बाढ़ में अभी भी फंसे हैं छह लाख लोग, युद्धस्तर पर जारी राहत कार्य
श्रीनगर।
जम्मू
कश्मीर
के
हालात
बाढ़
के
बाद
पूरी
तरह
से
खराब
हो
चुके
हैं
लेकिन
बुधवार
को
जलस्तर
में
कुछ
कमी
आई।
इसकी
वजह
से
प्रशासनिक,
आर्मी
और
एयरफोर्स
के
साथ
ही
एनडीआरएफ
की
रेस्क्यू
टीम
को
बाढ़
में
फंसे
लाखों
लोगों
तक
पहुंचना
थोड़ा
आसान
हुआ।राहत
कार्यों
में
धीमी
गति
को
लेकर
लोगों
की
नाराजगी
बढ़
रही
है।
राहत कार्य में धीमी गति को लेकर फूटा लोगों का गुस्सा
पानी से होने वाली बीमारियों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है। बचावकर्मियों ने 32,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अनेक एजंसियों की ओर से जारी बड़े राहत अभियान में अब तक 80,000 लोगों को निकाला गया है।
लेकिन बाढ़ग्रस्त जम्मू कश्मीर में अब भी अनुमानित छह लाख लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं। राज्य में दो सितंबर को शुरू हुई बारिश से मची बाढ़ की तबाही पिछले 109 सालों की सबसे भयावह त्रासदी बताई जा रही है। दूरसंचार के टूट गए संपर्कों को दुरुस्त करने के लिए जमकर प्रयास किए जा रहे हैं।
राहत कार्यों को लेकर जहां राज्य सरकार की आलोचना हो रही है वहीं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वे जनता की नाराजगी समझते हैं। वहीं बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव अभियान में लगे बल के अन्य जवानों से भी लोगों की कहासुनी हुई।
ना खाना ना पीना
रावलपुरा की कयूम कालोनी में रहने वाली बाढ़ पीड़िता मीना अहमद तुरंत राहत की गुहार लगाते हुए बिलख पड़ीं। उन्होंने कहा-हमें फौरन खाना और पानी चाहिए। कृपया हमें दीजिए।
उमर के मुताबिक, उनके लिए चिंता की मुख्य वजह बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी घटने से बीमारियों के प्रकोप की आशंका है। उन्होंने कहा कि पानी का स्तर उम्मीद से ज्यादा तेजी से घट रहा है।
झेलम के आसपास बढ़ रहा जलस्तर
रक्षा प्रवक्ता कर्नल जीडी गोस्वामी ने जम्मू में कहा कि आम तौर पर जलस्तर घटने लगा है। लेकिन झेलम नदी के आसपास के निचले इलाकों में जल स्तर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि श्रीनगर शहर में बाढ़ के बाद जलस्तर तीन से चार फुट कम हो गया है। लेकिन वुलर झील में जलस्तर छह इंच बढ़ा है।
गोस्वामी ने कहा कि राजबाग, जवाहर नगर, गोगजी बाग और शिवपोरा इलाकों में बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। यहां बचाव कार्यों को गति प्रदान की जा रही है।
दर्जनों नावों को काम पर लगाया गया है। वहीं हेलिकॉप्टरों से खाने के पैकेट गिराए जा रहे हैं। भारतीय वायुसेना और आर्मी एविएशन कॉर्प के कुल 79 विमानों और हेलिकॉप्टरों को राहत व बचाव कार्य में लगाया गया है।
वहीं सेना ने एक लाख जवानों को तैनात किया है। एनडीआरएफ के दलों ने भी अपने बचाव कार्यों को तेज कर दिया है।