राजनीतिक दलों को 4 साल में 9 इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिला 637.54 करोड़ का चंदा, बीजेपी को मिला सबसे ज्यादा चंदा
नई दिल्ली। 2013-14 से लेकर 2016-17 के बीच चार साल में नौ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को 637.54 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इसमें सबसे ज्यादा 488.94 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला है। दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी है, जिसे 86.65 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टोरल ट्रस्ट यानी चुनावी न्यास की ओर से दिया गया चंदा सबसे ज्यादा पांच राष्ट्रीय पार्टियों को मिला है।
एडीआर की रिपोर्ट में खुलासा
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टोरल ट्रस्ट की ओर से दिए गए कुल चंदे में से 92.30 फीसदी यानी 588.44 करोड़ रुपये का चंदा पांच राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों को मिला है। वहीं 16 क्षेत्रीय दलों को कुल चंदे का केवल 7.70 फीसदी (49.09 करोड़) का चंदा मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013-14 से साल 2016-17 (चार साल) के दौरान नौ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को 637.54 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस ही दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्हें प्रत्येक वित्तीय साल में चंदा मिला है।
बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 में इलेक्टोरल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को 85.37 करोड़ रुपए का चंदा दिया। 2014-15 में 177.40 करोड़ रुपए, 2015-16 में 49.50 करोड़ रुपए और 2016-17 में 325.27 करोड़ रुपए रहा। 2013-14 से लेकर 2016-17 के दौरान नौ रजिस्टर्ड इलेक्टोरल ट्रस्टों ने चंदा दिया है। इनमें से केवल दो ट्रस्ट प्रूडेंट और समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दो बार से अधिक चंदा दिया है।
2013-14 से लेकर 2016-17 के बीच चंदे का जिक्र
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पास रजिस्टर्ड 21 इलेक्टोरल ट्रस्ट में से 14 ने चुनाव आयोग को 2016-17 के लिए अपने चंदे का ब्योरा सौंपा है। इनमें सिर्फ 6 ने यह बताया है कि उन्हें सालभर के दौरान किसी तरह का योगदान या चंदा नहीं मिला।
21 चुनावी न्यास रजिस्टर्ड हैं
कुल रजिस्टर्ड 21 चुनावी न्यासों में से 14 अपने रजिस्ट्रेशन के बाद से अपने दिए गए चंदे की रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को दे रहे हैं। इनमें से दो सत्या/प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट और जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट ने चारों साल के लिए अपने दिए गए चंदे की जानकारी दी है। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2016-17 में अपना नाम बदलकर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट कर दिया है। वहीं 11 इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बताया है कि उन्हें किसी तरह का योगदान नहीं मिला या फिर उन्होंने रिपोर्ट नहीं दी है।
इसे भी पढ़ें:- कासगंज हिंसा में जिस युवक को 'मरा हुआ' बताया, वो सामने आकर बोला- मैं तो जिंदा हूं