Surgical Strike के चार साल, जब सेना ने PoK में घुसकर ढेर किए थे आतंकी
नई दिल्ली। 28 सितंबर 2016 का दिन भारत की सेना का एक सुनहरा अध्याय है। ठीक चार साल पहले आज ही कि दिन इंडियन आर्मी ने पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इंडियन आर्मी ने उस सर्जिकल स्ट्राइक के साथ ही 10 दिन पहले यानी 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर के उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले का बदला भी ले लिया था। उरी हमले में भारत के 19 जवान शहीद हो गए थे। 29 सितंबर को इस बात की जानकारी पूरे देश को हुई थी कि कैसे इंडियन आर्मी के स्पेशल कमांडोज, पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर के अंदर तक दाखिल हुए और उन्होंने आतंकियों के अड्डों को तबाह कर दिया था। सेना के ट्रेन्ड कमांडोज ने आतंकवादियों के सात कैंप्स तबाह कर डाले थे। इस सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान मिलिट्री के भी कुछ स्थानों को तबाह कर दिया था।
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क्यों हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
18 सितंबर 2016 के उरी आतंकी हमले के बाद इंडियन आर्मी ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। 28-29 सितंबर को हुई इस सर्जिकल स्ट्राइक में करीब 30 आतंकी मारे गए थे। सेना ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने की तैयारियां 18 सितंबर को हुए आतंकी हमले के बाद से ही शुरू कर दी। उरी हमले के बाद से ही इसकी तैयारियां हो रही थीं कि पीओके में मौजूद आतंकी ढांचे को कैसे तबाह किया जाएगा। इंडियन आर्मी के स्पेशल पैरा कमांडोज ने एलओसी पार जाकर आतंकी कैंपों पर हमला किया था और 30 से 40 आतंकियों को मार गिराया। इस सर्जिकल स्ट्राइक के साथ ही एक बार फिर इन कमांडोज ने अपनी श्रेष्ठता और बहादुरी साबित की।
अमावस्या की रात का इंतजार
उरी हमले के बाद से ही इसकी तैयारियां हो रही थीं कि पीओके में मौजूद आतंकी ढांचे को कैसे तबाह किया जाएगा। उरी आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। सर्जिकल स्ट्राइक को कब अंजाम दिया जाएगा इसके लिए सही मौके का इंतजार हो रहा था और यह मौका का था अमावस्या की रात का। उस दिन चांद नहीं होता है और अंधेरा ही अंधेरा रहता है और यह काफी मददगार साबित हो सकता था। 28-29 सितंबर को आठ सदस्यों वाली स्ट्राइक टीम की लीड कर रहे मेजर रोहित सूरी को आतंकियों के ढांचे पर हमला बोलने का जिम्मा दिया गया। मेजर सूरी ने रेकी को पूरा किया और फिर अपनी टीम को आदेश दिया कि वे आतंकियों को लॉन्चपैड में खुले में लाकर व्यस्त रखेंगे। इसके बाद मेजर सूरी और उनका सहायक, टारगेट के 50 मीटर अंदर आए और उन्होंने दो आतंकवादियों का खात्मा किया।
मेजर रोहित सूरी ने किया नेतृत्व
जब खुले मैदान में आतंकवादियों को मार गिराया गया तभी मेजर सूरी का ध्यान पास के जंगल में दो आतंकवादियों के मूवमेंट पर गया। यूएवी के जरिए भी आतंकवादियों मूवमेंट को ट्रैक किया जा रहा था। मेजर सूरी ने अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज किया और आतंकवादियों का पता लगाकर उन्हें करीबी लड़ाई में व्यस्त किया और आखिरी में मेजर सूरी ने उनका खत्मा कर डाला। इंडियन आर्मी के एक और मेजर को 27 सितंबर को लॉन्चपैड्स पर करीब से नजर रखने का ऑर्डर दिया गया था। यह ऑफिसर अपने असॉल्ट ग्रुप के साथ सर्जिकल स्ट्राइक के 48 घंटे पहले एलओसी पारकर दूसरी तरफ गया और इसने टारगेट पर सर्जिकल स्ट्राइक होने तक करीब से नजर रखी थी। इस ऑफिसर और उसकी टीम ने टारगेट जोन को मैपिंग की, ऑटोमैटिक हथियारों की लोकेशन का पता लगाश और उन अलग-अलग फायरिंग पोजिशन के बारे में भी जानकारी जिन्हें स्ट्राइक की टीम प्रयोग कर सकती थी। इस ऑफिसर ने एक वेपेन शेल्टर को बर्बाद किया और दो आतंकवादियों को मार गिराया।
