"अनिरूद्ध हमारी इकलौती संतान है। मुझे आज भी याद है जब मैं गर्भवती थी तो मेरे पति ने पूरे घर को बच्चे के कपड़ों से भर दिया था और हर दीवार को बच्चों की तस्वीरों से सजा दिया था। हम अनिरूद्ध का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। हमने उसके नाम के बारे में सोचा भी नहीं था। दीवार पर लगी बच्चों की उन तस्वीरों को देखकर मेरे मन में अनिरूद्ध नाम आया। उस बच्चे को देखकर ही मैंने अपने बच्चे की कल्पना की थी और अपने बच्चे का नाम अनिरूद्ध रखने के बारे में सोचा था।" ये सब कहते हुए अनिरूद्ध की मां की आंखें नम हो जाती हैं।
अनिरूद्ध की मां की प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई थी और इसमें कुछ दिक्कतें भी थीं। डॉक्टरों का कहना था कि अनिरूद्ध की आंतें पूरी तरह से नहीं बन पाई हैं और इस वजह से उस मल त्याग करने के दौरान दर्द और रक्तस्राव होता है। उसे तुरंत थ्री-स्टेज कोलोस्टोमी की ज़रूरत है।
15 हज़ार रुपए प्रतिमाह कमाने वाले अनिरूद्ध के माता-पिता के लिए उसकी दवाओं का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था। तीन सर्जरियों के लिए पैसा जुटा पाना उनके लिए असंभव था। उनके बच्चे की जान दांव पर लगी थी और किसी भी कीमत पर वो उसे खोना नहीं चाहते हैं। दोनों ने अपने बेटे के इलाज के लिए ढाई लाख रुपए का लोन लिया जिसे वो अब तक चुका रहे हैं। पहली सर्जरी सफल रही।
"अपने कमज़ोर बच्चे को रोज़ आईसीयू में ट्यूब्स में लिपटा हुआ देखना बहुत तकलीफ देता है। हर बार मल त्याग करते समय वो बहुत रोता है और उसकी चीखें मुझे डरा देती हैं। उसका हाथ पकड़कर मैं भगवान से यही दुआ करती हूं कि वो उसे हमारे साथ जीने का मौका दें। काश! मैं अनिरूद्ध का दर्द दूर कर सकती। किसी ना किसी तरह उसकी मदद कर पाती। हर समय मैं अपने बच्चे के पास खड़ी रहती हूं। उसे कहती हूं कि उसे चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें ज़िंदगी के अभी कई रंग देखने हैं इसलिए चिंता मत करो... सब ठीक हो जाएगा।" पता नहीं ये दिलासा अनिरूद्ध की मां अपने बीमार बेटे को देती है या खुद को।
अनिरूद्ध की दूसरी सर्जरी दानराशि से की गई थी और इससे उसके परिवार को हिम्मत भी मिली। उनके लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। उनके पूरे समुदाय, करीबी लोगों ने मिलकर अनिरूद्ध के इलाज के लिए आर्थिक मदद दी थी। हर दिन के साथ उसकी मां की हिम्मत बढ़ जाती है और उसे खुशी है कि एक ना एक दिन उसका बेटा घर लौट आएगा। वो अपने बेटे के लिए खुश है।
अब अनिरूद्ध की अंतिम सर्जरी होनी है। पहली दो सर्जरी के बाद अनिरूद्ध की हालत में सुधार आया है। डॉक्टरों का कहना है कि आखिरी सर्जरी के बाद अनिरूद्ध बिल्कुल ठीक हो जाएगा। इससे उसके ज़ख्म भी भर जाएंगे।
अनिरूद्ध को उसकी ज़िंदगी वापस देने के लिए ये उसके परिवार के पास आखिरी मौका है। सर्जरी के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए उसके परिवार ने इंपैक्ट गुरु से गुहार लगाई है।
ये शायद अनिरूद्ध और उसके परिवार के लिए आखिरी मौका है जब वो उसे एक स्वस्थ और सामान्य जीवन दे पाने में सफल हो सकें लेकिन ये सब आपकी सहायता के बिना संभव नहीं है। अभी वो अस्पताल में भर्ती है और उसके पास ये आखिरी मौका है अपनी ज़िंदगी को दर्द के पिंजरे से आज़ाद करवाने का।
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अपने बेटे की सर्जरी के लिए अनिरूद्ध का परिवार आपसे मदद मांग रहा है। आप अपनी तरफ से उसकी मदद के लिए जितनी भी धनराशि दान करें वो इस परिवार के लिए बहुत होगी। इससे उन्हें अंधेरे कुएं में रोशनी मिल सकती है। हम आपसे बस छोटी सी मदद की उम्मीद कर रहे हैं।
अनिरूद्ध की मां कहती है कि "कृपया हमारे बेटे की मदद करें। हम ज़िंदगीभर आपके आभारी रहेंगे कि आपने हमारे बेटे की नन्ही सी जान बचाने में अहम योगदान दिया।"
आप कुछ धनराशि दान करके और इस कहानी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के साथ शेयर करके अनिरूद्ध और उसके परिवार की मदद कर सकते हैं। तो चलिए मिलकर मानवता के लिए उस बच्चे की जान बचाने के लिए कुछ योगदान देते हैं।