मुंबई के 87 वर्षीय बुजुर्ग, जो बेकार कपड़ों से बैग सिलकर बेचते हैं उनकी फोटो हुई वायरल
नई दिल्ली। दिल्ली का बाबा का ढाबा ' को अब किसी परिचय की जरुरत नहीं है, सोशल मीडिया के माध्यम जरुरतमंद लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता हैं बाबा का ढाबा इसका जीता-जागता उदाहरण है। कोरोना संकट में सड़क किनारे ठेला लगाने वाले दिल्ली के बूढ़े बाबा एक दिन पहले बिक्री न होने के कारण रो रहे रहे थे लेकिन सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो डालते ही उनके यहां खरीददारों की लंबी लाइन लग गई। एक बार फिर मुंबई के एक बुजुर्ग शख्स की फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं लेकिन इनकी कहानी बाकियों से कुछ अलग है यहीं कारण है कि इन बूढ़े अंकल के जीवन जीने के जज्बें को लोग सेल्यूट कर रहे हैं।

बता दें सोशल मीडिया पर दिल्ली का 'बाबा का ढाबा', आगरा का 'कांजी बाड़े वाला', फरीदाबाद में एक 86 वर्षीय झलमुरी विक्रेता, और धुबरी का 85 वर्षीय खाद्य विक्रेता ऐसे लोगों में से कुछ थे जिनकी कहानियों को कुछ अच्छे लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किया था जिसके बाद उनके बाद उनके पास खरीददारों की भीड़ लग गई। अब, मुंबई की सड़कों पर एक 87 वर्षीय पर पुराने कपड़ों से बैग बनाकर बेचने वाले इस शख्स की स्टोरी जमकर वायरल हो रही है लेकिन इनकी कहानी औरों से अलग है।
ट्वीटर पर इन्होंने शेयर अंकल की ये पोस्ट
गौरी नाम की एक लड़की ने इन बुजुर्ग की कहानी साक्षा की है उसने बताया कि 87 वर्षीय जोशी अंकल सोफे और पर्दा बनाने वालों कारीगरों से पुराने कपड़े लाकर उससे बैग सिलते हैं और उसके बाद उसे मुंबई के डोंबिविली में फाडेके रोड पर 40-80 रुपये में दिन भर खड़े होकर बेचते हैं। ट्विटर यूजर ने चाचा जोशी की कहानी साझा की और बताया कि बड़ी मेहनत से वो खुद इन बैग की सिलाई करते हैं। गौरी ने ट्विटर पर लिखा, "वह फेक रोड रोड डोंबिवली में बैठते हैं। आगे इस यूजर ने लिखा मुंबई चलो जोशी अंकल को प्रसिद्ध करें और उनसे 1 बैग खरीदना न भूलें।"
अंकल जोशी संतुष्टि के लिए बैग बेचते हैं क्योंकि...
जब से अंकल जोशी की कहानी को ट्विटर पर साझा किया गया, तब से इसे यूजर्स से भारी प्रतिक्रिया मिली। वर्तमान में ट्वीट को 23,000 से अधिक लाइक और 9,100 रीट्वीट किए गए हैं। इसे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया गया है। कई उपयोगकर्ताओं ने बताया कि वह आदमी सेलिट है और उसके बच्चे शादीशुदा हैं। सुष्मिता शेट्टी के नाम से एक यूजर ने कहा कि अंकल जोशी संतुष्टि के लिए बैग बेचते हैं क्योंकि उन्हें खाली बैठे रहना पसंद नहीं है। उसने आगे लिखा कृपया इनका तमाशा न बनाए ये अंकल अच्छी तरह से सुलझे हुए है कि उसके बच्चे शादीशुदा हैं और अच्छी तरह से सेटल भी हैं। वह सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए यह काम करते है और उसे खाली बैठना पसंद नहीं है और वह स्वतंत्र रहना चाहते हैं। एक अन्य यूजर ने लिखा कि "बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा की कमी को दूर करने की आवश्यकता है।
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