कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए 77 वर्षीय अमरिंदर का ये है यंग फॉर्मूला
नई दिल्ली- पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ दिनों पहले इस बात पर जोर दिया था कि कांग्रेस में युवा नेताओं को तरजीह दिए जाने का वक्त आ गया है। अब उन्होंने अपनी बात को थोड़ा और विस्तार से सामने रखने की कोशिश की है, ताकि कांग्रेस को भविष्य के लिए फिर से नए सिरे से खड़ा किया जा सके। इस बार उन्होंने अपनी बात कांग्रेस नेतृत्व तक पहुंचाने के लिए एक लेख का सहारा लिया है और उम्मीद जाहिर की है कि जिस तरह से आजादी के बाद से कांग्रेस हर संकट के बाद और ज्यादा मजबूती के साथ सामने आई है, मौजूदा संकट के बाद भी कांग्रेस एक नए-लुक और नए तेवर के साथ दुनिया के सामने खड़ी होकर दिखाएगी।
डेमोग्राफी में बदलाव को समझे पार्टी
हिंदुस्तान टाइम्स के लिए लिखे अपने लेख में पंजाब के मुख्यममंत्री ने अपनी बात पर जोर देने के लिए देश की मौजूदा डेमोग्राफी का हवाला देने की कोशिश की है। उनकी दलील है कि आजादी के बाद से अब तक भारत बहुत आगे बढ़ चुका है। उन्होंने लिखा है, "बुजुर्गों ने युवाओं के लिए रास्ता छोड़ दिया, पॉलिटिकल लैंडस्केप में भी बदलाव आ चुका है, ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय पार्टियां इस बदलाव पर जोर दे रही हैं। दशकों में लोगों की आशाएं और अपेक्षाएं बदल चुकी हैं और आबादी के दृष्टिकोण से भारत दुनिया के युवा देशों में शामिल हो चुका है, जिसके 65% लोग युवा हैं।" उन्होंने साफ किया है कि कांग्रेस का भविष्य भी इसी पृष्ठभूमि में छिपा हुआ है। उन्होंने कहा है कि जमीन के लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए इस वक्त एक अदद युवा नेता की दरकार है, क्योंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या इस वक्त 45 साल से कम के लोगों की है। हो सकता है कि यह महज संयोग हो कि जिस मुद्दे को कांग्रेस को पटरी पर लाने के लिए एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अब तबज्जो देने की कोशिश शुरू की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लोगों के कल्याण के लिए इसी तरह की बातें पिछले पांच वर्षों या उससे पहले से भी लगातार करते आ रहे हैं। यानी अपने लेख के जरिए पंजाब के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से कांग्रेस संगठन से बुजुर्ग के वर्चस्व को खत्म करके युवा नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपने के लिए कह रहे हैं। वैसे यहां एक बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि राहुल गांधी के नेतृत्व काल में भी कांग्रेस में युवा नेताओं को तरजीह देने की कोशिश की जा चुकी है। अलबत्ता, कई बार उन्हें भी राजनीतिक वजहों से बुजुर्ग नेताओं के सामने घुटने टेकते देखा गया। इसका सबसे बेहतर उदाहरण मध्य प्रदेश और राजस्थान है, जहां क्रमश: ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को वे कमान नहीं सौंप पाए।
कांग्रेस को बचाने का सिर्फ यही तरीका
कैप्टन के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छी बात ये है कि इस समय पार्टी में ऐसे युवा नेताओं की कोई कमी नहीं है, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में खुद को साबित करके दिखाया है। उन्होंने लिखा है, "यह इतना कठिन नहीं हो सकता कि उन नामों से किसी एक को चुन लिया जाए और पार्टी की बागडोर उसे सौंप दिया जाए। जरूरत सिर्फ इसे स्वीकारने और उसी के मुताबिक काम करने की इच्छा की है कि कांग्रेस को बचाने और संवारने का बस यही एक तरीका है।"
पार्टी के लिए अमरिंदर ने कही ये बड़ी बात
अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी के नेतृत्व की खूब सराहना करते हुए जो एक बात कही है, उसपर कांग्रेस नेतृत्व कितना गौर फरमाएगा ये कहना बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने साफ कहा है कि पार्टी को अपने क्षेत्रीय नेताओं को ज्यादा आजादी के साथ काम करने का मौका देना चाहिए। उनके मुताबिक इससे पार्टी को पैन-इंडिया अपना प्रभाव बढ़ाने और लोगों को जोड़ने में काफी सहायता मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय दलों के साथ पार्टी को चुनावों के लिए गठबंधन बनाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से पार्टी का वोट शेयर भी बढ़ेगा और पार्टी को बड़ी जीत भी मिल सकेगी। कांग्रेस के रीजनल-लीडरशिप को फ्री हैंड देने की वकालत करते हुए उन्होंने उदाहरण में अपना ही नाम दिया है। उन्होंने लिखा है, "हमनें पंजाब में इसे देखा है, जहां पार्टी लीडरशिप ने मुझपर भरोसा किया और मुझे फ्री हैंड दिया, जिसके कारण पार्टी न केवल 2017 के विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ी मार्जिन से जीती, बल्कि उसके बाद हाल में हुए लोकसभा चुनाव के साथ ही हर छोटा-बड़ा चुनाव भी जीतती गई।" लेकिन, सवाल है कि आलाकमान संस्कृति में पली-बढ़ी कांग्रेस और उसके मौजूदा नेता एवं कार्यकर्ताओं में से कितने लोग क्षेत्रीय नेताओं को पंजाब की तरह खुली छूट देने के हिमायती होंगे?
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