6,500 रेलवे इंजनों की हो रही है सैटेलाइट ट्रैकिंग, ट्रेनों के चलने में पड़ा ये असर
नई दिल्ली-रेलवे ने लगभग 6,500 इंजनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम लगा दिया है, जिससे ट्रेनों की कार्य क्षमता काफी बेहतर हो गई। यह जानकारी रेल मंत्रालय की ओर से दी गई है। अगले साल तक रेलवे लगभग 6,000 इंजनों में यह सैटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम और फिट कर देगा, जिससे ट्रेनों की आवाजाही को बेहतर करने में रेलवे ट्रैफिक को बहुत ज्यादा सुविधा मिलेगी। बता दें कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने पैसेंजर और माल ढुलाई दोनों की सुविधाओं और क्षमताओं में काफी सुधार करने की कोशिश की है और यह कोशिश लगातार जारी है।
6,500 रेलवे इंजनों की हो रही है सैटेलाइट ट्रैकिंग
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने बताया है कि ट्रेनों की सैटेलाइट ट्रैकिंग की वजह से कोरोना वायरस महामारी के दौरान इसकी कार्य क्षमता काफी बेहतर हो गई है। रेल मंत्रालय ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा है कि 'ट्रेनों की सैटेलाइट ट्रैकिंग होने से ट्रेनों के संचालन में इसकी कार्यक्षमता बहुत बढ़ गई है: करीब 6,500 इंजनों (इलेक्ट्रिक और डीजल) में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम(जीपीएस) पहले ही लगाई जा चुकी है, 2021 के दिसंबर तक करीब 6,000 इंजनों में यह और लगाया जाना है।' यही नहीं इस कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने अपनी माल ढुलाई की क्षमता के साथ-साथ माल ट्रेनों की औसत स्पीड भी बढ़ाई है। रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है, '27 जुलाई को माल लदान 31.3 लाख टन हुआ, जो कि पिछले साल की इसी तारीख से ज्यादा है।'
माल ट्रेनों की औसत स्पीड हुई दोगुनी
इसी तरह माल ट्रेनों की औसत स्पीड भी लगभग दोगुनी हो चुकी है। मसलन, पिछले साल जुलाई के महीने में माल ट्रेनों की औसत स्पीड करीब 23.22 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जो कि मौजूदा महीने में बढ़कर 45.03 किलोमीटर प्रति घंटे हो चुकी है। इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि रेलवे माल ढुलाई के क्षेत्र में काफी तरक्की कर रहा है। उन्होंने ट्वीट किया था, 'रेलवे को भारत की अर्थव्यस्था का ग्रोथ इंजन बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच का अनुसरण करते हुए, भारतीय रेलवे भारत में तेज, कुशल और किफायती माल परिवहन का पर्याय बन गया है।'
यात्री सुविधाओं में लगातार सुधार कर रहा है रेलवे
बता दें कि भारतीय रेलवे ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान माल ढुलाई समेत यात्री सेवाओं में भी कई तरह के तरक्की के काम किए हैं। देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर ने यात्रियों की सुविधाओं के लिए नई-नई खोज की है और उसे तामील भी कराया है। मसलन, अब ट्रेन चलने से कुछ देर पहले यात्रियों को सतर्क करने के लिए घंटी बजेगी। रेल सफर को सुरक्षित बनाने के लिए कोच के भीतर सीसीटीवी लगाई जा रही है, जिससे कोच के अंदर की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकेगी और खासकर इससे अकेली सफर कर रही महिला यात्रियों को पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराना ज्यादा आसान होगा। अनारक्षित रेलवे टिकट खरीदने के लिए अब काउंटर पर भीड़ का सामना करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। ये सब पैसेंजर के मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध होगा। आने वाले दिनों में आप रेल यात्रा में होने वाले इन बदलावों को खुद अनुभव कर सकेंगे।
नए-नए इनोवेशंस पर जोर दे रहा है रेलवे
यही नहीं भारतीय रेलवे ने कम से कम 20 नई खोज किए हैं और उनसे जो सुविधाएं विकसित की गई हैं, उन्हें ट्रेनों में और स्टेशनों पर इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया गया है। इसी 20 इनोवेशंस में से एक है शून्य इलेक्ट्रिक खपत के साथ विकसित किया गया वॉटर कूलर। ये वॉटर कूलर महाराष्ट्र के बोरीवली, दहानू रोड, नंदुरबार,उधना और बांद्रा रेलवे स्टेशनों पर लगा भी दिए गए हैं। इसी तरह इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हवा की गुणवत्ता की जानकारी देने वाला एक एयर क्वालिटी इक्युपमेंट भी लगाया गया है। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए रेलवे ने यात्रियों के बीच सामाजिक दूरी बरकरार रखने के लिए मोबाइल ऐप और ब्लूटूथ प्रिंटर के जरिए अनारक्षित टिकट जारी करना शुरू कर दिया है।