370 वापसी के लिए एक साथ आईं J&k की 6 प्रमुख पार्टियां, चिदंबरम ने किया सलाम
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर राज्य में 5 अगस्त 2019 के बाद ये पहला मौका है जब मुख्यधारा की छह पार्टियां राज्य का स्पेशल दर्जा छीने जाने के खिलाफ एक साथ आई हैं। जम्मू-कश्मीर में मुख्यधारा की पार्टियों के एक साथ आने को पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बड़ी घटना बताते हुए सभी नेताओं को उनकी बहादुरी के लिए सलाम किया है।
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चिदंबरम ने ट्वीट किया कि मैं कश्मीर की अनुच्छेद 370 को फिर से स्थापित करने के लिए छह मुख्यधारा की पार्टियों के एक साथ आने के जज्बे को सलाम करता हूं। मैं अपील करता हूं कि वे अपनी मांग पर दृढ़ता से कायम रहें। वे स्वयंभू राष्ट्रवादियों की किसी भी आलोचना को नजरअंदाज करें, जो इतिहास को पढ़ना नहीं चाहते बल्कि इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं।'
चिदंबरम ने आगे ट्वीट में लिखा कि 'भारतीय संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान और शक्ति वितरण के उदाहरण हैं। अगर सरकार इस तरह के विशेष प्रावधानों के खिलाफ है तो नगा समस्या को कैसे सुलझाएगी ?'
मुख्यधारा
की
पार्टियां
आईं
साथ
एक
दिन
पहले
जम्मू-कश्मीर
राज्य
का
विशेष
दर्जा
वापस
बहाल
कराने
को
लेकर
नेशनल
कॉन्फ्रेंस,
पीडीपी,
कांग्रेस,
पीपल्स
कॉन्फ्रेंस,
सीपीएम
और
अवामी
नेशनल
कॉन्फ्रेंस
की
बैठक
हुई।
इस
दौरान
राज्य
का
4
अगस्त
2019
के
पहले
का
दर्जा
वापस
लेने
के
लिए
लड़ाई
लड़ने
का
संकल्प
लिया
गया।
बैठक
के
बाद
कहा
गया
कि
अब
से
हमारी
सारी
राजनीतिक
गतिविधियां
राज्य
का
पहले
का
विशेष
दर्जा
वापस
पाने
के
लिए
ही
होंगी।
बैठक के बाद के एक पत्र जारी कर बयान दिया गया जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारुख अब्दुल्ली, पीडीपी की महबूबा मुख्ती, जम्मू कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन, सीपीएम नेता एमवाई तरीगामी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुजफ्फर शाह के हस्ताक्षर हैं। बयान में कहा गया कि बिना हमें साथ लिए हमारे बारे में कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है।
बता दें कि पांच अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था। इसके साथ ही राज्य को दो भागों में बांटते हुए लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बाद में दे दिया जाएगा। वहीं विरोध को देखते हुए सभी प्रमुख नेताओं को बंदी बना लिया गया था। बाद में कुछ नेताओं को रिहा किया गया था लेकिन अभी भी कुछ नेता नजरबंदी में हैं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती अभी भी नजरबंदी में हैं।