15 जून को गलवान घाटी में मारे गए 60 चीनी सैनिक, भारत के खिलाफ फ्लॉप हुई चीनी मिलिट्री
नई
दिल्ली।
भारत
और
चीन
के
बीच
पूर्वी
लद्दाख
में
टकराव
कब
खत्म
होगा
कोई
नहीं
जानता
है।
मई
माह
से
जारी
तनाव
15
जून
को
उस
समय
हिंसक
हो
गया
था
जब
इंडियन
आर्मी
और
पीपुल्स
लिब्रेशन
आर्मी
(पीएलए)
के
सैनिकों
के
बीच
हाथापाई
हुई।
इस
हिंसा
में
भारतीय
सेना
के
20
सैनिक
शहीद
हो
गए
तो
वहीं
चीन
को
भी
खासा
नुकसान
हुआ।
हालांकि
चीन
ने
मारे
गए
सैनिकों
की
संख्या
के
बारे
में
कोई
आधिकारिक
जानकारी
नहीं
दी।
अब
अमेरिकी
मैगजीन
न्यूजवीक
में
दावा
किया
गया
है
कि
15
जून
को
गलवान
घाटी
में
हुई
हिंसा
में
मारे
गए
पीएलए
सैनिकों
का
आंकड़ा
60
तक
हो
सकता
है।
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फ्लॉप हो गई है चीनी सेना
न्यूजवीक में 'द चाइनीज आर्मी फ्लॉप्स इन इंडिया' टाइटल के साथ गॉर्डन सी चांग ने एक आर्टिकल लिखा है। इस आर्टिकल में उन्होंने चीनी मिलिट्री को भारत के खिलाफ फ्लॉप करार दे दिया है। उन्होंने लिखा है कि चीन में एक और बड़ा उलटेफेर होने को है। अपने आर्टिकल में ही एक जगह उन्होंने लिखा है, 'मई की शुरुआत में शुरू टकराव ने दिल्ली में सरकार को हैरान कर दिया था। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दक्षिण में चीनी सेनाएं काफी मजबूती से सामने आईं। सीमा का निर्धारण ठीक प्रकार से नहीं हुआ है।' उन्होंने आगे लिखा है, '15 जून को गलवान घाटी में एक बार और चीन ने भारत को हैरान किया। एक पूर्वनियोजित कदम के तहत चीन की सेना ने भारत के 20 सैनिकों को मार दिया। दोनों देशों के बीच यह 45 वर्षों में हुआ सबसे बड़ा टकराव था।'
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भारत ने बहादुरी से किया सामना
चांग ने आगे लिखा, गलवान घाटी हिंसा में माना जाता है कि चीन के 43 सैनिक मारे गए थे। लेकिन यह आंकड़ा 60 तक हो सकता है। भारतीय जवानों ने इतनी बहादुरी के साथ जवाब दिया था कि चीन कभी अपनी हार स्वीकार नहीं करेगा।' उन्होंने लिखा है कि पिछले एक माह में भारत जितना आक्रामक हुआ है, 50 साल पहले कभ्भी नहीं था। भारत ने हाल ही में उन ऊंची चोटियों पर अपना कब्जा किया है जो चीन के कब्जे में थीं। चीन की सेनाएं हैरान हैं कि आखिर भारतीय जवान कैसे उन रणनीतिक जगहों पर पहुंच सकते हैं। चांग के मुताबिक चीन के शासक राष्ट्रपति शी जिनपिंग जानते हैं कि उनके खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ा जा चुका है। उन्हें इस बात की चिंता है कि उनके दुश्मन इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
जिनपिंग का शैतानी दिमाग
चांग ने भारत के खिलाफ इस आक्रामकता के पीछे जिनपिंग के शैतानी दिमाग को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन पीएलए जिस तरह से भारत के खिलाफ फ्लॉप साबित हुई है, उसने जिनपिंग को परेशान कर दिया है। भारती सीमा पर चीनी सेना की असफलता के नतीजे भी होंगे। शी आतंरिक स्तर पर बदलाव कर सकते हैं। चांग के मुताबिक चीन के आक्रामक मंसूबे फेल हो रहे हैं और जिनपिंग जो कि चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन भी हैं, वह भारतीय पोस्ट्स के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठा सकते हैं। चांग ने लिखा है चीन ने आखिरी बार कोई युद्ध सन् 1979 में लड़ा था। उस समय उसने वियतनाम को एक सबक सिखाने के मकसद से हमला किया था।
भारत के खिलाफ कभी पूरे नहीं होंगे मंसूबे
चीन ने रक्षात्मक हमला बताते हुए वियतनाम की जमीन पर कब्जा कर लिया था। लेकिन उल्टा उसे ही दुनिया में सबसे सामने शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। एक छोटे से पड़ोसी देश ने चीन को पटखनी दे दी थी। चांग ने वर्जिनिया स्थित इंटरनेशनल सेंटर में विशेषज्ञ रिचर्ड फिशर के हवाले से लिखा है कि पीएलए के लीडर्स के पास लद्दाख में बहुत कम विकल्प हैं। जिनपिंग के आतंक से बचने के लिए वह कोई न कोई आक्रामक मिलिट्री कार्रवाई के विकल्प को अपनाएंगे। उनका कहना है कि साल 2020 में जो बात सबने देखा है, उसके तहत जिनपिंग को हर हाल में जीत चाहिए और पीएलए ही उनके मंसूबों को पूरा कर सकता है। हालांकि भारत के खिलाफ उनका इरादा सफल नहीं हो पाएगा।