India-China tension: 11 घंटे बाद भी नहीं निकल पाया बॉर्डर पर टेंशन का रिजल्ट!
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सोमवार को सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई। दोपहर 12:30 बजे शुरू हुई वार्ता 11 घंटे से ज्यादा समय तक चली। दोनों देशों के मिलिट्री कमांडर ने लद्दाख के चुशुल में मीटिंग की। सेना से जुड़े सूत्रों की मानें तो मीटिंग एक बार फिर बेनतीजा खत्म हो गई। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अड़ी हुई है कि भारत की सेना पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे से वापस चली जाए। लेकिन भारत की तरफ से उसके फैसले को मानने से साफ इनकार कर दिया गया है।
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ले. जनरल सिंह की चीन के साथ आखिरी मीटिंग
इस वार्ता पर अभी तक सेना या विदेश मंत्रालय की तरफ से कई भी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में मई माह से आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच 21 सितंबर को छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई थी।सोमवार की वार्ता की अगुवाई लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की थी। यह उनकी आखिरी मीटिंग थी। 14 अक्टूबर को लद्दाख में उनका एक साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके बाद 15 अक्टूबर को ले. जनरल हरिंदर देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री कमांडर (आईएमए) की जिम्मेदारी संभालेंगे। ले. जनरल सिंह के साथ ले. जनरल पीजीके मेनन भी वार्ता में मौजूद थे। जनरल सिंह के बाद जनरल मेनन 14 कोर के कमांडर होंगे। पिछले दिनों चीन की तरफ से कहा गया था कि वह एलएसी पर सन् 1959 वाली स्थिति को मान्यता देता है। जबकि भारत की तरफ से उसे स्पष्ट किया जा चुका है कि इस एकपक्षीय फैसले को न तो कभी माना गया है और न ही कभी माना जाएगा।
भारत की यथास्थिति बहाल करने की मांग
सोमवार की मीटिंग में भी विदेश मंत्रालय के ज्वॉइन्ट सेक्रेटरी (पूर्वी एशिया)नवीन श्रीवास्तव शामिल थे। चीन की तरफ से पीएलए के मेजर जनरल ल्यू लिन जो साउथ शिनजियांग मिलिट्र रीजन के कमांडर हैं, मीटिंग को लीड कर रहे थे। 21 सितंबर को जब दोनों देशों के बीच मीटिंग हुई थी तो उसके बाद एक साझा बयान जारी किया गया था। इस बयान में कहा गया था कि जल्द से जल्द उस अहम निष्कर्ष को लागू किया जाएगा जिस पर दोनों देशों के नेता पिछली कुछ मीटिंग्स में पहुंचे थे। उस मीटिंग में भारत की तरफ से चीन से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अप्रैल 2020 वाली यथास्थिति को बहाल करने की मांग की गई थी।