नई दिल्ली। तमिलनाडु के एक बड़े शहर की बस्ती में आठ साल का यादु अपने माता-पिता के साथ रहता है। उसके पिता दिहाड़ी मज़दूर हैं और उनके पास यादु की स्कूल की पढ़ाई का खर्च उठाने तक के पैसे नहीं हैं जबकि यादु को पढ़ने का बहुत शौक है। यादु को खेलना बहुत पसंद है और वो एक दिन स्पोर्ट्समैन बनना चाहता है। उसकी मां आसपास की सोसायटी के घरों में जाकर नौकरानी का काम करती है। कभी-कभी यादु भी अपनी मां के साथ काम में मदद कर देता है। बहुत दुख की बात है कि पैसों की तंगी की वजह से खेलने-कूदने और पढ़ाई करने की उम्र में उसे काम करना पड़ रहा है।
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यादु हर चीज़ को बहुत जल्दी सीख लेता है और सोसायटी की सभी औरतें भी उसकी मां से यही कहती हैं कि उसका बेटा यादु बहुत समझदार और बुद्धिमान है तो फिर वो अपने बेटे को स्कूल क्यों नहीं भेजती है। इस सवाल पर यादु की मां कहती है कि उनका परिवार बहुत गरीब है और उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो यादु को स्कूल भेज सके। लेकिन संघर्ष के ये दिन लंबे नहीं थे और बदलाव की एक किरण नज़र आयी।
एक दिन सोसायटी की एक महिला ने यादु की मां से कहा कि उसे अपने बेटे की पढ़ाई के खर्चे की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। वो नज़दीकी सरकारी माध्यमिक विद्यालय में जाकर पढ़ाई करेगा जहां उसे बिना पैसों के खाना भी मिलेगा। उस महिला ने जल्द से जल्द यादु को स्कूल में भर्ती करवाने के लिए कहा।
आज यादु को स्कूल जाते हुए तीन साल हो गए हैं और अब वो तीसरी कक्षा में पढ़ता है। यादु पढ़ने में बहुत तेज़ है और अब उसे खुशी है कि वो अपने सपनों को पूरा कर सकता है और अपने परिवार को इस गरीबी से बाहर निकाल सकता है। उसे रोज़ स्कूाल में 'अन्नामृता' द्वारा चलाए जा रहे 'मिड-डे मील प्रोग्राम' के तहत खाना दिया जाता है। स्कूल में मिलने वाली ये मिड-डे मील अच्छी क्वालिटी की होती है और बच्चों की सेहत को ध्याान में रखकर ही इसे बनाया जाता है।
यादु की तरह और भी कई बच्चे ऐसे हैं जो पैसों की कमी की वजह से स्कूल जाने के बारे में पहले सोच भी नहीं पाते थे लेकिन अब उन्होंने स्कूल जाना शुरु कर दिया है। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाने और सफल बनाने के लिए दुनियाभर से लोग और सीएसआर मदद कर रहा है। आप भी मदद करके यादु के सपने को पूरा करने में अपना योगदान दें।