पिछले 4 सालों में बैंक फ्रॉड कर 38 आरोपी देश छोड़कर भागे, सरकार संसद में दी जानकारी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में बताया कि, सेंटल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन की ओर से बैंक फ्रॉड के जितने मामलों की जांच की जा रही है उसमें से 38 आरोपी देश छोड़कर भाग चुके हैं। ये सभी आरोपी चार सालों में जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2019 तक के बीच में देश से फरार हुए हैं। यहीं नहीं प्रवर्तन निदेशालय 20 लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल के पास भी जा चुका है।
सांसद डीन कुरियाकोसे के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को बताया कि 'सीबीआई ने बताया है कि बैंकों के साथ वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में शामिल 38 लोग 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच में देश छोड़कर भाग चुके हैं। इनमें से ईडी ने 20 लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल से संपर्क भी किया है। 14 लोगों के खिलाफ अलग-अलग देशों को प्रत्यर्पण का आग्रह भेजा गया है। वहीं भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत 11 लोगों के खिलाफ आवेदन डाले हैं।
हालांकि सरकार की ओर से यह नहीं बताया गया कि, इन भगोड़ों द्वारा की गई धोखाधड़ी की राशि क्या है। सरकार ने 4 जनवरी, 2019 को, प्रवर्तन निदेशालय के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए संसद को सूचित किया था कि पिछले पांच वर्षों में बैंक धोखाधड़ी के 27 लोग आरोपी भारत से भाग गए थे। अब डेढ़ साल में यह आंकड़ा 27 से 38 हो चुका है। इनमें से दो भगोड़ों- सनी कालरा और विनय मित्तल को वापस लाया जा चुका है।कालरा पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ 10 करोड़ का फ्रॉड करने का आरोप है, वहीं मित्तल पर बैंकों के साथ 40 करोड़ का फ्रॉड करने का आरोप है।
इस लिस्ट में 9,000 करोड़ के फ्रॉड का आरोपी विजय माल्या, 12,000 करोड़ के फ्रॉड के आरोपी मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और उसका परिवार और 15,000 करोड़ के फ्रॉड के आरोपी संदेसारा ग्रुप के मालिक और उसके करीबी शामिल हैं। इंटरपोल की वेबसाइट पर उपलब्ध सार्वजनिक आंकड़ों के अनुसार, 14,000 करोड़ रुपये के नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के आरोप भगोड़ा नीरव मोदी और कारोबारी मेहुल चोकसी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए गए हैं।
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