20 साल से भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार कर रही है ये महिला, शादी के बाद गई थी पाकिस्तान
75 वर्षीय एक महिला ने सरकार से भारतीय नागरिकता देने की गुहार लगाई है। हैदराबाद में रहने वालीं हबीब उन्नीसा बेगम पिछले 20 साल भारतीय नागरिकता का पाने का इंतजार कर रही हैं।
हैदराबाद। 75 वर्षीय एक महिला ने सरकार से भारतीय नागरिकता देने की गुहार लगाई है। हैदराबाद में रहने वालीं हबीब उन्नीसा बेगम पिछले 20 साल भारतीय नागरिकता का पाने का इंतजार कर रही हैं। हबीब साल 1995 में अपनी शादी के बाद पाकिस्तान चली गई थीं, लेकिन कुछ ही महीने बाद वो वापस भारत लौट आईं। तबसे वो हैदराबाद में ही रह रही हैं। उनके भाई तौफीक अली ने भी अपनी बहन के लिए सरकार से गुहार लगाई है।
हैदराबाद में रह रहीं 75 साल की हबीब उन्नीसा पिछले 20 वर्षों से भारतीय नागरिकता मिलने का इंतजार कर रही हैं। साल 1995 में शादी कर पाकिस्तान जानें वाली हबीब भले ही कुछ महीने में ही पड़ोसी मुल्क से वापस लौट आई हों, लेकिन अपनी नागरिकता का इंतजार वो आज भी कर रही हैं। उनके भाई तौफीक अली ने बताया कि हबीब की शादी साल 1995 में हैदराबाद में हुई थी। इसके बाद हबीब का एक रिश्तेदार उन्हें और उनके पति को बेहतर रोजगार के लिए पाकिस्तान ले गया।
उन सभी ने भारत-पाक सीमा के जरिये गैर-कानूनी रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया था। वहां उन्होंने नौकरी तलाश करना शुरू किया लेकिन कुछ ही समय में उन्हें वहां काफी परेशानियां होने लगीं। दोनों ने वापस अपने देश लौटने का तय किया, लेकिन तब तक सीमा बंद हो चुकी थी। इसके बाद हबीब के रिश्तेदार ने पति-पत्नी के लिए पाकिस्तानी पासपोर्ट अप्लाई किया और आठ महीनों बाद दोनों जहाज के जरिये वापस भारत लौट आए।
तौफीक ने बताया कि साल 1987 में उन्होंने पाकिस्तानी पासपोर्ट के नवीकरण के लिए आवेदन किया लेकिन फिर पाकिस्तानी एंबेसी में उसे रद्द करने के लिए वापस दे गिया। एंबेसी से निवृत्ति का लेटर मिलने के बाद उन्होंने हबीब के लिए 1997 में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया। तब से लेकर आज तक हबीब अपनी नागरिकता मिलने का इंतजार कर रही हैं। अपने भाई संग उन्होंने पिछले 20 सालों में कई अधिकारियों से मुलाकात की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
तौफीक ने बताया कि हबीब के पति और बेटे की मृत्यु हो चुकी है। 'वो अफनी दो बेटियों के साथ रह रही है। मैं सरकार से गुहार लगाना चाहूंगा कि भारतीय नागरिकता दिलाने में मेरी बहन की मदद करें। मेरी बहन पाकिस्तान में बस आठ महीने रही थी और उसका भुगतान हम आज तक कर रहे हैं। उसका जन्म यहीं हुआ था और मृत्यु भी यहीं होगी।'
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