हजारों लोगों के साथ 4 साल के बेटे और पत्नी ने दी शहीद संतोष बाबू को अंतिम विदाई, आंखें नम कर देंगी तस्वीर
नई दिल्ली। सोमवार को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर गलवान घाटी में चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला कर दिया था। जिसमें हमारे 20 सैनिक शहीद हो गए। इन्हीं में से एक थे कर्नल संतोष बाबू, जिन्हें उनके परिवार ने गुरुवार को अंतिम विदाई दी। संतोष बाबू के चार साल के बेटे अनिरुद्ध और पत्नी सहित हजारों लोगों ने उन्हें सलाम किया। कर्नल संतोष बाबू का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जिसकी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जो किसी की भी आंखें नम कर देंगी।
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बालकनी से लोगों ने फूल बरसाए
कर्नल के पिता ने उनका अंतिम संस्कार किया है। जबकि चार साल का बेटा अपनी मां की गोद से ही पिता को सलामी दे रहा था। उसे शायद ही इस बात का पता हो कि अब उसके पिता लौटकर नहीं आएंगे। कर्नल संतोष बाबू की अंतिम यात्रा के दौरान काफी लोग उनके परिवार के साथ दिखे और बहुत से लोग बालकनी पर खड़े हो गए। सभी 'संतोष बाबू अमर रहें' और 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे। लोगों ने बालकनी से ही फूल भी बरसाए।
शहर की अधिकतर दुकानें बंद रहीं
इस दौरान शहीद के सम्मान में शहर की अधिकतर दुकानें बंद रहीं। उनका अंतिम संस्कार पारिवारिक जमीन पर ही किया गया और सेना ने अंतिम विदाई के समय बंदूकों की सलामी दी। कर्नल संतोष बाबू के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी, एक बेटी और एक बेटा हैं। शहीद संतोष बाबू के पिता का सपना सेना में जाकर देश की सेवा करना था। बेटे के शहीद होने के बाद उन्होंने कहा था, 'मैं सेना में शामिल नहीं हो सका और अपने देश की सेवा नहीं कर सका। इसलिए मैंने चाहा कि मेरा बेटा सेना में जाए और देश की सेवा करे। हालांकि मेरे रिश्तेदार मेरी इस बात से खुश नहीं थे।'
वैलिंगटन से डिफेंस सर्विस स्टाफ कोर्स किया
भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में ऐसी झड़प करीब 45 साल बाद देखने को मिली। हालांकि चीन ने अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं बताया है कि उसके कितने सैनिकों की मौत हुई है। लेकिन सेना के सूत्रों का कहना है कि 45 चीनी सैनिक मरे/घायल हुए हैं। कर्नल संतोष बाबू की बात करें तो उन्होंने सैनिक स्कूल से अपनी शिक्षा की और एनडीए खड़कवासला से अपनी ट्रेनिंग पूरी की। अपनी बटालियन की कमांड संभालने से पहले उन्होंने वैलिंगटन से डिफेंस सर्विस स्टाफ कोर्स पूरा किया था।
बैठकों में भी नेतृत्व कर चुके हैं संतोष बाबू
कर्नल तेलंगाना के सूर्यपत जिले के रहने वाले थे और 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर थे। जानकारी के मुताबिक वह इससे पहले भी तनाव कम करने के लिए हुई बैठकों में भी नेतृत्व कर चुके हैं। सेना के सूत्रों का कहना है कि चीनी सैनिक तय कार्यक्रम के मुताबिक पीछे नहीं हट रहे थे, तब उनसे बात करने के लिए कर्नल संतोष बाबू खुद गए थे। तभी चीनियों ने उनपर हमला कर दिया, जिसका जवाब भारतीय सैनिकों ने भी दिया।
चीनी जवानों ने पत्थर-सरिया से किया हमला
सूत्रों की तरफ से बताया जा रहा है कि सारा मसला सोमवार रात 11:30 बजे से शुरू हुआ था। उस समय दोनों तरफ से जवानों का पीछे हटने का सिलसिला जारी था। इसी समय कर्नल संतोष बाबू ने चीनी जवानों से पांच किलोमीटर पीछे चले जाने को कहा। चीन की सेना इसी बात पर भड़क गई और उसने अपशब्द कहने शुरू कर दिए। इसके बाद दोनों तरफ से मारपीट शुरू हो गई और फिर चीनी जवानों ने पत्थर और सरिया से हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि चीन को भी भारतीय सेना की तरफ से करारा जवाब दिया गया था।
हैदराबाद में पोस्टिंग का था इंतजार
16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल बाबू को हैदराबाद में पोस्टिंग का इंतजार था। रविवार को उन्होंने अपनी मां से बात की थी और दोनों के बीच एलएसी पर जारी तनाव को लेकर भी बात हुई थी। उनकी मां कहती हैं कि बेटे की शहादत से वह बहुत दुखी हैं लेकिन गर्व भी है कि बेटे ने देश के लिए इतना महान बलिदान दिया है।
माता-पिता से की थी बात
मां ने जब बेटे से भारत-चीन तनाव के बारे में बात की तो कर्नल संतोष ने जवाब दिया कि वह उन मुद्दों पर बात नहीं कर सकते हैं जो संवेदनशील हैं। पिता ने बेटे से सावधान रहने और और ध्यान रखने की बात कही थी। कर्नल संतोष बाबू साल 2004 में कमीशंड हुए थे और उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर थी। मंगलवार दोपहर को माता-पिता को सीनियर आर्मी ऑफिसर्स की तरफ से बेटे की शहादत के बारे में पता चला था। बुधवार शाम चार बजे कर्नल बाबू का पार्थिव शव सूर्यपेट पहुंचा।
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