जम्मू-कश्मीर में लोगों को जल्द मिल पाएगी 4G की सुविधा, 15 अगस्त के बाद से दो जिलों में शुरू होगा ट्रायल
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर 4-जी इंटरनेट बहाली को लेकर केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 4-जी इंटरनेट सेवा पर से प्रतिबंध जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में ट्रायल के आधार पर 15 अगस्त के बाद हटा लिया जाएगा। अटार्नी जनरल केके वेनुगोपाल ने कहा कि 16 अगस्त से 4 जी इंटरनेट सेवा पर से प्रतिबंध ट्रायल के तौर पर जम्मू-कश्मीर के दो जिले से हटा लिए जाएंगे। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि समिति ने फैसला किया कि राज्य में 4 जी इंटरनेट का लोगों को धीरे-धीरे एक्सेस दिया जाए और 2 महीने के बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। केंद्र ने अदालत को बताया कि विशेष समिति ने राज्य ट्रायल बेसिस पर 4 जी इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्णय लिया है। जहां ट्रायल होगा वे क्षेत्र कम संवेदनशील हैं।
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उल्लेखनीय है कि बीते साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के प्रावधानों को रद्द करने से एक दिन पहले ही राज्य में इंटरनेट और फोन सेवाएं रद्द कर दी गईं थी। हालांकि कुछ दिन बाद फोन लाइन, फिर मोबाइल फोन और फिर 2 जी इंटरनेट की सेवा प्रदान की गई। इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने के विषय पर विचार करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा पांच अगस्त, 2019 से निलंबित चल रही है जब केंद्र ने राज्य का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी।
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अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि अधिकारियों के विरुद्ध कोई अवमानना का मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने शीर्ष अदालत के 11 मई के निर्देशों का पालन किया है।पीठ में न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं। पीठ ने केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन से हलफनामे दाखिल करने को कहा जिनमें समिति के गठन और उसके फैसलों का विवरण हो। शीर्ष अदालत केंद्रीय गृह सचिव अैर जम्मू कश्मीर प्रशासन के मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन पर केंद्रशासित प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के बारे में विचार करने के लिए विशेष समिति बनाने के न्यायालय के 11 मई के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा करने का आरोप लगाते हुए यह याचिका दाखिल की गई।