फिलीस्तीन में पीएम मोदी:आखिर क्या हैं पीएम मोदी के रामल्लाह जाने की 5 बड़ी वजहें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 फरवरी को पश्चिम एशिया के दौरे पर रवाना होंगे। पीएम मोदी यूएई और मस्कट जाएंगे लेकिन उनके दौरे का सबसे अहम पड़ाव होगा फिलीस्तीन। जुलाई 2017 में पीएम मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो फिलीस्तीन के दौरे पर जाएंगे।
नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 फरवरी को पश्चिम एशिया के दौरे पर रवाना होंगे। पीएम मोदी यूएई और मस्कट जाएंगे लेकिन उनके दौरे का सबसे अहम पड़ाव होगा फिलीस्तीन। जुलाई 2017 में पीएम मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो इजरायल के दौरे पर गए थे अब वह पहले ऐसे पीएम होंगे जो फिलीस्तीन के दौरे पर जाएंगे। पीएम मोदी का फिलीस्तीन दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब तीन हफ्ते पहले इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरा खत्म करके वापस इजरायल गए हैं। इसके अलावा अमेरिका ने जेरूशलम को राजधानी की मान्यता दे दी है। इसके अलावा भारत और इजरायल के बीच पिछले दिनों दो अहम रक्षा सौदों को खत्म किया जा चुका है। सबसे दिलचस्प बात है कि मोस्ट वांटेंड आतंकी हाफिज सईद के मुद्दे पर पिछले दिनों पाकिस्तान और फिलीस्तीन के बीच तनातनी देखी गई थी। एक नजर डालिए उन पांच वजहों पर कि आखिर क्यों पीएम मोदी का यह फिलीस्तीन दौरा भारत के लिए अहम साबित हो सकता है।
संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिशें
भारत दुनिया का पहला ऐसा गैर-अरब देश था जिसने फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) को मान्यता दी थी। इसके बाद साल 1975 में दिल्ली में पहला पीएलओ ऑफिस खुला और साल 1980 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत हुई। भारत ने 18 नवंबर 1988 को फिलीस्तीन को पूर्ण राष्ट्र के दर्जे को मान्यता दी। इन सभी अहम पड़ावों से पहले दोनों देशों के बीच 1974 से ही संबंधों की शुरुआत हो चुकी थी और उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। इसके बाद साल 1997 में फिलीस्तीन नेता यासिर अराफात ने दो बार भारत का दौरा भी किया। लेकिन बीच दोनों देशों के संबंध कुछ कमजोर से लगने थे। अब इन संबंधों को फिर से नई मजबूती देने की कोशिशों के तहत पीएम मोदी फिलीस्तीन जा रहे हैं। यहां पर वह फिलीस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात के नाम पर रामाल्लाह में बनाए गए यासिर आराफात म्यूजियम का दौरा भी करेंगे और उन्हें सम्मानित करेंगे। वह अराफात के सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे।
पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति का हिस्सा
पीएम मोदी का फिलीस्तीन दौरा कहीं न कहीं पाकिस्तान के खिलाफ एक आक्रामक रणनीति को भी दिखाता है। जिस समय अमेरिका ने जेरूशलत को राजधानी के तौर पर मान्यता दी उस समय पाकिस्तान में फिलीस्तीन के राजदूत वालिद अबु अली ने रावलपिंडी में आयोजिक एक रैली में हिस्सा लिया और इस रैली में मोस्ट वांटेंड आतंकी हाफिज सईद भी मौजूद था। भारत की ओर से जब इसका विरोध दर्ज कराया गया तो फिलीस्तीन ने पाक से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और भारत को भरोसा दिलाया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह उसके साथ है। इस वजह से ही सरकार ने राजदूत को वापस बुलाने का फैसला लिया है। फिलीस्तीन की मानें तो किसी भी तरह के विवादों पर फिलीस्तीन का रुख पूरी तरह से साफ है। जब हमारे राजदूत ने गलत कदम उठाया तो हमनें अपनी गलती मानी और उसे सुधारा। पाकिस्तान के खिलाफ अगर भारत को मजबूत रणनीति अपनानी है तो यूएई, सऊदी अरब और फिलीस्तीन जैसे देश काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
पीएम मोदी का बैलेंसिग एक्ट
पीएम मोदी जब इजरायल दौरे पर गए तो वह देश के ऐसे पीएम बनें जिन्होंने फिलीस्तीन का दौरा किए बिना अपना इजरायल दौरा पूरा किया। कुछ लोगों ने उनकी आलोचना भी की और कुछ ने उन्हें सराहा भी। अमेरिका की ओर से जेरूशलम को राजधानी की मान्यता देने के बाद कहीं न कहीं वह एक ऐसा संदेश देना चाहते थे कि भारत की नीति दोनों देशों के लिए एक सी है। अगर भारत, इजरायली पीएम नेतन्याहू का स्वागत करता है तो पीएम मोदी को भी फिलीस्तीन जाने में कोई हिचक नहीं है।
भरोसा जीतने की कवायद
जिस समय अमेरिका ने जेरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी तो भारत उन देशों के साथ जिसने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया। उन हालातों के बीच ही भारत में फिलीस्तीनी राजदूत का बयान आया कि पीएम मोदी जल्द फिलीस्तीन के दौरे पर जाएंगे। पीएम मोदी फिलीस्तीन के भरोसे पर खरे उतरे और उन्होंने दौरे का ऐलान किया। भारत, पश्चिम एशिया में एक मजबूत कड़ी बन सकता है और इसका फायदा उसे आने वाले वर्षों में आतंकवाद का खात्मा करने में मिलेगा।
मजबूत विदेश नीति
फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और पीएम मोदी की यह चौथी मुलाकात होगी। राष्ट्रपति अब्बास के सलाहकार माजिदी अल खालिदी ने दौरे से पहले कहा है कि पीएम मोदी ऐसे समय में उनके देश आ रहे हैं जब फिलीस्तीन चाहता है कि भारत पश्चिम एशिया में शांति प्रक्रिया में अहम रोल अदा करे। खालिदी ने कहा है कि इस क्षेत्र में अमेरिका की जगह भारत के बड़े रोल की जरूरत है। उनकी मानें तो पीएम मोदी का यह दौरा भारत की मजबूत विदेश नीति को दर्शाता है।