पर्दे के पीछे के वो 5 चेहरे जिन्होंने मोदी को दिलाई विराट जीत
नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने सामने से बीजेपी (BJP) के कैंपेन को लीड किया। लेकिन, पार्टी में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जिन्होंने उनके लिए पर्दे के पीछे रहकर इतनी विराट जीत दिलाने में बहुत बड़ा रोल निभाया है। हम यहां बीजेपी के उन पांच नेताओं की बात कर रहे हैं, जो पूरे कैंपेन के दौरान ज्यादा लाइमलाइट में आए बिना मोदी को दोबारा और पिछली बार से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कराने के लिए बहुत बड़ी मेहनत की है। इन पांच लोगों में से कुछ चेहरे तो ऐसे हैं, जिनके बारे में आम लोगों को ज्यादा कुछ भी नहीं पता है।
सुनील बंसल
सुनील बंसल (Sunil Bansal) के पास उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) जैसे 80 सीटों वाले राज्य की जिम्मेदारी है। मूल रूप से आरएसएस (RSS) से जुड़े रहे बीजेपी के महासचिव सुनील बंसल (Sunil Bansal) का यह यूपी में लगातार तीसरा चुनाव था। उन्होंने 2014 और 2017 में भी यूपी में चुनाव अभियान की जिम्मेदारी संभाली थी। बीजेपी (BJP) सर्किल में उन्हें अमित शाह का 'नट्स एंड बोल्ट्स मैन' कहा जाता है। पार्टी महासचिव के तौर पर 2014 में अमित शाह ने जब यूपी की जिम्मेदारी संभाली थी, तब भी इन्होंने उनके दाहिने हाथ का काम किया था। इस चुनाव में बुआ और बबुआ फैक्टर के बावजूद अगर बीजेपी ने सहयोगी के साथ 64 सीटें जीती है, तो उसका बहुत बड़ा श्रेय इसी इंसान को जाता है।
कैलाश विजयवर्गीय
पश्चिम बंगाल (West Bengal) में अमित शाह की रणनीति को जमीन पर उतारने की मुख्य जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) के पास थी, जो उन्होंने असंभव को संभव बनाकर बखूबी निभाई है। वे बीजेपी के नेशनल जेनरल सेक्रेटरी हैं और उन्होंने बंगाल में ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) और उनकी पार्टी टीएमसी (TMC) के खिलाफ पार्टी के लिए हिंदुत्व का कैंपेन चलाने में बहुत बड़ा रोल निभाया है। बंगाल में बीजेपी (BJP) के पास कोई बहुत बड़ा हेवीवेट नेता नहीं था, लेकिन फिर भी पार्टी में लोगों के बीच पैदा हुई गुटवाजी को कंट्रोल में रखकर विजयवर्गीय ने बड़ी भूमिका निभाई और उन्होंने बंगाल में पार्टी को उसके टारगेट के पास पहुंचा दिया। आज ये भी सच्चाई है कि राज्य में भाजपा टीएमसी (TMC) से सिर्फ 4 सांसद और महज 3% वोट से ही पीछे रह गई है।
प्रकाश जावड़ेकर
राजस्थान (Rajasthan) में बीजेपी को सभी 25 सीटें दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बैकचैनल डीलिंग में बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने कुछ जातियों के नेताओं को पार्टी के सहयोगी के रूप में जोड़ने का काम किया। जाट और गुर्जर नेताओं को पार्टी के साथ लाने के लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी मनाया और इस बात का पूरा ख्याल रखा कि स्टेट यूनिट में अगर किसी बात को लेकर मतभेद है भी तो उससे पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़े। उनकी रणनीति कामयाब रही और उनकी बदौलत पार्टी ने राजस्थान (Rajasthan) 100% सफलता हासिल की।
भूपेंद्र यादव
बीजेपी उपाध्यक्ष भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) के पास राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के चुनाव अभियान की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लिए रैलियों की जगह चुनने और वहां पर उसके इंतजाम का सारा जिम्मा भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) ही के पास था। वो इन बड़ी रैलियों के लिए लॉजिस्टिक का काम तो देख ही रहे थे, साथ ही मोदी के दफ्तर से कोऑर्डिनेट भी करते थे। इसके अलावा उनके पास बिहार (Bihar) और झारखंड (Jharkhand) जैसे राज्यों की भी जिम्मेदारी थी, जहां हर तरह के बनते-बिगड़ते समीकरणों को उन्होंने पार्टी उम्मीदवारों की जीत में बदलने में अहम रोल निभाया।
अनिल जैन
पिछले साल दिसंबर में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बीजेपी को मिली करारी हार को पांच महीने बाद ही पलटने के पीछे बीजेपी महासचिव डॉक्टर अनिल जैन (Anil Jain) का ही दिमाग माना जा सकता है। उनके कहने पर ही पार्टी ने इस बार राज्य में अपने सभी 10 सीटिंग सांसदों का टिकट काट दिया और 9 सीटें अपनी झोली में करने में सफल हो गई। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)के अलावा उनके पास हरियाणा (Haryana) का भी जिम्मा है, और वहां भी बीजेपी को अभूतपूर्व जीत दिलाने में उन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया है। हरियाणा (Haryana) में जाटों के वोटों के एक बड़े हिस्से को बीजेपी के पक्ष में करने और कांग्रेस के सारे समीकरणों को धोकर राज्य की सभी 10 सीटें जीतने में इन्होंने मनोहर लाल खट्टर की बहुत ही ज्यादा मदद की है।
इसे भी पढ़ें- अमेठी में राहुल की हार के लिए BSP ही बनी वजह