एक लड़की, जो अचानक जुड़वां बच्चियों की मां बन गई
रविवार की सुबह जब मैं रोज़ की तरह काम पर निकली तब पता नहीं था कि दो बच्चियों की मां बनकर घर वापस लौटूंगी.
वो संडे की सुबह थी इसलिए हॉस्पिटल जाने की जल्दी नहीं थी. मैं आराम से घर के काम निबटा रही थी तभी एक कॉल आई और बताया गया कि एक इमर्जेंसी केस आ गया है.
पता चला कि एक महिला की डिलीवरी करानी है क्योंकि उसकी हालत काफ़ी नाज़ुक है.
रविवार की सुबह जब मैं रोज़ की तरह काम पर निकली तब पता नहीं था कि दो बच्चियों की मां बनकर घर वापस लौटूंगी.
वो संडे की सुबह थी इसलिए हॉस्पिटल जाने की जल्दी नहीं थी. मैं आराम से घर के काम निबटा रही थी तभी एक कॉल आई और बताया गया कि एक इमर्जेंसी केस आ गया है.
पता चला कि एक महिला की डिलीवरी करानी है क्योंकि उसकी हालत काफ़ी नाज़ुक है. मैं फ़ौरन हॉस्पिटल पहुंची और डिलीवरी कराई. महिला ने दो बच्चियों को जन्म दिया था.
अभी मैं दस्ताने उतारकर हाथ ही धो रही थी किसी ने आकर बताया कि महिला बच्चियों को अपनाने से इनकार कर रही है.
पूछने पर उसने कहा कि वो विधवा है और उसकी पहले से दो बेटियां हैं. जब वो गर्भवती उसका कहना था कि अकेले चार बेटियों को पालना उसके लिए मुमकिन नहीं है. लोगों ने उसे समझाने की बहुत क़ोशिश की लेकिन वो नहीं मानी.
हम सोचने लगे कि अब इन बच्चियों का क्या होगा. सब एक-दूसरे की तरफ़ देख रहे थे और तभी मैंने कह दिया कि मैं दोनों को गोद ले रही हूं.
मैंने ज़्यादा सोचा नहीं. सोचने का वक़्त ही नहीं था. बड़ी बच्ची की तबीयत ख़राब हो रही थी, उस पर ध्यान देना ज़रूरी था. हमने मां से हलफ़नामे पर साइन कराया और मैंने बच्चियों को गोद ले लिया.
फ़र्रूखाबाद जैसी छोटी सी जगह में एक कुंवारी लड़की ने जुड़वां बच्चियों को गोद ले लिया. अस्पताल के लोगों ने कोमल को ऐसा करने से मना किया लेकिन वो अपना मन बना चुकी थीं.
'हां, मैं मां नहीं बनना चाहती...तो?
ये तकरीबन दो साल पहले की बात है जब कोमल की नई-नई नौकरी लगी थी. बुंलदशहर के एक साधारण से परिवार में पली-बढ़ी कोमल उस वक़्त रिलेशनशिप और शादी के बारे में सोच भी नहीं रही थीं.
काम के अलावा उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा था. ऐसे में कोमल को भी नहीं पता था कि वो अचानक दो बच्चियों की मां बन जाएंगी लेकिन आज वो उत्साह से भरकर अपनी यही कहानी सुना रही हैं.
कुछ पलों में भावुक होकर कोमल ने दो बच्चियों को अपना तो लिया थी लेकिन आगे की डगर आसान नहीं था.
उनके माता-पिता को इसकी ख़बर लगी तो वो बहुत गुस्सा हुए. उनके पापा ने तो साफ़ कह दिया कि अब उनका कोमल से कोई रिश्ता नहीं रहा. साफ कह दिया कि चाहे जो हो जाए, वो बच्चियों को नहीं छोड़ सकतीं.
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इसी बीच उनका ट्रांसफ़र हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में हो गया और वो दोनों बच्चियों को लेकर वहां चली गईं.
