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500 किलोग्राम प्लास्टिक से बन सकता है 400 लीटर ईंधन!

भारतीय इंजीनियर ने खोजी तकनीकी. इसी ईंधन से चलाते हैं अपनी कार.

By BBC News हिन्दी
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प्लास्टिक कचरे से ईंधन
Getty Images
प्लास्टिक कचरे से ईंधन

प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने की कोशिश कोई नई बात नहीं है, लेकिन शायद ही कोई ऐसी तकनीक ईजाद हो पाई हो जिसका व्यावसायिक इस्तेमाल संभव हो सका हो.

लेकिन हैदराबाद के एक मैकेनिकल इंजीनियर सतीश कुमार ने इसे संभव कर दिखाया है.

प्लास्टिक कचरे को पूरी तरह नष्ट में सैकड़ों साल लगते हैं और हालत ये है कि ये बहकर समंदरों में पहुंच रहे हैं और इकट्ठा हो रहे हैं.

भारत सरकार की 2015 में आई रिपोर्ट के मुताबिक यहां के 60 शहर प्रतिदिन 3,501 टन प्लास्टिक कचरा पैदा करते हैं.

हैदराबाद भी इन्हीं में से एक है जहां प्रतिदिन 200 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है.

इनका निस्तारण एक बड़ी समस्या है. असल में प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जा सकता है, लेकिन छह बार रिसाइकिलिंग के बाद इसकी रिसाइकिलिंग सीमा समाप्त हो जाती है.

इसके बाद बचा हुए हिस्सा किसी काम का नहीं रह जाता.

लेकिन एक मकैनेकिल इंजीनियर ने एक ऐसी तकनीक इज़ाद की है जिससे इस बेकार जिसे डेड प्लास्टिक कहते हैं, उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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प्लास्टिक कचरे से ईंधन
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प्लास्टिक कचरे से ईंधन

हर महीने 15 टन प्लास्टिक का निस्तारण

हाइड्रॉक्सी सिस्टम्स एंड रिसर्च के संस्थापक सतीश कुमार कहते हैं, "जब ये आइडिया आया तो मैंने इस पर रिसर्च किया. आइडिया ये था कि उन प्लास्टिक कचरे, जिनका आगे इस्तेमाल संभव नहीं है और ऐसे प्लास्टिक का जिन्हें रिसाइकिल नहीं किया जा सकता, इस्तेमाल किया जाए. इस प्रक्रिया में हम बचे हुए प्लास्टिक कचरे को लेते हैं और इनको विशेष प्रक्रिया से गुजारते हैं, जिससे हमें सिंथेटिक डीज़ल, सिंथेटिक पेट्रोल, हवाई जहाजों के सिंथेटिक ईंधन, पेट्रो केक और यहां तक कि पेट्रोलियम गैस भी प्राप्त होती है. जिन प्लास्टिक कचरे को हम बेकार समझते हैं वो हमें ये उत्पाद देता है."

सतीश ने इस कचरे को अन्य चीजों के साथ वैक्यूम चैंबर में डाला और इसे 350 से 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया.

इस प्रक्रिया में आम तौर पर 500 किलोग्राम प्लास्टिक से 400 लीटर ईंधन प्राप्त होता है.

उनका दावा है कि इससे 200 से 240 लीटर डीज़ल, 80 से 100 लीटर हवाई जहाज के ईंधन, 60 लीटर पेट्रोल और 20 लीटर अन्य पदार्थ होता है.

सतीश कहते हैं कि वो हर महीने 15 टन प्लास्टिक का इस तरह निस्तारण करते हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजडी हैदराबाद में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रिंसिपल प्रोफ़ेसर आर श्याम सुंदर कहते हैं, "ये बहुत अच्छी और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है. इस प्रक्रिया से कोई भी हानिकारक सामग्री बाहर नहीं जाती है. इसमें हर चीज दूसरे में तब्दील हो जाती है. और शेष जो कुछ बचता है उसका भी एक अलग इस्तेमाल है."

सतीश
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सतीश

कितना व्यावहारिक

लेकिन अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक्रिया में बहुत अधिक ऊर्जा खर्च होती है और इसमें बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसें भी निकलती हैं.

तेलंगाना सरकार को इस तकनीक में संभावना दिखती है.

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइज़ेज से जुड़े डॉ दिव्येंदु चौधरी कहते हैं, "इस तकनीक पर हमने विचार किया है और हमें लगता है कि इसका व्यावसायिक इस्तेमाल हो सकता है. आज के दौर में जब समाज में प्लास्टिक एक बड़ा सिरदर्द बन गया है इससे एक सामाजिक जागरूकता का भी बोध जुड़ा हुआ है. इसलिए अगर हम इसे प्रभावी तौर पर ईंधन में बदलते हैं तो ये समाज के लिए बहुत मायने रखता है."

प्लास्टिक कचरे से ईंधन
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प्लास्टिक कचरे से ईंधन

सतीश अपनी कार में खुद का बनाया हुआ पेट्रोल ही इस्तेमाल करते हैं.

लेकिन जबतक हम प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम नहीं करते, ये समस्या बहुत हद तक हल नहीं होने जा रही.

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English summary
500 kilograms of plastic can be 400 liters of fuel
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