SDMC के पार्षद फंड 1 करोड रुपये किए जाने पर भड़की AAP, बीजेपी पर लगाया गंभीर आरोप
नई दिल्ली। बीजेपी शासित दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) में पार्षद निधि 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने कड़ी आलोचना की है। AAP ने मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी शासित दिल्ली नगर निगमों के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन वह पार्षद निधि को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर रही है। इसकी आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का इंतजाम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चुनावों से पहले एमसीडी को भाजपा पूरी तरह से लूटने की कोशिश कर रही है। भाजपा शासित एमसीडी कहती है कि कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं हैं। ऐसे में फिर पार्षद निधि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कैसे कर सकते हैं। एमसीडी के बारे में कहा जाता है कि पार्षदों को फंड, सड़क और नालियां बनाने के लिए दिया जाता है। लेकिन फंड से सिर्फ कागजों के ऊपर ही काम किया जाता है।
एमसीडी की ऑडिट रिपोर्ट के अंदर ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं। एमसीडी के ऑडिटर का कहना है कि सभी काम संदिग्ध तरीके से हुए हैं और कार्यों का भुगतान पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पार्षदों को लगता है कि आगामी चुनाव में पार्टी उन्हें टिकट नहीं देगी। इसलिए वे अपने कार्यकाल के आखरी साल में एमसीडी को पूरी तरह से लूटना चाहते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने भाजपा शासित एमसीडी में हुए घोटालों को उजागर करते हुए कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की मंगलवार को हुई घोषणाओं में बहुत चौंकाने वाली बातें सामने आयी हैं। पूरी दिल्ली के अंदर एमसीडी के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। एमसीडी के डॉक्टरों, नर्सों, अध्यापकों, सफाई कर्मचारियों सहित तमाम कर्मचारियों की तनख्वाह चार-पाच महीने से रुकी हुई है।
हाइकोर्ट की तरफ से यह कहा गया कि एमसीडी के उच्च अधिकारी, पार्षदों को जो सुविधाएं मिल रही हैं उनको क्यों न खत्म कर दिया जाए। स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष, महापौर, उपमहापौर सहित अन्य को कार्यालय और गाड़ियां समेत तमाम सुविधाएं मिली हुई हैं। इसके अलावा घर और दफ्तर में कर्मचारी रखे हुए हैं। हाइकोर्ट ने कहा है कि इनको सुविधाएं क्यों दी जाएं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी एक तरफ फंड न होने का रोना रोती है और कर्मचारियों को महीनों तक तनख्वाह नहीं देती है। दूसरी तरफ इन्होंने पार्षदों का फंड पहले 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया था। अब कल इन्होंने 50 लाख के फंड को बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया है। यह कैसे संभव है कि एक तरफ आपके पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं। दूसरी तरफ आपने पार्षदों का फंड 50 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया।उन्होंने कहा कि इसके पीछे का बड़ा कारण क्या है, मैं आपको समझाना चाहता हूं। यह साउथ दिल्ली नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट है। दिल्ली सरकार की ऑडिट रिपोर्ट नहीं, इनके विभाग की ही ऑडिट रिपोर्ट है।
एमसीडी के बारे में अक्सर कहा जाता है कि पार्षदों को यह फंड सड़क, नालियां बनाने के लिए दिया जाता है लेकिन ज्यादातर जगहों पर फंड से सिर्फ कागजों के ऊपर ही काम किया जाता है। मतलब 25 लाख की अगर कोई सड़क बननी होगी तो उसका टेंडर निकलेगा। टेंडर 20 से 22 लाख रुपए में किसी ठेकेदार को दे दिया जाएगा। उसका वर्क आर्डर हो जाएगा और सड़क कागजों में तैयार होने के बाद भुगतान भी हो जाएगा। मगर जमीन पर वह सड़क नहीं बनेगी। यह पैसा पार्षद और अधिकारी मिलकर के आधा-आधा बांट लेंगे। जनता को पता ही नहीं चलेगा कि 25 लाख की सड़क कागजों में बनकर तैयार हो गई और गायब भी हो गई।