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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में पैदा हुए 37 बच्चे, मजदूरों की घर वापसी के महामिशन के गवाह: रेल मंत्री

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नई दिल्ली- श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अबतक कुल 37 बच्चे पैदा हुए हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ये लिटिल वंडर मजदूरों की घर वापसी के महामिशन के गवाह हैं। बता दें कि बीते 3 जून तक इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए 57 लाख से ज्यादा लोगों को अपने-अपने घरों तक पहुंचाया जा चुका था। ये वो लोग थे जो कोरोना लॉकडाउन की वजह से देशभर में जहां-तहां फंसे हुए थे। इन ट्रेनों के चलते प्रवासी मजदूरों के अलावा दूसरे नागरिकों को भी अपने राज्यों की ओर जाने में सहायता मिली। इस दौरान 37 बच्चे तो चलती ट्रेनों में पैदा हुए ही हैं, 23 गर्भवती महिलाओं को यात्रा के दौरान ट्रेन से डिलीवरी के लिए पास के अस्पतालों में भी पहुंचाया गया है।

'श्रमिक स्पेशल ट्रेन में पैदा हुए 37 बच्चे महामिशन के गवाह'

'श्रमिक स्पेशल ट्रेन में पैदा हुए 37 बच्चे महामिशन के गवाह'

भारतीय रेलवे ने एक और कामयाबी हासिल की है। मई और जून के महीनों में देशभर में चली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में चलती ट्रेनों अबतक 37 बच्चे पैदा हो चुके हैं। इस बात की खुशी खुद रेलमंत्री पीयूष गोयल ने जताई है। हालांकि, रेलवे ने संबंधित राज्यों को सलाह दी थी कि गर्भवती महिलाओं को ट्रेन से यात्रा की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन बावजूद इसके अबतक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 37 गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ा और आरपीएफ, मेडिकल स्टाफ और साथी यात्रियों की सहायता से 37 मासूमों का धरती पर आगवन हो चुका है। इनके अलावा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सफर कर रहीं 23 गर्भवती महिलाओं को मेडिकल सहायता के साथ डिलीवरी के लिए नजदीकी अस्पतालों में भी पहुंचाया गया है।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में गूंज रही हैं किलकारियां

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में गूंज रही हैं किलकारियां

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में बच्चों की किलकारियां गूंजने के बारे में एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि 'माताओं और उनके परिवार वाले के लिए यह तो खुशी का पल था ही, हम जैसे लोगों के लिए भी चलती ट्रेनों में सफलतापूर्वक बच्चे की डिलीवरी करवाना बड़ा ही उत्साह का पल था।......हमनें अपनी ओर से माताओं और नवजात बच्चों की यात्रा को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने की भरपूर कोशिश की है।' बता दें कि 1 मई से शुरू होने के बाद बीते 3 जून तक कुल 4,155 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को भारतीय रेलवे संचालित कर चुका था। इस महाभियान के जरिए देश के नेशनल ट्रांसपोर्टर ने देशभर में फंसे 57 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों-कामगारों और बाकी लोगों को मात्र 33 दिनों में उनके घरों तक पहुंचाया है।

लिटिल वंडर- रेल मंत्री

जाहिर है कि चलती ट्रेनों में बच्चों की किलकारियां गूंजने की घटना किसी के लिए भी रोमांचकारी लगता है। रेल मंत्री ने भारतीय रेलवे के इस महाभियान में मिली इस खुशनुमा सफलता पर कई ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा (जबतक 36 बच्चे पैदा हुए थे), '36 बंडल्स ऑफ ज्वॉय: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में जब 36 बच्चे पैदा हुए तो उम्मीदों और उत्सवों का माहौल पैदा हो गया। ट्रेनों में पैदा हुए बच्चे प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के रेलवे के महामिशन के गवाह हैं।' शुक्रवार को जब 37वें बच्चे का जन्म हुआ तो गोयल ने फिर एक ट्वीट किया, 'लिटिल वंडर: श्रमिक स्पेशल ट्रेन एक और खुशी की किलकारी का स्वागत करती है, क्योंकि ट्रेन में रेलवे के डॉक्टर की मदद से 37वें बच्चे का जन्म हुआ है, मां ने ट्रेन में सुरक्षित तरीके से अपने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है।'

कम हो रही है श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग

बता दें कि हाल के दिनों में राज्यों की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग में कमी आई है। लॉकडाउन खुलने से मजदूरों की ओर से भी रजिस्ट्रेशन की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। पिछले मंगलवार तक राज्यों की मांग पर 102 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थीं। जबकि, पहले 250 भी ज्यादा ट्रेनें रोजाना चलाई जा रही थीं। इन ट्रेनों के जरिए श्रमिकों और कामगारों के अलावा तीर्थयात्रियों, सैलानियों, स्टूडेंट्स और दूसरे लोगों को भी देश के अलग-अलग भागों में पहुंचाया गया है।

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इन राज्यों का रहा सबसे बड़ा योगदान

इन राज्यों का रहा सबसे बड़ा योगदान

जिन राज्यों से सबसे ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं, उनमें सबसे अधिक गुजरात (1027), महाराष्ट्र (802), पंजाब (416), उत्तर प्रदेश (288) और बिहार (294) शामिल हैं। वहीं जिन राज्यों की ओर सबसे ज्यादा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भेजी गईं उनमें उत्तर प्रदेश (1670), बिहार (1482), झारखंड (194), ओडिशा (180) और पश्चिम बंगाल (135) शामिल हैं।

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English summary
37 children born in shramik special trains,witness the admission of laborers homecoming:Rail Min
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