तबाह हुए आतंकी कैंप्स
हमले के समय इस ऑफिसर की टीम पास के ही वेपन शेल्टर में पहुंची। अपनी टीम पर बढ़ते खतरे को भांपकर, यह ऑफिसर रेंगकर पास के शेल्टर में पहुंचा और एक और आतंकवादी को मार गिराया। इसके बाद गोलियां की आवाज बंद हो गई। इस ऑफिसर को भी गणतंत्र दिवस के मौके पर शौर्य चक्र से सम्मानि किया गया है। मेजर रैंक के तीसरे ऑफिसर ने अपने सहायक के साथ मिलकर एक और आतंकी कैंप को तबाह किया और सभी आतंकवादियों को मार गिराया। इसके बाद इस ऑफिसर ने अपनी टीम के सभी सदस्यों को सुरक्षित तरीके से स्ट्राइक के लिए गाइड किया। इस मेजर को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इस मेजर ने अपने सभी सीनियर्स को इस सर्जिकल स्ट्राइके बारे में पल-पल की जानकारी दी।
हर तरफ से हो रही थी फायरिंग
सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल चौथे मेजर को सेना मेडल से सम्मानित किया गया है। इस मेजर ने अपने ग्रेनेड हमले से एक ऑटोमैटिक वेपन के अड्डे को तबाह किया। इसके अलावा क्लोज रेंज में मौजूद दो आंतकवादियों को भी मार गिराया। जो जानकारी इंडियन आर्मी की ओर से जारी की गई उसके मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक को पूरा करना इतना आसान नहीं था। स्ट्राइक टीम को आतंकवादियों की ओर से लगातार फायरिंग का सामना करना पड़ रहा था। सर्जिकल स्ट्राइक के पांचवें मेजर ने तीन आतंकवादियों को देखा। इन आतंकियों के पास आरपीजी यानी रॉकेट-प्रॉपेल्ड ग्रेनेड्स थे। ये आतंकी चौथे मेजर की टीम को निशाना बनाने को तैयार थे लेकिन आतंकी हमला करते इससे पहले ही पांचवें मेजर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए भी आतंकियों को उलझाकर रखा और दो आतंकवादियों को मार गिराया। इस मेजर के सहायक ने तीसरे आतंकी को मारा।
कीति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित योद्धा
इस सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल ऑफिसर्स, जेसीओ और पैराट्रूपर्स ने भी अद्भुत क्षमता और बहादुरी का प्रदर्शन किया था। एक नायब सूबेदार जिसे शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया, उसने आतंकवादियों पर ग्रेनेड से हमला किया, हथियारों के जखीरे को ध्वस्त किया और दो आतंकवादियों को मारा। जब इस नायब सूबेदार ने देखा कि आतंकवादी उसकी टीम पर हमला कर रहे हैं तो उन्होंने अपने सहायक को दूर किया और आतंकवादियों पर हमला बोलकर उन्हें ढेर कर दिया। इस सर्जिकल स्ट्राइक में कोई भी सैनिक शहीद नहीं हुआ लेकिन पैराट्रूपर्स को हल्की चोंटें जरूर आई थीं। ये पैराट्रूपर्स सर्विलांस का हिस्सा थे। 4 पैरा के मेजर रोहित सूरी को कीर्ति चक्र, 4 पैरा के ही मेजर राज चंद्र, 9 पैरा के मेजर दीपक कुमार उपाध्याय, 4 पैरा के कैप्टन आशुतोष कुमार, 9 पैरा के पैराट्रूपर अब्दुल चांद नायब और चार पैरा के सूबेदार विजय कुमार को शौर्य चक्र दिया गया था। शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। बाकी कमांडोज को सेना मेडल मिला।9 पैरा के कमांडिंग ऑफिसर्स कर्नल कपिल यादव और 4 पैरा के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हरप्रीत संधू को युद्ध सेवा मेडल दिया गया।