सचिन पायलट के इन अकाट्य तर्कों से उनके पक्ष में पलट सकती है बाजी
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस के भीतर लगातार घमासान जारी है। पार्टी के भीतर सचिन पायलट और अशोक गहलोत को लेकर लगातार मंथन जारी है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। हालांकि राजस्थान कांग्रेस के पर्यवेक्षक वेणुगोपाल ने साफ कर दिया है कि अब इस मुद्दे पर कोई बैठक नहीं होगी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुख्यमंत्री के नाम का आज ऐलान कर देंगे। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। वहीं राजस्थान की सड़क पर सचिन पायलट के समर्थक लगातार उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, नारेबाजी कर रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। सचिन पायलट इस रेस में काफी हद तक आगे भी हैं और इसकी कुछ अहम वजहे हैं।
गहलोत ने दिया बागियों का साथ
दरअसल सचिन ने राहुल गांधी से कहा कि गहलोत ने अंदरखाने बागियों का साथ दिया ताकि अगर वो जीतें तो बाद में सीएम की रेस में उनका समर्थन हासिल किया जा सके, इसलिए पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के लिए परेशानी खड़ी की गई और वो हार गए। ऐसे में सचिन पायलट के इस तर्क को नजरअंदाज करना कांग्रेस अध्यक्ष के लिए आसान नहीं होगा।
सिर्फ गुर्जर जाति का नेता नहीं
अपने पक्ष मं सचिन पायलट ने एक और भी तर्क दिया है। पायलट ने कहा कि मुझे केवल गुर्जर जाति का नेता बताया जा रहा है जो कि सरासर गलत है, मैंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। मैं सभी का प्रतिनिधित्व करता हूं। पायलट के इस बयान से साफ है कि वह खुद को हर समुदाय और जाति के नेता के तौर पर देखते हैं, लिहाजा उनकी दावेदारी बतौर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मजबूत हुई है।
कमलनाथ बने सकते हैं सीएम तो मैं क्यों नहीं
माना जा रहा था कि जिस तरह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ को पार्टी की पीसीसी का चीफ बनाया गया था उसी तरह से राजस्थान में भी सचिन पायलट को भी पीसीसी चीफ बनाया गया है। हालांकि कमलनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है, ऐसे में सचिन पायलट ने तर्क दिया है कि अगर मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है तो राजस्थान में उन्हें यह जिम्मेदारी क्यों नहीं दी जा सकती है।
2019 पर नहीं पड़ेगा असर
राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की राह में सचिन पायलट के लिए सबसे बड़ा रोड़ा है 2019 का लोकसभा चुनाव। दरअसल यह कहा जा रहा है कि अगर सचिन पायलट को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया तो 2019 में कांग्रेस प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगी। लेकिन सचिन पायलट ने तर्क दिया है कि जब 2003, 2008 में गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो पार्टी 2013 और 2014 में पार्टी का प्रदर्शन क्यों निराशाजनक रहा।
आखिर क्यों गए दिल्ली की राजनीति में
प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के लिए सचिन पायलट ने जो सबसे बड़ा तर्क दिया है वह यह कि अगर अशोक गहलोत को वापस प्रदेश की ही राजनीति में लौटना था तो वह दिल्ली की राजनीति में क्यों गए। गौर करने वाली बात है कि अशोक गहलोत को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी में काफी अहम भूमिका दी है, इसी पर सवाल खड़ा करते हुए पायलट का कहना है कि केंद्रीय स्तर पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने के बाद एक बार फिर से राज्य की राजनीति में लौटना गहलोत के लिए बिल्कुल भी औचित्यपूर्ण नहीं है।
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