Bihar Assembly election 2020: तेजस्वी-नीतीश की जंग में यह 6 चेहरे चुनावों में निभाएंगे बड़ी भूमिका
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए तारीखों का ऐलान हो गया। बिाहर में इस बार तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे। बिहार में विधानसभा चुनाव की शुरुआत 28 अक्टूबर की वोटिंग से शुरू होगी और सात नवंबर को अंतिम चरण की वोटिंग होगी। 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए परिणाम 10 नवंबर को सामने आ जाएंगे। बिहार चुनाव में जहां बीजेपी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है तो वहीं जेडीयू का चेहरा खुद सुशासन बाबू नीतीश कुमार है। वहीं राजद तेजस्वी यादव के चेहरे पर चुनावी मैदान में हैं। बिहार के इस चुनाव में इन 6 चेहरों की अहम भूमिका रहेगी।
नरेंद्र मोदी
वह प्रधानमंत्री हैं, लेकिन बिहार चुनाव पर उनका प्रभाव गहरा होगा, क्योंकि राज्य में एक मजबूत संगठन के बावजूद बीजेपी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो नीतीश कुमार की छवि का मुकाबला कर सके। बिहार में चुनाव से पहले पीएम मोदी द्वारा नीतीश कुमार की प्रशंसा की थी। यह राज्य के चुनाव में उनकी महत्व को दर्शाती है। भाजपा पहले से ही कह रही है कि चुनाव प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में होगा, भले ही राज्य का नेतृत्व नीतीश कुमार के अधीन हो। कोविड -19 महामारी और राम मंदिर और धारा 370 के बीच यह पहला चुनाव है। यह उनके लिए भी एक परीक्षा होगी, जहां 2015 में उनकी पार्टी को अपनी लोकप्रियता के चरम पर झटका लगा था।
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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार 2005 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। इस बार वे सातवें कार्यकाल की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उनकी पार्टी कभी भी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। बिहार में वह एक निर्विवाद नेता बन गए हैं, जो अपने द्वारा चुने गए गठबंधन को पक्ष में संतुलन बनाए रखते हैं। भाजपा बिहार में जेडीयू के लिए जीत की भूमिका निभाती रही है, बावजूद इसके कि वह हिंदी के क्षेत्र में अपनी क्षमता और स्वीकार्यता को कायम रखे हुए हैं। उनके 'सुशासन', विकास की पहल और महिला सशक्तीकरण ने उन्हें राज्य को गठबंधन तक पहुंचाने में मदद की है।
तेजस्वी प्रसाद यादव
लालू प्रसाद जैसे बड़े नेता की छाया से बाहर आना किसी भी बेटे के लिए आसान नहीं है। तेजस्वी को भी राजद के 15 साल के शासनकाल की पिछली इमेज से अपनी पार्टी को बाहर निकालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं नीतीश कुमार से जैसे अनुभवी नेता से सामना भी तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती है। तेजस्वी अपनी उम्र के साथ, वह अपनी खुद की जगह और पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। राजद का मुख्य वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम और यादव जाति के आलावा तेजस्वी बिहार के युवाओं को भी आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन उन्हें गठबंधन की राजनीति के दौर में राजद से परे अपनी स्वीकार्यता साबित करनी होगी।
चिराग पासवान
वह युवा, महत्वाकांक्षी और उर्जा से भले हुए हैं। चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष हैं, जिसे उनके पिता रामविलास पासवान ने 2000 में लॉन्च किया था, लेकिन वह एक पीढ़ीगत बदलाव के लिए कोशिश कर रहे हैं। चिराग ने अपने चचेरे भाई और समस्तीपुर से सांसद प्रिंस राज को बिहार का चीफ बनाया है। एनडीए में होने के बावजूद, जमुई के दो बार के सांसद चिराग नीतीश कुमार पर हमला बोलेने को कोई मौका नहीं छोड़ते हैं और नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हैं। चिराग जानते हैं कि चीजों को कैसे संतुलित करना है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पहली बार होगा जब रामविलास पासवान पीछे दिखेंगे।वहीं चिराग पार्टी का नेतृत्व करते नजर आएंगे।
सुशील कुमार मोदी
बिहार में 2005 से एनडीए के शासनकाल से राज्य के डिप्टी सीएम हैं। उन्हें नीतीश कुमार के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण भाजपा और जेडी-यू के बीच पुल के रूप में देखा जाता है। वह राज्य में भाजपा का चेहरा हैं, हालांकि पार्टी ने इस अवधि के दौरान आधा दर्जन से अधिक राज्य अध्यक्षों को देखा है। यह पार्टी के भीतर उनके कद के बारे में बताता है। अपने मजबूत होमवर्क और आसान पहुंच के लिए जाने जाने वाले, वे बीजेपी के रणनीतिकार हैं।
असदुद्दीन ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन बिहार की राजनीति में एक बड़ी खिलाड़ी नहीं रही है, लेकिन इसकी बढ़ती महत्वाकांक्षा विपक्ष के लिए बाधा खड़ी कर सकती है। बिहार में, 80 से अधिक सीटें हैं, जिन पर अल्पसंख्यक वोटर अहम भूमिका में हैं। 30 विधानसभा सीटों के लिए सीमांचल क्षेत्र में अल्पसंख्यक वोट निर्णायक हो सकते हैं। पहली बार, पार्टी ने 2019 में उपचुनाव में एक सीट जीती थी। हालांकि एआईएमआईएम 2015 के चुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही, लेकिन इस बार बिहार में सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना है।
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