडीआर की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में कुल 104 उम्मीदवारों ने खुलासा किया है कि उनके ऊपर गंभीर अपराधों के मामले में केस चल रहे हैं। राजधानी दिल्ली के लिए यह स्थिति बहुत ही भयंकर है, क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनावों में ऐसे अपराधी प्रवृत्ति वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या सिर्फ 74 ही थी, जिनमें इस बार गंभीर अपराध के आरोपी उम्मीदवारों की संख्या में 30 का इजाफा हो गया है। चुनाव पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक सबसे ज्यादा यानि 36 उम्मीदवार सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं, जिनपर गंभीर अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं। गौरतलब है कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा भी 36 विधायकों का ही है, जितने कि रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को गंभीर अपराधों के श्रेणी में बताया गया है।
बाकी क्रिमिनल केस वाले प्रत्याशियों में भी एएपी आगे
एडीआर की रिपोर्ट यह भी बताती है कि आम आदमी पार्टी के 70 उम्मीदवारों में से 42 यानि 60%, भाजपा के के 67 प्रत्याशियों में से 26 यानि 39% और कांग्रेस के 66 उम्मीदवारों में से 18 यानि 27% पर अपराध के कोई न कोई मामले दर्ज हैं। इसी तरह बीएसपी के 66 में से 12 यानि 18% और एनसीपी के 5 में से 3 यानि 60% प्रत्याशियों ने अपने हलफनामे में खुद पर आपराधिक केस दर्ज होने की बात मानी है। लेकिन, बात गंभीर अपराधों की आती है तो सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी सबसे आगे है और उसके 70 में से 36 उम्मीदवारों पर गंभीर अपराधों के केस दर्ज हैं। वहीं बीजेपी के 67 में से 17, कांग्रेस के 66 में से 13 और बसपा के 66 में से 10 प्रत्याशियों और एनसीपी के 5 में से 2 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर अपराध के मामलों में केस चल रहे हैं।
32 उम्मीदवार महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी
रिपोर्ट की सबसे गंभीर बात ये है कि जितने भी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों में केस दर्ज हैं, उनमें से 32 प्रत्याशी महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, '32 में से एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर रेप (आईपीसी की धारा-376) का केस होने की घोषणा की है।' जबकि, करीब 4 उम्मीदवारों ने हत्या की कोशिश और 20 ने खुद पर दोषी ठहराए जाने का केस चलने का बात कही है। जबकि, 8 उम्मीदवारों पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में केस हैं। ऐसे उम्मीदवारों में आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान (ओखला), सोमनाथ भारती (मालवीय नगर), नरेश यादव (मेहरौली) और दिलीप पांडे (तिमारपुर) शामिल हैं। इसी तरह भाजपा के तेजिंदर पाल सिंह बग्गा और कांग्रेस के जय किशन ने भी अपने ऊपर ऐसे केस होने की बात मानी है।
सभी दलों में दागियों की भरमार
दिल्ली के जिन उम्मीदवार ने अपने ऊपर दोषी ठहराए जाने का मुकदमा चलने की बात मानी है, उनमें आम आदमी पार्टी के प्रकाश जरवाल (देवली), गुलाब सिंह (मटियाला), सही राम पहलवान (तुगलकाबाद), नवीन चौधरी (गांधी नगर), जरनैल सिंह (तिलक नगर), दिनेश मोहनिया (संगम विहार), परमिला टोकस (आर के पुरम), सोम दत्त (सदर बाजार) और राम निवास गोयल (शाहदरा) शामिल हैं। इसी तरह कांग्रेस के जय किशन (सुल्तानपुर माजरा), अमरीश सिंह गौतम (कोंडली), जेएस नयोल (शालीमार बाग) और मिर्जा जावेद अली (मटिया महल) ने भी ऐसे ही मुकदमे चलने की बात मानी है। जबकि, भाजपा के तेजिंदर पाल सिंह बग्गा (हरि नगर), जितेंद्र महाजन (रोहतास नगर), कैलाश संकला (मादीपुर), आशीष सूद (जनकपुरी) और अरविंद कुमार (देवली) ने भी ऐसे ही केस चलने की बात कही है।
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