हिंदी सिनेमा का एक ऐसा गाना जिसमें है चीन की बर्बादी का इतिहास
हिंदी सिनेमा का एक गाना ऐसा भी है जिसमें चीन के इतिहास और उसकी बर्बादी का जिक्र है। इस गाने में उस यारकंद की चर्चा है जो आज चीन के शिनजियांग प्रांत का एक शहर है। उसके अलावा इस लिरिक्स में समरकंद, ताशकंद और बुखारा को भी सुरों में ढाला गया है। समरकंद आधुनिक उजेबेकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है तो ताशकंद उजबेकिस्तान की राजधानी है। भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत यहीं हुई थी। बुखारा भी उजबेकिस्तान का ही एक शहर है। गीत के आखिरी अंतरे में चीन के रेशम और हिन्द के मलमल को भी समेटा गया है। हिन्दी सिनेमा के इस अदभुत गीत में इतिहास और भूगोल का अभूतपूर्व संगम है।
समरकंद के, यारकंद के.. तोहफे हैं पुरनूर
ये गाना है फिल्म चंगेज खान का जो 1957 में रिलीज हुई थी। शेख मुख्तार ने चंगेज खान की भूमिका में शानदार अभिनय किया है। प्रेमनाथ और बीना राय भी अहम किरदार में हैं। इंटरवल के बाद फिल्म में एक गाना है- समरकंद के, यारकंद के, काशकंद के तोहफे हैं पुरनूर.... ये बुखारा की बुलबुल...ये हिंद से आयी है मलमल... ये चीनी रेशम का तोहफा... इन तोहफों को अपनी नजर से क्यों करती हो दूर.....। इस गीत को लिखा है मशहूर गीतकार वर्मा मलिक ने। ये वही वर्मा मलिक हैं जिन्होंने फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान' का कालजयी गाना लिखा है... बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गयी...। फिल्म चंगेज खान के इस गीत को गाया है लता मंगेश्कर ने। संगीतकार है हंसराज बहल। फिल्म का निर्देशन किया है केदार कपूर ने। फिल्म चंगेज खान उस दौर में रिलीज हुई थी जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर भारत के साथ बड़ा धोखा किया था। प्रधानमंत्री नेहरू तब भी चीन को अपना मित्र मानते थे लेकिन हिन्दुस्तान की आम जनता चीन के इस बलप्रयोग से नाखुश थी।
चंगेज खान पर हिन्दी फिल्म
मंगोलिया का रहने वाला चंगेज खान मध्यकालीन इतिहास का एक बर्बर और शक्तिशाली शासक था। खान सरनेम उसके मुसलमान होने का द्योतक नहीं है। खान मूल रूप से खागान या कगान का अपभ्रंश है जिसका मतलब है महान शासक या प्रतापी सम्राट। खगान या खान एक उपाधि है जिसे मंगोलिया के राजा कई राज्यों को जीतने के बाद अपने नाम के साथ जोड़ते थे। मंगोलिया के कई प्राचीन शासक तब से खान लिखते रहे हैं जब इस्लाम धर्म का उदय भी नहीं हुआ था। चंगेज खान शमिनिस्म धर्म का अनुयायी था जिसका उस समय मंगोलिया और साइबेरिया इलाके में प्रभाव था। चंगेज खान ने अपने सैन्य पराक्रम से चीन से लेकर मध्य एशिया, ईरान, इराक, बगदाद, तुर्की और पौलेंड तक अपना साम्राज्य फैला लिया था। उसने एशिया से लेकर यूरोप तक अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। 1219 से 1221 के बीच चंगेज खान ने समरकंद, ताशकंद, बुखारा और यारकंद को अपने अधीन कर लिया था। उसने घोषणा कर दी थी कि जीते हुए सभी कबीलों के लोग मंगोल कहलाएंगे चाहे उनकी मूल जाति कुछ और क्यों न हो। चीन के शिनडियांग में रहने वाले मौजूदा उइगरों को भी तब चेगंज खान ने मंगोल कहलाने पर मजबूर कर दिया था। चंगेज खान ने चीन की मुख्यभूमि पर भी कई आक्रमण किये और उसे तहतनहस कर दिया।
