Karnataka Election Results 2018: इन 5 कारणों से मिली बीजेपी को जीत
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए काउंटिंग का काम जारी है। अभी तक आए रुझानों के हिसाब से यह बात साफ हो गई है कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 2019 से पहले कर्नाटक में जीत कांग्रेस के लिए बेहद अहम थी। लेकिन चुनाव दर चुनाव, उसकी हार का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एक और राज्य को कांग्रेस मुक्त करने में सफलता पा ली। इसके पीछे कई अहम कारण हैं- डालते हैं इन पर एक नजर:
ऐन टाइम पर आकर मोदी ने पलट दी बाजी
पीएम
नरेंद्र
मोदी
काफी
देरी
से
कर्नाटक
विधानसभा
चुनाव
के
प्रचार
में
कूदे,
लेकिन
1
मई
के
बाद
से
उन्होंने
तूफानी
प्रचार
करते
हुए
करीब
21
रैलियों
को
संबोधित
किया।
इसके
साथ
ही
नमो
ऐप
के
लिए
विभिन्न
संगठनों
के
साथ
भी
प्रधानमंत्री
का
सीधा
संवाद
कांग्रेस
पर
भारी
पड़
गया।
पीएम
मोदी
ने
नमो
ऐप
को
बड़े
चुनावी
हथियार
की
तरह
कर्नाटक
में
यूज
किया।
बीजेपी
आईटी
सेल
के
मुताबिक,
बीते
तीन
महीने
में
नमो
ऐप
के
20
लाख
से
ज्यादा
डाउनलोड
हुए।
मोदी
की
धमाकेदार
एंट्री
से
कर्नाटक
में
पार्टी
के
कार्यकर्ताओं
में
जोश
भर
गया।
नमो
ऐप
की
मदद
से
पीएम
मोदी
ने
बीजेपी
के
बूथ
लेवल
के
कार्यकर्ता
को
काफी
प्रेरित
किया।
येदुरप्पा फैक्टर ने भी दिखाया असर
2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीएस येदुरप्पा की कमी बीजेपी को बहुत खली। लिंगायत समुदाय से आने वाले येदुरप्पा की वापसी से बीजेपी को इस बार काफी लाभ मिला। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने लिंगायत वोटरों पर डोरे डालने का काफी प्रयास किया, लेकिन मठों ने आखिरकार बीजेपी पर ही भरोसा किया। इस काम में येदुरप्पा की भूमिका काफी अहम रही।
संघ ने मांगे हिंदुत्व के नाम पर वोट
बीजेपी को कर्नाटक दो रीजन में सबसे ज्यादा सीटें हासिल हुई हैं। वो हैं- कोस्टल कर्नाटक और सेंट्रल कर्नाटक। इन दोनों रीजन में संघ परिवार ने डोर टू डोर कैंपेन किया। हिंदुत्व के नाम संघ के कार्यकर्ताओं ने बीजेपी को वोट देने की अपील की। अब नतीजों से साफ है कि संघ का हिंदू कार्ड चल गया।
काम कर गया बीजेपी का वॉट्सऐप मैनेजमेंट
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वॉट्सऐप पर भी जमकर जंग छिड़ी। बीजेपी ने करीब 20,000 वॉट्सऐप ग्रुप बनाए, जिनके जरिए वोटर्स तक अपनी बात पहुंचाई। हालांकि, कांग्रेस ने भी 15000 से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप बनाए थे। लेकिन वॉट्सऐप की इस वॉर में भी बीजेपी बाजी मार ले गई।
कांग्रेस के लिए काम नहीं आया लिंगायत कार्ड, बीजेपी पर किया भरोसा
कर्नाटक चुनाव प्रचार से पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच लिंगायत वोट हासिल करने की जबरदस्त जंग चली। चुनाव से ऐन पहले कर्नाटक कैबिनेट ने 19 मार्च को लिंगायत और वीरशैव लिंगायतों को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश की थी। कर्नाटक सरकार ने नागमोहन समिति की सिफारिशों को स्टेट माइनॉरिटी कमीशन ऐक्ट की धारा 2डी के तहत मंजूरी दी थी। सिद्धारमैया लिंगायत वोट पाने के लिए मास्टरस्ट्रोक चल चुके थे, उन्हें लगा था कि यह हथियार जरूर काम करेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, मठों ने कांग्रेस के इस कदम को शिगूफा माना और बीजेपी पर भरोसा किया।