वहां उन्होंने किराए पर एक कमरा लिया. कुछ दिन उनकी छोटी बहन उनके साथ आकर रही लेकिन बाद में उन्होंने अकेले ही सब संभाला. वो बहन बच्चियों को काजू और किशमिश कहकर पुकारने लगीं. बाद में उनका नाम रीत और रिदम रखा गया.
लोग अक्सर उनसे इशारों-इशारों में पूछते थे कि बच्चियां किसकी हैं. कोमल बताती हैं , "कोई सीधे नहीं पूछता था. वो पूछते थे, आपके पति कहां रहते हैं? क्या काम करते हैं? मैं भी साफ़ बता देती थी कि मेरी शादी नहीं हुई है और मैंने बच्चों को गोद लिया है."
कोमल के मकान मालिक भी शुरुआत में काजू और किशमिश को लेकर सहज नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे वो ख़ुद ही उन्हें दुलार करने लग गए. इस दौरान कोमल की मां तो मान गई थीं लेकिन उनके पापा का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं हुआ था.
वो अब भी चाहते थे कि बच्चियों को किसी अनाथालय में जाए या किसी शादीशुदा कपल को गोद लेने के लिए दे दिया जाए. मगर ऐसा न होना था और न हुआ.
क़िस्सा मां-बेटे के बीच एक अजीब मुक़दमे का
कोमल के परिवार और रिश्तेदारी में उनकी शादी की उम्मीद छोड़ दी गई थी. वो ख़ुद भी दो-दो बच्चियों को संभालने में इतनी व्यस्त थीं कि कुछ और सोचने का वक़्त ही नहीं था. उधर किस्मत कुछ और ही प्लान बना रही थी.
हमीरपुर में कोमल की मुलाकात राहुल पराशर से हुई. राहुल टिंबर बिज़नस में थे और वो भी उसी बिल्डिंग में रहते थे जिसमें कोमल. दोनों में बातचीत हुई और दोस्ती भी.
उन्होंने बताया, "प्यार जैसा तो कुछ नहीं था शायद लेकिन इन्होंने मुझसे शादी की बात कही. मैंने शादी के लिए हां तो कर दी लेकिन एक शर्त पर. शर्त ये थी कि काजू और किशमिश मेरे साथ ही रहेंगी और मैं अपना बच्चा नहीं करूंगी."
ऐसा नहीं है कि राहुल और उनका परिवार आसानी से इसके लिए तैयार हो गया. बहुत दिक्कतें हुईं, तमाम सवाल-जवाब हुए. राहुल की मां ये सोचकर ही घबरा रही थीं कि उनकी बहू दो-दो बेटियों को लेकर घर आएगी. हालांकि आख़िर में सब सेटल हो गया और शादी भी हो गई.
फ़िलहाल कोमल चंडीगढ़ के एक हॉस्पिटल में काम कर रही हैं. वो अपने पति और दोनों बेटियों के साथ वहीं रहती हैं. उनकी शादी के एक साल हो गए हैं. काजू और किशमिश भी एक साल की हो गई हैं.
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वो मुस्कुराते हुए कहती हैं, "ये दोनों तो राहुल के ज़्यादा करीब हैं. वो भी इनसे ख़ूब प्यार करते हैं. वो समझते हैं कि मेरे लिए काजू और किशमिश की कितनी अहमियत है. वो अक्सर मुझे ताना भी मारते हैं कि मैं उनसे कम प्यार करती हूं और मैं हंसकर हामी भरती हूं."
अब भी कोमल के सास-ससुर कभी-कभार उनसे अपने एक बच्चे के लिए कहते हैं लेकिन कोमल हर बार इनकार करती हैं. उनका मानना है कि काजू और किशमिश ही उनके लिए सबकुछ हैं.
शुरुआती दिनों में उन्होंने उनकी बायलॉजिकल मां से बात करने की क़ोशिश भी थी लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पाया. इसके बाद उन्होंने दोनों को क़ानूनी तरीके से गोद ले लिया.
कोमल बात करते-करते अचानक भावुक हो जाती हैं और कहती हैं, "जब वो बड़ी हो जाएंगी तो मैं उन्हें बताऊंगी कि उन्होंने मुझे अपनाया है, मैंने उन्हें नहीं..."
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