स्पेशल ट्रेनों में घर ले जाए गए प्रवासियों में से 75 फीसदी मजदूर सिर्फ यूपी और बिहार के हैं
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेल मंत्रालय द्वारा चलाई गई प्रत्येक चार में से तीन श्रमिक ट्रेनों में दो तिहाई से अधिक प्रवासी मजूदर उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। इन विशेष ट्रेनों में 44 फीसदी ट्रेनें उत्तर प्रदेश और 30 फीसदी ट्रेंने बिहार जाने वाली हैं। चूंकि अधिकांश प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से और बिहार के हैं, जो बड़ी संख्या में रोजगार के लिए दूसरे शहरों में पलायन करते हैं।
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रेल मंत्रालय ने बताया कि रेलवे ने रविवार दोपहर तक 366 ट्रेनें चलाए है, जिनमें से 287 अपने गन्तव्य स्थल तक पहुंच गई हैं। इनमें यूपी और बिहार को मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड व अन्य राज्यों की तुलना में अधिक ट्रेनें मिलीं।
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रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक वे एक दिन में 300 ट्रेनों को चलाने के लिए तैयार थे और उन्होंने राज्यों से अपील भी की थी कि वे प्रवासी श्रमिकों, छात्रों और पर्यटकों को ले जाने की अनुमति दें, ताकि सभी फंसे हुए प्रवासी 3-4 दिन में घर लौट सकें।
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उल्लेखनीय है रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उक्त अनुरोध केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच छिड़ी राजनीतिक लड़ाई शुरू होने के एक दिन बाद आया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाली ट्रेनों को राज्य में पहुंचने की अनुमति देने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा था।
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रेल मंत्रालय ने कहा कि गन्तव्य तक पहुंच चुकी 287 में से अधिकतम 127 ट्रेनें उत्तर प्रदेश गई हैं और 87 ट्रेनें बिहार गई हैं। मध्य प्रदेश को 24 ट्रेनें, ओडिशा को 20 और झारखंड को 16 ट्रेनें मिलीं। आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को एक-एक ट्रेन मिली जबकि महाराष्ट्र को तीन ट्रेनें मिलीं।
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वहीं, राजस्थान को चार और तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को दो-दो ट्रेनें मिलीं है। इन ट्रेनों में अधिकतम 1,200 यात्री सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए यात्रा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि रेल सेवाओं की आंशिक बहाली के बाद भी श्रमिक ट्रेनें प्रवासियों मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों के लिए चलती रहेंगी।
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