मानों या मानों लेकिन रामपाल के आश्रम में अपने आप बनती थीं रोटियां
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। बहुत वर्षों पहले टीवी पर एक शो आता था, 'गहलक्ष्मी का जिन्न,' इस शो में घर की लीडिंग लेडी यानी गृहस्वामिनी के पास एक ऐसा जिनी आता है, जो बस चुटकी बजाते ही पलभर में किचन का काम खत्म कर देता था। रोटी पका देता था और कुछ ही सेकेंड्स में खाना तैयार।लेकिन संत रामपाल का आश्रम शायद इन 'गृहलक्ष्मी के जिन्न' की तरह ही था। इस आश्रम में कुछ ही सेकेंड्स में गरम-गरम रोटियां आश्रम में बनती थीं और देखने वाले बस देखते रह जाते थे।
बिना
चिकचिक
बनती
रोटियां
अगर
आप
ज्यादातर
महिलाओं
से
बात
करेंगे
तो
आपको
इस
बात
का
पता
लगेगा
कि
उन्हें
बाकी
कामों
की
तुलना
में
सबसे
ज्यादा
परेशानी
रोटी
सेंकने
में
होती
है।
आश्रम
में
ऐसी
मशीनें
थीं,
जिसमें
आटा
तो
अपने
आप
गूंथता
ही
था
रोटियां
भी
बन
जाती
थी।
रामपाल
के
आश्रम
में
बने
सत्संग
हॉल
के
दायीं
तरफ
महिलाओं
के
लिए
भंडारा
स्थल
है
और
बायीं
तरफ
आलीशान
रसोईघर।
रसोईघर में ऑफसेटनुमा रोटी बनाने की ऐसी दो मशीन थी जिसमें आटा डालने के बाद रोटी सिककर अपने आप बाहर आ जाती थी। इसी मशीन के पीछे भंडारघर है जिसमें सैकड़ों बोरी आटा, कई गैस सिलेंडर और आटा गूंथने की मशीन भी रखी है। भारी संख्या में बर्तन आदि भी रखे हुए हैं।
12 एकड़ में मौजूद सुविधाएं
यकीन मानिए कि कथित संत रामपाल के करीब 12 एकड़ में बने सतलोक आश्रम को देखकर कोई राजा भी कहेगा कि उसका पास तो कुछ है ही नहीं। इसके अंदर विलासिता के हर साजो-सामान दिखे। यह होटल ज्यादा लगता है। इस आश्रम में 40 कमरे, पानी की तीन टंकियां, जनरेटर सेट हैं और सभी कमरों में एसी, सीसीटीवी कैमरे और साउंड सिस्टम लगे हैं।
आश्रम का दौरा करने वाले एक पत्रकार ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर स्वीमिंग पूल बना है जबकि तीसरे तल पर रामपाल का कमरा है जिसमें ना तो साउंड सिस्टम लगा है और ना ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। कोठी में एक आईटी रूम भी है। आश्रम में होटलनुमा आलीशान कोठी में रहने वाले रामपाल की हर सुख-सुविधा का यहां ध्यान रखा जाता था।