MP: उपचुनाव के रण में 355 उम्मीदवार मैदान में, मेहगांव में सबसे बड़ा मुकाबला
भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गई है। 19 अक्टूबर को नाम वापसी की आखिरी तारीख खत्म होने के साथ ही ये तय हो गया है कि किस सीट से कौन उम्मीदवार होगा। उपचुनाव की 28 सीटों के लिए 355 प्रत्याशी किस्मत आजमाने मैदान में हैं।
मेहगांव
में
बड़ी
जंग
2018
की
बात
करें
तो
इन्हीं
सीटों
पर
381
उम्मीदवार
चुनाव
मैदान
में
थे।
यानि
कि
उपचुनाव
में
प्रत्याशियों
की
संख्या
कम
हुई
है।
सबसे
बड़ा
मुकाबला
मेहगांव
में
हैं
जहां
38
उम्मीदवार
चुनावी
रण
में
अपना
दावा
ठोक
रहे
हैं।
यहां
मुख्य
मुकाबला
भाजपा
सरकार
में
मंत्री
ओपीएस
भदौरिया
और
कांग्रेस
प्रत्याशी
हेमंत
कटारे
के
बीच
हो
रहा
है।
दूसरे
नंबर
पर
गोविंद
सिंह
राजपूत
की
सीट
सुरखी
है।
सुरखी
सीट
पर
29
उम्मीदवार
मैदान
में
हैं।
एक
दिन
पहले
ही
मंत्री
पद
से
इस्तीफा
देने
वाले
गोविंद
सिंह
राजपूत
का
यहां
मुकाबला
कांग्रेस
के
टिकट
पर
चुनाव
लड़
रही
पारुल
साहू
से
है।
नेपानगर
में
सबसे
कम
उम्मीदवार
वहीं
सबसे
कम
प्रत्याशी
नेपानगर
सीट
पर
हैं।
यहां
कुल
7
उम्मीदवार
ही
मैदान
में
हैं।
यह
सीट
कांग्रेस
के
टिकट
पर
जीती
सुमित्रा
देवी
कास्डेकर
के
भाजपा
में
शामिल
होने
के
चलते
खाली
हुई
है।
यहां
कास्डेकर
भाजपा
के
टिकट
पर
मैदान
में
हैं
और
उनका
मुकाबला
कांग्रेस
के
रामकिशन
पटेल
से
है।
28
लाख
महिला
वोटर
उपचुनाव
की
28
सीटों
पर
हो
रहे
चुनाव
में
30
लाख
महिलाएं
बतौर
मतदाता
दर्ज
हैं।
यानि
कि
कुल
46
प्रतिशत
महिलाएं
इस
चुनाव
में
वोटर
हैं।
हालांकि
चुनाव
में
महिलाओं
से
जुड़े
मुद्दे
गायब
ही
हैं।
उल्टे
नेता
ही
महिलाओं
पर
अभद्र
टिप्पणियां
कर
रहे
हैं।
चुनाव
में
25
सीटें
ऐसी
हैं
जो
विधायकों
के
दल-बदलने
के
चलते
खाली
हुई
हैं।
यही
वजह
है
कि
इस
उपचुनाव
के
मुद्दे
भी
बिकाऊ-टिकाऊ,
गद्दार
और
धोखेबाज
जैसे
शब्दों
से
आगे
नहीं
बढ़
पा
रहे
हैं।
वहीं
3
सीटें
ऐसी
हैं
जो
विधायकों
के
निधन
से
खाली
हुई
हैं।
10 मार्च को सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था जिसके तत्कालीन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी। बाद में तीन और विधायकों ने भी इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। वर्तमान विधायकों की स्थिति के आधार पर भाजपा ने सरकार बनाने का दावा किया और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
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