इराक में अपनों की मौत पर बोले परिजन, चार साल तक सरकार ने उनके जिंदा होने का भरोसा क्यों दिलाया?
चार साल तक हमें सरकार ने उनके जिंदा होने का भरोसा क्यों दिलाया?
नई दिल्ली। चार साल पहले इराक के मोसुल से अपहृत 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के करने के बाद के बाद उनके परिजनों का बुरा हाल है। मोसुल में मारे गए गुरचरण सिंह की बीवी हरजीत कौर ने पति की मौत की खबर पर कहा '2013 में वो मोसुल गए थे, उस वक्त सरकार ने कहा था कि सब ठीक है और अब कह रहे हैं कि वो नहीं रहे. मैं समझ नहीं पा रही कि क्या कहूं।'
वो हर शुक्रवार को मुझसे जरूर बात करता था
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से मोसुल गए अमन के पिता राजेश चंद कहते हैं, '2013 में वो इराक गया था। हर शु्क्रवार को वो मुझसे बात करता था। इस मामले के बाद सरकार ने भरोसा दिलाया कि सब हिफाजत से हैं। मैं अब किसी से क्या कहूं, मैं तो बेटा खो चुका हूं।'
2015 में की थी आखिरी बार बात
पंजाब के नाकोदर से रहने वाले रूप लाल सात साल पहले इराक गए थे। उनकी पत्नी को आज पता चला कि वो भी मरने वालों में शामिल हैं। वो कहती है 'आखिरी बार उनसे 2015 में बात हुई थी। सरकारी लोग तीन महीने पहले डीएनए के सैंपल ले गए थे और आज उनके मरने की बात कह दी। मैं क्या कहूं?'
उन्हें कहना था कि अगर जिंदा होंगे तो वो वापस आएंगे
अमृतसर के मजिंदर सिंह की भी मोसुल में मारे जाने की पुष्टि हुई है, उनकी बहन गुरपिंदर कौर का कहना है 'हम चाहते हैं कि सरकार हमें डीएनए रिपोर्ट दे. इस मामले में राजनीति की जा रही है। हम चार साल से लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं और अब ये टीवी पर आकर कहते हैं कि मेरा भाई मर चुका है।' कौर ने कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री ने संवेदना नहीं दिखाई, हम सरकार की ओर से भी ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्यों विदेश मंत्रालय लगातार कहता रहा कि वो जिंदा है, क्या अब वो आ सकता है? उन्हें यही कहना था कि अगर जिंदा होंगे तो वो वापस आएंगे।
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