सावधान: कोरोना से मरने वालों में 45 फीसदी की उम्र 60 वर्ष से कम थी, जानें हाई रिस्क में कौन हैं
सावधान: कोरोना से मरने वालों में 45 फीसदी की उम्र 60 वर्ष से कम, जानें हाई रिस्क में कौन हैं
नई दिल्ली। भारत में कोरोना के कहर के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय के नवीनतम विश्लेषण में बहुत ही भयावह सच सामने निकल कर आया है। इस विश्लेषण में पता चला कि संक्रमण 60 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए समान रूप से घातक है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में होने वाली सभी कोविड -19 मौतों में से लगभग 45 प्रतिशत 60 वर्ष से कम आयु के वयस्कों की हुई।
मरने वालों में पुरुषों की संख्या बहुत अधिक
विश्लेषण से यह भी पता चला कि देश में वायरस के कारण मरने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं की संख्या से बहुत अधिक है। 26-44 आयु वर्ग में कम से कम 10 फीसदी मौतें दर्ज की गईं, जबकि मरने वालों में 35 से 44 वर्ष की आयु के थे। 60 वर्ष से अधिक आयु वालों की मृत्यु दर 53 प्रतिशत है। हालांकि, 17 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों की मृत्यु दर केवल 1 प्रतिशत है। यह दर 18-25 वर्ष की आयु वालों के लिए समान है।
हाई रिस्क में कौन हैं?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बीमारी से ग्रसित ( co-morbidities) और बुजुर्गों लोगों को कोविड 19 के संक्रमण से अधिक खतरा होता है। लेकिन "44-60 वर्ष की आयु में मृत्यु विशेष रूप से महत्वपूर्ण एवं चिंताजनक है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कभी-कभी युवाओं को लगता है कि चूंकि वे युवा हैं, वे संक्रमित नहीं हो सकते हैं, या संक्रमित होने पर वे इससे उबर जाएंगे। हमें इस तरह की धारणाएं नहीं बनानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 26-44 वर्ष की अपेक्षाकृत युवा आयु में कोविड -19 मौतों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की।
पूर्व में बीमारियों से ग्रसित लोगों की मौत
सरकार द्वारा विश्लेषण किए गए आंकड़ों का एक और सेट पहले से कुछ बीमारियों से ग्रसित यानी कोमोर्बिडिटीज (comorbidities) के कारण हुई मौतों से संबंधित था। अलग-अलग आयु समूहों के बीच किए गए अध्ययन में पता चलता है कि 45-60 वर्ष के बीच के लोगों में अन्य बीमारियों के कारकों से 13.9 प्रतिशत मौतें हुईं, जबकि 1.5 प्रतिशत की मौत ऐसे लोगों की हुई जो पहले से किसी बीमारी से ग्रसित नहीं थे। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में, 24.6 प्रतिशत मौतें कॉम्बिडिटी के कारण हुईं, जबकि 4.8 प्रतिशत की मृत्यु अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों के कोई लक्षण दिखाए बिना हुई। 45 वर्ष से कम आयु वर्ग में, 8.8 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हो गई थी, जिनमें कॉमरेडिडिटी थी जबकि 0.2 प्रतिशत के पास ऐसा कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं थी । कुल मिलाकर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरने वाले 17.9 प्रतिशत लोगों में अन्य बीमारियां थी, जबकि 1.2 प्रतिशत लोगों की मृत्यु उन लोगों में दर्ज की गई जिनके पास पहले से कोई बीमारी नहीं थी। भूषण ने कहा, '' कार्डियक इश्यूज, रीनल इश्यूज, ट्रांसप्लांट या कैंसर के मरीज़ों के साथ कोमोर्बिडिटीज वाले लोगों को सावधान रहने की ज़रूरत है, और कहा कि भारत की कुल मृत्यु दर 1.53 प्रतिशत है।
दर्दनाक:
74
वर्षीय
आदमी
को
फ्रीजर
में
रखकर,
परिवार
करता
रहा
रात
भर
मरने
का
इंतजार