पानी की समस्या दूर करने के लिए 70 साल की उम्र में बुजुर्ग ने उठाया फावड़ा, अकेले खोद रहा है कुआं
बिहार के दशरथ मांझी ने अकेले एक पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था और अब मध्य प्रदेश में उनके जैसा ही एक शख्स अकेले कुआं खोदने में लगा है। बुढ़ापे में जहां शरीर जवाब दे देता है, उस उम्र में मध्य प्रदेश के सीताराम राजपूत कुआं खोद रहे हैं ताकि गांव में पानी आ सके।
भोपाल। बिहार के दशरथ मांझी ने अकेले एक पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था और अब मध्य प्रदेश में उनके जैसा ही एक शख्स अकेले कुआं खोदने में लगा है। बुढ़ापे में जहां शरीर जवाब दे देता है, उस उम्र में मध्य प्रदेश के सीताराम राजपूत कुआं खोद रहे हैं ताकि गांव में पानी आ सके। 70 साल की उम्र में सीताराम ने ये जिम्मा खुद उठाया है। उम्र के इस पड़ाव पर न उन्हें सरकार की मदद मिल रही है और न ही साथी गांववालों की।
गांव में पिछले ढाई साल से पानी की समस्या
मध्य प्रदेश के छतरपुर के हदुआ गांव के रहने वाले सीताराम राजपूत ने अकले पूरे गांव में हो रही पानी की किल्लत को दूर करना का जिम्मा उठाया है। हदुआ गांव पिछले ढाई साल से पानी कि कमी से जूझ रहा है। गांव में पानी की काफी समस्या है, लेकिन कोई इस समस्या को हल नहीं कर रहा। सरकार से जब गांव को कोई मदद नहीं मिली तो सीताराम राजपूत ने खुद इस समस्या से निपटने का फैसला किया।
मदद को कोई नहीं आया आगे
सीताराम राजपूत ने गांव में अकेले कुआं खोदना शुरू किया। गांव में पानी की इतनी किल्लत होने के बावजूद कोई सीताराम की मदद को आगे नहीं आया। वो अकेले ही पिछले काफी समय से कुआं खोद रहे हैं। उन्होंने बताया, 'कोई मदद नहीं कर रहा है। न सरकार और न ही गांव के लोग।'
इंटरनेट पर लोगों ने शिवराज सरकार पर निकाला गुस्सा
70 साल की उम्र में गांव के लिए कुआं खोद रहे सीताराम राजपूत के जज्बे को लोगों ने सलाम किया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें दूसरा दशरथ मांझी बताया। लोगों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें मदद दी जाए। वहीं कुछ लोगों ने गांव में पानी न पहुंचाने के लिए शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर भी हमला बोला है। लोगों का कहना है कि वो प्रदेश की तुलना अमेरिका से करते हैं और लोगों के पास पीने के लिए पानी भी नहीं है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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