Article-370 हटने के 85 दिनों में कश्मीरी कारोबारियों को कितना हुआ नुकसान, जानिए
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नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटे 85 दिन गुजर चुके हैं। इन लगभग तीन महीनों में बंदी की वजह से कश्मीरी कारोबारियों का हजारों करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक घाटी के मुख्य बाजार अभी भी बंद रहते हैं और सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं के बराबर दिखते हैं। वैसे पिछले कुछ समय से घाटी में गतिविधियां बढ़ी हैं, लेकिन कारोबार अभी भी सुस्त ही पड़ा हुआ है। अब घाटी के कारोबारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनको हुए नुकसान की भरपाई के लिए वह किसी पैकेज की घोषणा करे, नहीं तो यहां कारोबारियों को फिर से संभल पाना बहुत मुश्किल होगा। हालांकि, ये कारोबारी राज्य में होने वाले संभावित निवेश को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं और उसका दिल खोलकर स्वागत करने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन, उनकी प्राथमिकता इंटरनेट सेवाओं के बहाल होने को लेकर है, जिससे नुकसान की मार सबसे ज्यादा पड़ी है।
'घाटी में कारोबारियों को 10,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान'
कश्मीर के कारोबारियों का दावा है कि पिछले तीन महीनों की बंदी में उनके कारोबार को 10,000 रुपये से भी ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा है। अगर श्रीनगर के लाल चौक जैसे इलाके की ही बात करें तो यहां कुछ दुकानें सुबह के कुछ घंटे और देर शाम में खुलती हैं, लेकिन बाकी मुख्य बाजार बंद ही रहते हैं। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख आशिक की मानें तो घाटी में अभी तक हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं, इसलिए नुकसान का पुख्ता अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है। लेकिन, उनका दावा है कि इसके चलते यहां के कारोबार को इतना नुकसान हो चुका है, जिससे उबर पाना बहुत ही मुश्किल है। उनके अनुसार, "कश्मीर क्षेत्र में चालू कारोबार में घाटा 10,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है और हर क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। करीब तीन महीने गुजर चुके हैं, लेकिन, मौजूदा हालातों के चलते लोग अभी भी कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में कुछ गतिविधियां बढ़ी हैं, लेकिन हमें जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक कारोबार मंदा है।"
इंटरनेट पर पाबंदी के चलते ज्यादा नुकसान !
कश्मीर के व्यापारियों की मानें तो उनके कारोबार को जो हजारों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है, उसकी मुख्य वजह इंटरनेट सेवाओं पर लगी पाबंदी है। शेख आशिक के मुताबिक, "आज के समय में कारोबार के लिए इंटरनेट बेसिक आवश्यकता है, जो कि उपलब्ध नहीं है। हमनें प्रशासन तक यह बात पहुंचा दी है कि कश्मीर में कारोबार को नुकसान पहुंचेगा, अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। जिसके परिणाम भविष्य में बहुत ही गंभीर होंगे।" इसके उदाहरण में उन्होंने बताया कि इंटरनेट पर पाबंदी से यहां आईटी सेक्टर बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है, जो कि अमेरिका, यूरोप में सेवाएं देता था। इसके चलते हैंडीक्राफ्ट उद्योग को भी नुकसान हुआ है। क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए ऑर्डर नहीं मिल पाए हैं, जो कि जुलाई-अगस्त तक मिल जाते थे। कनेक्टिविटी बाधित होने से 50,000 से ज्यादा कलाकारों और बुनकरों की जॉब चली गई है।
सरकार से स्पेशल पैकेज की मांग
जम्मू-कश्मीर के कारोबारियों की मांग है कि सरकार को इस हालात की जिम्मेदारी लेकर उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। शेख ने कहा कि व्यापार में घाटा होने के साथ ही उन्हें जीएसटी, ऑनलाइन रिटर्न जैसी चीजों का सामना करना ही पड़ेगा, चाहे कारोबार कर पाए हों या नहीं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि,"हम इस समय भी बहुत परेशान हैं। इसके बारे में कौन सोचेगा? सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उसे कोई उपाय निकालना चाहिए।" कारोबार जगत के मुताबिक घाटी में करीब 2,000 करोड़ रुपये का विकास कार्य ठप हो गया, क्योंकि मजदूर यहां से चले गए हैं। उसी तरह से पर्यटकों को भी यहां वापस से आने में समय लगेगा। इसके लिए ये सरकार से कारोबारियों के लिए कुछ पैकेज की घोषणा करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कश्मीर के कारोबारी यहां होने वाले संभावित निवेश का दिल खोलकर स्वागत करने के लिए तैयार हैं।