1000 रुपए के लिए 10 साल बनाए रखा बंधुआ मजदूर, 42 लोगों को छुड़ाया गया
नई दिल्ली। देश को आजाद हुए 70 वर्ष से अधिक हो गए हैं, लेकिन बावजूद इसके अभी भी देश में लोगों को गुलाम बनाने की मानसिकता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। किसी भी सभ्य समाज के लिए इस तरह की खबर शर्मनाक है। तमिलनाडु के वेल्लोर में यह शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां 13 परिवारों के सदस्यों को बंधुआ मजदूर बनाए रखा गया। 13 परिवार के 42 सदस्यों को बंधुआ मजदूर बनाए रखा गया, जिसके बाद आखिरकार इन लोगों को आजाद कराया गया है।
13 परिवार के 42 लोग बनाए गए बंधुआ
जानकारी के अनुसार वेल्लोर और कांचीपुरम जिले से राजस्व अधिकारियों ने 13 परिवारों को बंधुआ मजदूरी से आजाद कराया है। जिन लोगों को आजाद कराया गया है, उसमे कुल 42 लोग शामिल हैं, जिसमे 16 बच्चे भी शामिल हैं। ये लोग पिछले पांच वर्षों से लकड़ी के अलग-अलग कारखानों में काम कर रहे थे। बता दें कि कांचीपुरम के ओलुंगावाड़ी के नटराज और उनके रिश्तेदारों ने इन लोगों को बंधुआ मजदूर बना रखा था। इन तमाम लोगों को कहीं भी जाने की इजाजत नहीं थी, यहां तक कि बच्चों को भी स्कूल जाने की इजाजत नहीं थे।
खुफिया
जानकारी
के
बाद
छापेमारी
कांचीपुरम
के
सब
कलेक्टर
ए
सर्वनन
और
रानीपेट
के
सब
कलेक्टर
इलमभवथ
को
खुफिया
जानकारी
मिली
थी,
जिसके
बाद
आधार
पर
दोनों
ही
जगह
पर
छापेमारी
की
गई
और
इन
तमाम
लोगों
को
आजाद
कराया
गया
था।
अधिकारियों
ने
इस
छापेमारी
में
काफी
सतर्कता
बरती।
सुबह
9.30
बजे
यह
छापेमारी
की
गई,
जिससे
कि
परिवार
के
सदस्यों
को
इसकी
भनक
ना
लगे।
जिन
मजदूरों
को
आजाद
कराया
गया
उसमे
70
वर्ष
के
काशी
भी
हैं।
जब
अधिकारी
यहां
पहुंचे
तो
वह
उनके
पैरों
पर
गिरकर
सभी
लोगों
को
आजाद
कराने
की
भीख
मांगने
लगे।
27
लोगों
को
छुड़ाया
अधिकारियों
ने
काशी
के
साथ
कुल
27
लोगों
को
छुड़ाया।
इसमे
आठ
परिवार
के
10
बच्चे
भी
शामिल
थे।
ये
लोग
कांचीपुरम
के
कोन्नेरीकुप्पम
गांव
हैं।
काशी
नटराज
के
यहां
पर
एक
दशक
से
अधिक
तक
मजदूरी
की।
जानकारी
के
अनुसार
नटराज
से
काशी
1000
रुपए
का
उधार
लिया
था।
जिसकी
वजह
से
उन्हें
इतने
समय
तक
बंधुआ
मजदूर
बनाए
रखा।
बच्चों
की
भी
बनाया
बंधुआ
मजदूर
वहीं
रानीपेट
में
भी
14
लोगों
को
छुड़ाया
गया,
यहां
पांच
परिवार
के
लोग
बंधुआ
मजदूरी
कर
रहे
थे,
जिसमे
छह
बच्चे
भी
शामिल
थे।
पूछताछ
में
यह
बात
सामने
आई
कि
इन
लोगों
ने
9
हजार
रुपए
से
लेकर
25
हजार
रुपए
तक
का
उधार
लिया
था,
जिसकी
वजह
से
इन्हें
बंधुआ
मजदूर
बनाया
गया
था।
लेकिन
काशी
को
महज
1000
रुपए
के
लिए
एक
दशक
तक
बंधुआ
मजदूर
बनाया
गया,
जोकि
अपने
आप
में
शर्मनाक
घटना
है।
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