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97 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कैश ट्रांसफर के जरिए नहीं मिला कोई नकद लाभः रिपोर्ट

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस प्रेरित लॉकडाउन में सर्वाधिक पीड़ित प्रवासी मजदूरों की दशा-दिशा पर सामने आई एक रिपोर्ट ने हिला कर रख दिया है। फंसे हुए श्रमिक एक्शन नेटवर्क (SWAN) द्वारा एकत्र एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा नकद हस्तांतरण (कैश ट्रांसफर) का लाभ केवल 3 फीसदी प्रवासियों के एकाउंट में पहुंचा है जबकि 97 फीसदी को एक भी पैसा कैश ट्रांसफर के जरिए उन तक नहीं पहुंचा है।

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यह डेटा करीब 17,000 प्रवासी मजदूरों पर किए गए सर्वे से प्राप्त हुआ है, जो राहत और मदद के लिए स्वान समूह के पास पहुंचा था। यह आकंड़ा तब से एकत्रित किया गया है जब Covid ​​-19 के खिलाफ लड़ाई और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश को अचानक गत 24 मार्च की आधी रात राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया गया था।

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SWAN रिपोर्ट में कहा गया है कि अचानक घोषित लॉकडाउन के समय 64 फीसदी प्रवासी मजदूरों के पास 100 रुपए से कम पैसा शेष था, जिसमें गत 14 अप्रैल के बाद से कोई बदलाव नहीं आया है। लगभग 78 फीसदी लोगों के पास 300 रुपए या उससे कम पैसे शेष थे जबकि 74 फीसदी लोगों के पास 200 रुपए या उससे कम बचे थे।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि यह डेटा 9,981 फंसे श्रमिकों के है, जिन्हें स्वान द्वारा संपर्क किया गया। सच्चाई यह है करीब 97 फीसदी से अधिक (10,383 में से) प्रवासियों को सरकार से कोई नकद राहत नहीं मिला है। माना गया है कि केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें दोनों अपनी जिम्मेदारियों का सामना करने के मामले में लड़खड़ा गई। समूह से जुड़े वोलेंटियर्स के अनुसार अगर राज्य और केंद्र सरकारें एक साथ सहयोग से काम करती हैं, तो प्रबंधन करना आसान होता।

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English summary
The report states that this data is of 9,981 stranded workers who were contacted by Swan. The truth is that more than 97 percent (out of 10,383) migrants have not received any cash relief from the government. It is believed that both the state governments along with the central government stumbled in the matter of facing their responsibilities. According to Volunteers associated with the group, it would have been easier to manage if the state and central governments had worked together.
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