CAA बनने के बाद सबसे पहले कांग्रेस शासित राजस्थान में मिली 8 पाकिस्तानी शरणार्थियों को नागरिकता
नई दिल्ली- सोमवार को राजस्थान सरकार ने पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार होकर आए 8 हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दी है। इसके साथ ही शायद राजस्थान देश का पहला ऐसा प्रदेश बन गया है, जिसने नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद पाकिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत में शरण लेने वालों को नागरिकता प्रदान की है। गौरतलब है कि राजस्थान अभी कांग्रेस शासित प्रदेश है और इस पार्टी की कई राज्य सरकारों ने इस नए कानून को लागू करने से मना किया है। यही नहीं कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वाली राजनीतिक पार्टियों में भी कांग्रेस सबसे आगे है।
भारतीय नागरिक बने 8 पाकिस्तानी शरणार्थी
सोमवार को कोटा में 20-22 साल से रह रहे 8 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को राज्य सरकार ने भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र मुहैया कराया है। जाहिर है कि भारत के नागरिक बनने के बाद इन पाकिस्तानी शरणार्थियों की खुशी का ठिकाना ही नहीं है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भाग कर आए इन शरणार्थियों के मुताबिक वहां अल्पसंख्यकों के साथ मानव जैसा सलूक नहीं होता था। उन्होंने बताया कि उनके लिए भारत के अलावा कोई देश नहीं है, जहां वे जा सकें और अपनी धर्म की रक्षा कर सकें। भारतीय नागरिक बनने के बाद उनका मानना है कि भारतीय संविधान के मुताबिक उनकी जिंदगी अब ज्यादा आसानी से चल पाएगी।
राजस्थान सरकार ने जारी किया नागरिकता प्रमाण पत्र
भारतीय नागरिकता मिलने के बाद यहां पर रहने वाले शरणार्थियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। हालांकि, उनके मुताबिक भारत में उन्हें पहले भी कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन अब नागरिक बन गए हैं तो उनके पास अपनी भावना जताने के लिए शब्द नहीं रह गए हैं। कोटा में रह रहे इन पाकिस्तानी शरणार्थियों को नागरिकता देने का फैसला प्रदेश सरकार की ओर से किया गया है। इसकी जानकारी देते हुए कोटा के एडीएम आरडी मीणा ने बताया है कि "ये लगभग वर्ष 2000 से यहां रह रहे थे और सभी पाकिस्तान के सिंध प्रांत से यहां आए हुए थे। ये 8 लोगों हैं, जिन्हें राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा नागरिकता प्रदान करने के आदेश प्रमाण पत्र जारी करके भिजवाए गए और आज उनको जिला कलेक्टर के माध्यम से सभी को वितरित कराया गया है।"
'पाकिस्तान से सभी सिंधी भारत आना चाहते हैं'
इन्हीं 8 शरणार्थियों में से एक नरेश के मुताबिक "2000 से हम कोटा में रह रहे हैं, पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते थे। हमारा परिवार 1987 में ही यहां आ गया था। हमें भारत में जो सम्मान मिला है, उसके लिए हम सबको बधाइयां देना चाहेंगे। हमें बहुत खुशी हो रही है। हमारे पास शब्द नहीं हैं, जिसे हम बयां कर सकें।" गुरुदास नाम के एक और पाकिस्तानी शरणार्थी जिन्हें भारतीय नागरिकता मिली है ने कहा है, "हम यहां पर 20-25 साल से रह रहे थे। हमें यहां पर कोई तकलीफ नहीं थी। जितने भी सिंधी वहां रहते हैं, सबकी यही इच्छा है कि हम इंडिया चले आएं। हम यहां बहुत खुश हैं, हमें यहां किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं हुई है। आज हमें नागरिकता भी मिल गई है। हमें नागरिकता से पहले भी कोई समस्या नहीं थी। सबका सहयोग मिला, सबका आशीर्वाद मिला।"
इसी महीने बना है नागरिकता संशोधन कानून
भारतीय संसद ने इसी महीने की शुरुआत में दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधेयक पास किया है, जो अब कानून का शक्ल अख्तियार कर चुका है। नए कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू, क्रिश्चियन, पारसी, बौद्ध, सिख और जैन शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, बशर्ते कि वे 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत आ चुके हों। हालांकि, इस कानून के लागू होने के बाद कुछ राज्यों ने ऐलान किया है कि वे इसे अपने प्रदेशों में लागू नहीं करेंगे। जबकि, केंद्र सरकार का दावा है कि संसद से पास इस कानून को मानने के लिए सभी राज्य सरकारें बाध्य हैं।
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