छतों पर बनेगी इतनी बिजली कि 24 घंटे जगमगायेंगे यूपी-बिहार
नई दिल्ली। बिजली संकट की बात आते ही सबसे पहले उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जैसे जिले जहन में आते हैं, जहां घरों-दुकानों में बिजली के बिल से ज्यादा प्राइवेट जैनरेटरों का बिल होता है। लेकिन 2022 तक यह समस्या हल हो जायेगी, वो भी देश भर के घरों, ऑफिसों और बड़े प्रतिष्ठानों की छतों के जरिये।
जी हां मोदी सरकार बड़े घरों, ऑफिसों और प्रतिष्ठानों की इमारतों की छतों पर सौर्य ऊर्जा के संयंत्र लगाने जा रही है। अगर इस प्रोजेक्ट को सफलता मिली तो 2022 तक 40,000 मेगावॉट बिजली केवल छतों पर बनेगी। उतनी बिजली, जिसमें यूपी-बिहार को 24 घंटे बिजली सप्लाई करने के बाद भी बिजली बचेगी।
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सरकार ने राष्ट्रीय सौर मिशन (एनएसएम) के लक्ष्य में 2022 तक 20000 मेगावाट से बढ़ाकर 100000 मेगावाट पावर करने के लिए संशोधन किया है। इसमें से 40000 मेगावाट पावर ग्रिड से जुड़े सौर छत प्रणालियों के माध्यम से आना है।
बड़ी इमारतों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाये जायेंगे। इसके लिये सरकार विशेष नियम के तहत सब्सिडी प्रदान करेगी।जितनी बिजली उस संस्थान को जरूरत होगी, उसे दी जायेगी, बाकी बची बिजली ग्रिड में भेज दी जायेगी।
सौर छतों से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
राज्यों को 30 प्रतिशत की छूट
सामान्य श्रेणी के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इसमें 30 प्रतिशत की पूंजी छूट दी जाएगी। निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इसमें कोई छूट हासिल नहीं होगी, क्योंकि उन्हें पहले ही कई प्रकार की छूट दी जा चुकी हैं।
विशेष राज्यों को ज्यादा छूट
विशेष श्रेणी के राज्य जैसे सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को को 70 प्रतिशत की छूट।
सरकारी दफ्तरों पर सौर्य संयंत्र
4200 मेगावाट पावर की यह क्षमता आवासीय, सरकारी, सामाजिक और संस्थागत क्षेत्र (अस्पतालों, शैक्षिक संस्थानों आदि) के माध्यम से आएगी। औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों को बिना सब्सिडी के सौर छतों को लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
2019 तक 4200 मेगावॉट
राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत यह राशि 2019-20 तक की 5 साल की अवधि के लिए है। यह अगले पांच सालों में 4200 मेगावाट की सौर छत प्रणालियों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
26 राज्य तैयार
26 राज्यों ने सौर छतों प्रतिष्ठानों का समर्थन किया है। और इस योजना को आगे बढ़ाने के लिये तैयार हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक घरेलू, औद्योगिक, संस्थागत, वाणिज्यिक भवनों द्वारा ऊर्जा पैदा की जायेगी।
सबसे सस्ती बिजली
छतों के माध्यम से 6.50/ किलोवाट घंटा की दर से सौर उर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। डीजल से चलने वाले बिजली जेनरेटर के मुकाबले काफी सस्ता है। यह बिजली वितरण कंपनियों की लागत से भी सस्ती है, जो वृहद स्तर पर बिजली बनाती हैं।
भारत बनेगा बड़ा राज्य
इस पहल से भारत, छतों को सौर उर्जा के उत्पादन के रूप में प्रयोग करने वाला एक बड़ा देश बन जाएगा।
पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं
यह 40 गीगावॉट प्रति वर्ष कार्बन डाई आक्साइड के उत्पादन में 60 लाख टन की कमी का परिणाम देगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में अपने योगदान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद करेगा।
5000 करोड़ का खर्च
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ग्रिड से जुड़ी हुई सौर छतों को बढ़ावा देने के लिए बजट को 600 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 5000 करोड़ रूपये कर दिया है।