ऐसा क्या हुआ जो 10 साल तक कमरे में कैद रही सवा करोड़ की मालकिन युवती, झकझोर देगी कहानी
हल्द्वानी। कभी-कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो इनसान को न केवल पूरी तरह से झकझोर कर रख देती है बल्कि यह घटनाएं जीवनभर के लिए दंश बनकर रह जाती हैं। यहां हम जिस युवती की दर्दनाक कहानी आपको बताने जा रहे हैं उसकी जिंदगी में कुछ ऐसी ही घटना घटी कि युवती ने खुद को एक बंद कमरे में कैद कर लिया। लोगों से उसे डर लगने लगा।
इनसानों से डर गई युवती
सवा करोड़ रुपये की मालकिन इस युवती का न रिश्तेदारों ने सहयोग दिया और ही पड़ोसियों ने। इस लड़की ने मानव के डर से खुद को 10 साल एक कमरे में कैद करके रखा और जब इस युवती के जीवन में एक महिला ने प्रवेश किया तो इस युवती की कहानी उसके दिल से बाहर निकल कर आई।
स्मिता शाह की दर्दनाक कहानी
यह व्यथा है उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी स्मिता शाह की। आज स्मिता शाह की उम्र 33 साल हो चुकी है। जिस वक्त स्मिता शाह 22 साल की थी और बीए तृतीय वर्ष की छात्रा थी तो उसके पिता नरेंद्र लाल शर्मा, जो उत्तराखंड सरकार में वायरलेस आफिसर थे, ने बेटी के हाथ पीले करने की तैयारी प्रारंभ कर दी। परिवार में शादी की तैयारियों का माहौल बना था कि अचानक नरेंद्र लाल शाह को दिल का दौरा पड़ गया और उनका निधन हो गया।
मां-पिता की मौत से लगा सदमा
नरेंद्र लाल शाह की मौत के बाद स्मिता को ऐसा सदमा लगा कि उसे अपना कुछ पता नहीं रहा। मां भगवती शाह भी बेहोश होकर पड़ी रही। अंतत: मोहल्लेवालों ने नरेंद्र शाह का अंतिम संस्कार किया। स्मिता शाह इस सदमे से उबरी भी नहीं थी कि कुछ दिनों बाद मां भगवती शाह का भी देहांत हो गया।
हुई छेड़खानी का शिकार तो लगा झटका
करीब पंद्रह दिनों के अंतराल जिंदगी में दो बडे झटके पड़ने के कारण स्मिता शाह पूरी तरह से टूट गई और किसी ने उसकी कोई सहायता नहीं, बल्कि स्मिता शाह के अकेली होने का फायदा उठा कर उसके यौन शोषण का प्रयास किया जिसके बाद स्मिता शाह को इनसान से डर लगने लगा और उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। यदि उसके पास मोहल्ले का कोई व्यक्ति जाने का प्रयास भी करता तो स्मिता शाह उससे इस कदर डरती थी कि कमरे के एक कोने में ही छिपकर बैठ जाती और अपनी आंख बंद कर लेती।
एक कमरे में कैद हुई स्मिता
हालात इतने बदतर हो गए थे कि स्मिता शाह एक कमरे में ही सबकुछ करती। मोहल्ले के लोग उसे खाना देने से भी डरते और कमरे के दरवाजे पर ही खाना आदि छोड़कर चले जाते थे। कमरे का दरवाजा खोलने के बाद स्मिता शाह इधर-उधर देखने के बाद ही भोजन उठाती और एक पागल की तरह भोजन करती। कुल मिलाकर स्मिता शाह पूरी तरह से मानसिक रोगी हो चुकी थी और उसके सही होने की उम्मीद पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी।
गुंजन बनकर आई रहनुमा
इसके बाद पूर्व स्मिता शाह की जिंदगी में हल्द्वानी की रहने वाली और सहकारी विकास परियोजना में लेखाकार गुंजन बिष्ट आई। गुंजन को जब स्मिता शाह के बारे में पता चला तो वह अपनी एक सहयोगी के साथ स्मिता शाह के घर गई। गुंजन भी डर रही थी कि कहीं कुछ गलत न हो जाए। लेकिन गुंजन ने हिम्मत करके सबसे पहले स्मिता शाह को कमरे से बाहर निकाला और सबसे पहले स्मिता शाह को स्रान कराया। इसके बाद गुंजन ने स्मिता शाह को फल दिए तो स्मिता शाह ने फल फेंक दिए। गुंजन ने अपने पति कमल अरोड़ा से स्मिता शाह को अपने घर लाने की बात कही तो कमल अरोड़ा ने भी गुंजन का पूरा साथ दिया। पूरे दस दिन तक गुंजन ने स्मिता शाह को अपने घर पर रखा, फिर देहरादून के एक न्यूरो सर्जन से उपचार कराया। आज स्मिता शाह पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। गुंजन ने बताया कि अब स्मिता शाह सही तरह से बात करने के साथ ही लोगों को पहचानने भी लगी है।
हल्द्वानी में सबसे पहली स्कूटी थी स्मिता शाह के पास
दस साल तक दिमागी रुप से बीमार रहने वाली स्मिता शाह अब 33 साल की हो चुकी है। गुंजन बिष्ट ने बताया कि स्मिता शाह का परिवार साधन संपन्न परिवार था। पिता सरकारी जॉब में होने के कारण किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। बताया कि हलद्वानी में स्मिता के पास सबसे पहली स्कूटी आई थी। स्मिता शाह के बाद ही हलद्वानी में अन्य युवतियों ने स्कूटी खरीदी।
एक करोड़ 24 लाख हैं बैंक खाते में
बताया जाता है कि बेटी की शादी की तैयारी के लिए स्मिता शाह के पिता नरेंद्र शाह पूरी तरह से तैयार थे। बेटी को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसका वह पूरा ध्यान रखते थे। बताया जाता है कि स्मिता शाह के रिश्तेदारों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। स्मिता शाह के खाते में एक करोड़ 24 लाख रुपये की राशि बताई जाती है, जो उसके पिता ने स्मिता के खाते में जमा कराए थे। यह रकम स्मिता शाह की शादी में खर्च होनी थी, लेकिन खास बात यह है कि इस बात का स्मिता शाह को भी पता नहीं कि वह सवा करोड़ रुपये की मालकिन है। स्मिता शाह के हालात में सुधार होने के बाद अब उसके मकान को संवारा जा रहा है।
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