चीन पर आक्रमण
चीन को मिट्टी में मिलाना चंगेज खान के बचपन का सपना था। चीन ने तातार कबीले और मंगोलों के बीच नफरत फैला कर आपस में लड़ाया था। इस लड़ाई में चंगेज के परदादा अंबाघाई की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। चंगेज खान ने जब तातार समेत सभी कबीलों को एक कर लिया तो उसने चीन पर आक्रमण करने की योजना बनायी। चंगेज खान इसलिए एक सफल विजेता बना क्यों कि उसमें सैन्य रणनीति बनाने की असाधारण प्रतिभा थी। चंगेज के पास सिर्फ एक लाख घुड़सवार सैनिक थे फिर उसने 25 लाख सेना से लैस चीन को हराने की बीड़ा उठाया। उसे अपनी ताकत और सामरिक सूझबूझ पर बहुत भरोसा था। 1205 में उसने चीन पर पहली चढ़ाई की लेकिन जीत न सका। उस समय चीन में जिन वंश का शासन था। चंगेज खान ने इस नाकामी की समीक्षा की और नयी व्यूहरचना तैयार की। चीन की महान दीवार भी उसकी राह में एक बड़ी बाधा थी। इस दीवार के किनारे करीब आठ लाख चीनी सैनिक उसकी सुरक्षा तैनात थे। चंगेज ने छापामार पद्धति से लंबी लड़ाई लड़ने की योजना बनायी।
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चंगेज ने कैसे भेदी चीन की दीवार ?
चंगेज खान दुनिया का एकमात्र शासक है जिसने चीन की महान दीवार को भेदा था। एक बार नहीं बल्कि कई बाऱ। 1209 में उसने चीन पर फिर आक्रमण किया। इस बार उसने चीन पर कई मोर्चों से हमला बोला। चंगेज की युद्धनीति में गुप्तचरों की अहम भूमिका होती थी। उसके गुप्तचरों ने पता लगा लिया कि चीन की विशाल दीवार कहां-कहां आपस में नहीं जुड़ी है। उसने चीन में प्रवेश करने के लिए इसाई और हूणों को अपने साथ मिला लिया। चीन की दीवार के पास चंगेज ने एक चीनी दूत को बंदी बना लिया और उससे यह जान लिया कि चीन के कितने सैनिक कहां- कहां तैनात हैं। चंगेज जानता था कि पहाड़ों पर घोड़ों से युद्ध नहीं लड़ा जा सकता। इसलिए उसने पैदल सेना को आगे रखा और चीन की दीवार से सटे सैनिकों पर हमला बोल दिया। भयानक रक्पात हुआ और चंगेज ने 8 लाख में से अधिकांश चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। रूक रूक कर लड़ाई चलती रही। चीन सैनिक समझ नहीं पाते कि किस मोर्च से कब हमला होगा। यह गफलत ही चीनियों की हार का सबसे बड़ा कारण बनी। 1213 में चंगेज ने चीन की दीवार भेद डाली। 1215 में वह जरचेन चीनी शासकों ( जिन वंश) की राजधानी झोंगड़ु तक पहुंच गया। बीजिंग का प्राचीन नाम झोंगड़ू था। चंगेज ने झोंगड़ू में लूटपाट और हिंसा से आतंक फैला दिया था। उसने चीन के जिन वंश के शासन को उखाड़ फेंका। फिर चंगेज के पुत्र नें चीन के शुंग वंश का नाश किया। करीब 25 साल की लंबी लड़ाई में मंगोलों वे चीनियों का भयंकर कत्लेआम किया। इस तरह छोटे से देश मंगोलिया के शासक चंगेज ने विशाल आबादी वाले चीन को अधीन कर अपने प्रतिशोध का पूरा किया था। आज भी मंगोलिया के लोग युद्ध में रोमांच का अनुभव करते हैं। हिन्दुस्तान के सुपरहिट सीरियल ‘महाभारत' को मंगोलीयाई भाषा में डब कर प्रसारित किया गया था। महाभारत मंगोलिया में भी बहुत लोकप्रिय हुआ था।