नक्सल प्रभावित 44 जिलों को जोड़ने वाली 5,412 किलोमीटर की सड़क सुकमा हमले की वजह
गृह मंत्रालय की ओर से देश के 44 जिलों को आपस में जोड़ने के लिए 5,412 किलोमीटर लंबी सड़क की मंजूरी दी गई थी। यह सड़क जिन 44 जिलों से होकर गुजरती है वह जिले सर्वाधिक नक्सली हिंसा प्रभावी जिले हैं।
नई दिल्ली। सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में जो नक्सल हमला हुआ, उससे कहीं न कहीं अब इस बात की ओर इशारा मिलता है कि नक्सली विकास कार्यों के खिलाफ हैं। इन्हीं विकास कार्यों से चिढ़कर उन्होंने सीआरपीएफ के 25 जवानों की जान ले ली। छत्तीसगढ़ के सुकमा में पिछले कुछ दिनों से काफी विकास कार्य जारी थे और यही बात नक्सलियों को पसंद नहीं आ रही थी।
खतरा महसूस करने लगे हैं नक्सली
सीआरपीएफ सुकमा और आसपास के इलाकों में हो रहे विकास कार्यों में काफी अहम साबित हो रही है। गृह मंत्रालय की ओर से उन 44 जिलों को सड़क मार्ग के जरिए आपस में जोड़ने का निर्देश दिया गया था जो नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित हैं। यह सड़क करीब 5,412 किलोमीटर लंबी है और इसका निर्माण कार्य छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में जारी है। एक बार इस निर्माण कार्य के पूरा हो जाने के बाद यहां पर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और दूसरे बिजनेस सेंटर्स आ सकेंगे। यही बात नक्सलियों और उनकी विचारधारा को प्रभावित कर रही है। नक्सली अभी तक यह कहते आए हैं कि इन राज्यों में लोगों के विकास के लिए कोई काम नहीं किया जा रहा है। गृह मंत्रालय को दक्षिणपंथी चरमपंथ सुरक्षा देने वाले सलाहकार के विजय कुमार का कहना है कि इस हमले के जरिए सीआरपीएफ को विकास कार्यों में शामिल होने से रोकने की कोशिश की जा रही है। अब उन्हें खतरा महससू होने लगा है और इस हमले को अंजाम दिया गया है।
कैसे दिया गया हमले को अंजाम
सोमवार को सीआरपीएफ की उस पेट्रोलिंग टीम पर हमला हुआ है जो सड़क-सुरक्षा से जुड़े एक ऑपरेशन पर थी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक सीआरपीएफ की टीम ने सोमवार सुबह करीब 5:30 बजे अपना कैंप छोड़ दिया था। सुबह 10:30 बजे जब पेट्रोलिंग टीम ब्रेक के लिए रुकी तो उसका ध्यान गांव के उन लोगों पर गया जो उनकी ओर आ रहे थे। इन लोगों के पास जानवर थे और अचानक ही यह लोग चले गए। अधिकारी की मानें तो ऐसा लगता है कि ये लोग पेट्रोलिंग टीम मे मौजूद सीआरपीएफ जवानों के पास कितने हथियार हैं इस बारे में टोह लेने आए थे। करीब दोपहर 12:45 मिनट पर इस पट्रोलिंग टीम जिसमें करीब 99 सदस्य थे खाना खाने के लिए रुके। एक स्टैंडड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) के तहत एक साथ सभी लोग खाना खाने के लिए नहीं बैठते हैं। एक ग्रुप खाना खाता है तो एक सुरक्षा में रहता है। सोमवार को जब शिफ्ट के बीच सीआरपीएफ जवान खाना खा रहे थे तो गांव वालों का एक बड़ा ग्रुप उनकी ओर आ रहा थे। इस ग्रुप पर सीआरपीएफ जवानों का ध्यान लगा था तभी अचानक 50 नक्सलियों ने फयरिंग शुरू कर दी। इसी बीच एक जोरदार ब्लास्ट हुआ। सीआरपीएफ जवानों की ओर से भी फायरिंग हुई और नक्सली जो गांव वालों के पीछे छिपे थे उन्होंने भी फायरिंग शुरू कर दी। नक्सली पूरे काले कपड़ों में थे और हथियारों से लैस थे। सीआरपीएफ की ओर से तुरंत फायरिंग शुरू नहीं की जा सकी क्योंकि वे गांव वालों को रक्षा कवच के तौर पर प्रयोग कर रहे थे। नक्सली दोनों तरफ से हमला कर रहे थे।